संसदीय समिति की बैठक में हाई वोल्टेज ड्रामा, वैक्सीन खरीद और रेट के मुद्दे पर भड़के बीजेपी सांसद
नई दिल्ली, जून 23: संसदीय समिति की बैठक में बुधवार को उस वक्त हंगामा हो गया, जब कोरोना वैक्सीन की खरीद और कीमत में अंतर का मुद्दा उठा। इस दौरान बीजेपी सांसद भड़क गए और हंगामा करते नजर आए। यहां तक की भाजपा के कई सांसदों ने यह कहते हुए वॉकआउट कर दिया कि यह वैक्सीन नीति पर चर्चा करने का उपयुक्त समय नहीं है। सूत्रों की मानें तो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पैनल ने इस मीटिंग में कोविड-19 के लिए वैक्सीन विकास के एजेंडे और कोरोना वायरस और उसके वैरिएंट की आनुवंशिक अनुक्रमणिका (जेनेटिक सिक्वेंसिंग) शामिल था।
इसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञों के विजय राघवन, नीति आयोग के सदस्य डॉ, वीके पॉल, आईसीएमआर के डीजी वीके भार्गव और जैव प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव रेणु स्वरूप समेत अन्य अधिकारियों को बुलाया गया था, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति के सामने अपना पक्ष रखा।
कोरोना टीकाकरण का उठा मुद्दा
बैठक के दौरान विपक्ष के सांसदों ने कोरोना टीकाकरण का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने सवाल करते हुए पूछा कि वैक्सीन की खरीद, कीमत और वैक्सीनेशन में अंतर क्यों आया है। इस सवाल का बीजेपी सांसदों की ओर से विरोध किया गया। बीजपी सांसदों ने इस दौरान कहा कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय केवल शोध और विकास का काम करता है। कोरोना वैक्सीन की खरीद, रेट या टीकाकरण उसके अंडर में नहीं आता है, ऐसे सवाल करके यहां राजनीति नहीं करनी चाहिए।
सांसदों ने किया वाक आउट
इस हाई वोल्टेज ड्राम के बाद कई बीजेपी सांसदों ने कुछ देर के लिए वाक आउट कर दिया। सूत्रों ने कहा कि भाजपा सांसदों की राय थी कि देश में टीकाकरण अभियान चल रहा है, ऐसे में ऐसे मुद्दों को उठाने का यह उपयुक्त समय नहीं है, जिससे टीकाकरण प्रक्रिया में बाधा आ सकती है, जिसके बाद संसदीय समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश ने आश्वासन दिया कि समिति के पहले से तय एजेंडे के तहत ही कार्यवाही होगी।
फिर हुए सवाल-जवाब
इसके बाद वीके पॉल जो कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख हैं, बैठक में शामिल नहीं हुए और उनकी अनुपस्थिति पर एक सदस्य ने सवाल उठाया। हालांकि जयराम रमेश ने इस मुदद्दे को आगे नहीं बढ़ाया। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रमुख बलराम भार्गव उपस्थित थे और उन्होंने सवाल किए। इस दौरान सदस्यों ने उनसे पूछा कि नमूने का आकार इतना छोटा क्यों था। उन्होंने बताया कि केवल 40,000 जीनोम अनुक्रमण के लिए वैरिएंट को ट्रैक करने के लिए। यह 0.013% था, हालांकि यह कम से कम पांच प्रतिशत होना चाहिए।
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वहीं डॉ. भार्गव ने बताया कि आईसीएमआर को वर्तमान में परीक्षण के लिए बंदरों की जरूरत है और ये आसानी से उपलब्ध नहीं थे। इसके अलावा सदस्यों में से एक ने स्वास्थ्य विशेषज्ञ विजय राघवन से पूछा कि क्या उनका मानना है कि महामारी वुहान लैब के रिसाव का परिणाम थी, क्योंकि भारत ने जी 7 देशों के साथ, इस बात का समर्थन किया था कि कोविड की उत्पत्ति की जांच की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री के शीर्ष वैज्ञानिक सलाहकार की ओर से पूछे गए सवाल पर कुछ भाजपा सदस्यों ने आपत्ति जताई। समिति ने बाद में वैक्सीन से जुड़े अनुसंधान और विकास में अपनी भूमिका के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सराहना की।