पहली नजर में संजय गांधी को हुआ था मेनका आनंद से प्रेम, दिलचस्प है इनकी प्रेम-कहानी
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुल्तानपुर की नवनिर्वाचित भाजपा सांसद मेनका गांधी इस वक्त चर्चा में हैं क्योंकि उन्हें मोदी कैबिनेट 2 में जगह नहीं मिली हैं, रविवार को जीत के बाद मेनका अपने संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर पहुंचीं, जहां वो लोगों और मीडिया से मुखातिब हुईं, जब उनसे मंत्री पद को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा कि इसका जवाब सुल्तानपुर की जनता से लीजिए, बताते चलें कि मेनका अक्सर अपनी हाजिर जवाबी से लोगों के मुंह बंद कर देती हैं।
मेनका ने सुल्तानपुर से बड़ी जीत दर्ज की हैं
राजनीति में एक अलग पहचान रखने वाली मेनका गांधी रविवार को तीन दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर पहुंची,आपको बता दें कि मेनका आठवीं बार लोकसभा पहुंची हैं। 16वीं लोकसभा में पीलीभीत से जीतने वाली मेनका गांधी ने इस बार 17वीं लोकसभा में भाजपा के टिकट पर सुल्तानपुर से बड़ी जीत दर्ज की है।
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दिलचस्प है संजय-मेनका की प्रेम-कहानी
मेनका गांधी ने राजनीति में काफी लंबा सफर तय किया है, गांधी परिवार की इस बहू ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी एक जुदा पहचान बनाई हैं, हालांकि उनकी निजी जिंदगी के कुछ पन्ने बेहद ही दिलचस्प रहे हैं, देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी से उनकी मुलाकात और फिर उनसे शादी होना भी मेनका के जीवन का काफी रोचक पहलू है।
संजय गांधी से 10 साल छोटी थीं मेनका गांधी
आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे कि इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को अपने से दस साल छोटी मॉडल मेनका आंनद से पहली नजर में प्यार हो गया था। मेनका उस समय मात्र 17 साल की थीं और बाम्बे डाईंग की चर्चित मॉडल थीं। हालांकि शूटिंग प्वाइंट पर संजय गांधी ने उन्हें देखा जरूर लेकिन दोनों की पहली मुलाकात मेनका गांधी के कजिन वाणी कपूर के एक पार्टी में हुई थीं।
1974 में दोनों ने परिवार वालों की रजामंदी से शादी की
मेनका गांधी को भी संजय भा गए थे, मेनका और संजय गांधी की उम्र में दस साल का अंतर था इसलिए मेनका के घरवाले पहले इस शादी के लिए तैयार नहीं थे लेकिन कहते हैं कि सच्चे इश्क के आगे तो भगवान को भी झुकना पड़ता है इसलिए मेनका और संजय की प्रेमकहानी को घर वालों की मंजूरी मिल ही गई और साल 1974 में दोनों ने परिवार वालों की रजामंदी से शादी कर ली।
हालात के आगे मेनका ने घुटने नहीं टेके
मेनका बतौर पत्नी अपने पति के साथ हमेशा साये की तरह रहा करती थीं, संजय हंसते थे तो मेनका हंसती थीं, संजय रोते थे तो मेनका रोती थीं लेकिन दोनों के प्यार की ये दुनिया ज्यादा लंबी नहीं रह पाई और 23 जून 1980 को एक दर्दनाक विमान हादसे में संजय गांधी की अकस्मात मौत हो गई।
मेनका ने राजनीति में अपनी एक खास जगह बनाई
मेनका गांधी उस समय मात्र तीन महीने के वरूण गांधी की मां थीं, हालांकि संजय की मौत के बाद मेनका लंबे वक्त तक इंदिरा गांधी के साथ नहीं रहीं और परिवार से अलग हो गईं लेकिन उन्होंने हालात के आगे मेनका ने घुटने नहीं टेके बल्कि संघर्ष करके राजनीति में अपनी एक खास जगह बनाई, उन्होंने भाजपा ज्वाइन की और वो 16वीं लोकसभा में मंत्री भी बनीं, उनके बेटे वरुण गांधी भी भाजपा के टिकट पर सांसद हैं।
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