असम एनआरसी को खत्म करके हमे राष्ट्रीय NRC का हिस्सा बनाया जाए: हिमंत विश्व शर्मा
नई दिल्ली। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस को लेकर प्रदेश के वित्तमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बड़ा बयान दिया है। हिमंत ने कहा कि असम भाजपा और प्रदेश सरकार का मत है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने जो एनआरसी तैयार की है वह लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। लिहाजा हम चाहते हैं कि असम एनआरसी को राष्ट्रीय एनआरसी की प्रक्रिया से जोड़ा जाए। असम के वित्त मंत्री ने कहा कि असम एनआरसी में कई खामियां थी जिसमे हमने पहले ही बताया था। असम के कई सामाजिक संगठनों ने भी इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और मौजूदा प्रक्रिया की फिर से समीक्षा की मांग की है। हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं कि मौजूदा एनआरसी को खत्म करके हमे राष्ट्रीय एनआरसी की प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाए।
बता दें कि इससे पहले देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बयान देते हुए कहा कि एनआरसी (भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) में भारत के सभी लोगों को शामिल किया जाएगा। चाहे फिर वो किसी भी धर्म के हों। ये नागरिकता संशोधन बिल से अलग है।उन्होंने कहा, 'हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिल जाएगी। इसलिए ही तो बिल संशोधित करने की जरूरत थी। ताकि जिन शरणार्थियों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है, उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सके।
गृहमंत्री ने कहा कि जिन लोगों का नाम एनआरसी में नहीं है उनके पास ट्रिब्यूनल जाने का पूरा अधिकार है। पूरे असम में ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा। अगर किसी व्यक्ति के पास ट्रिब्यूनल के पास जाने के लिए पैसा नहीं है, तो असम सरकार वकील के लिए भी लागत वहन करेगी। बता दें नागरिकता संशोधन बिल, 2016 लोकसभा में 8 जनवरी को पास हुआ था। जिसका उद्देश्य 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिमों को नागरिकता देना है। वहीं अगर एनआरसी की बात करें तो इसकी अंतिम सूची 31 अगस्त को जारी हुई थी। जिसमें 19,06,657 लोगों का नाम शामिल नहीं है। इस सूची में 3,11,21,004 लोगों का नाम शामिल किया गया है।