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यूपी की इन सीटों पर कांग्रेस की वजह से भाजपा को हो सकता है फायदा

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नई दिल्ली- 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़कर बुरी तरह असफल रहने के बाद कांग्रेस इसबार पूरी तरह अपने दम पर चुनाव मैदान में है। प्रियंका गांधी वाड्रा को आधिकारिक तौर पर लॉन्च करने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ये भी संकेत दे चुके हैं कि राज्य में कांग्रेस के पुनर्जागरण की ये कवायद सिर्फ लोकसभा चुनाव तक ही नहीं रुकने वाली है। प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टी संगठन को मजबूत करने की काम करेंगे। लेकिन, सवाल ये उठता है कि कांग्रेस में आई इस नई जोश से कहीं मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही तो फायदा नहीं होने जा रहा? क्योंकि, प्रियंका की वजह से कांग्रेस बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाएंगी ये तो नहीं पता, लेकिन पार्टी कई सीटों पर महागठबंधन को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में जरूर आती दिख रही है।

कांग्रेस की बढ़त से महागठबंधन की मुश्किल

कांग्रेस की बढ़त से महागठबंधन की मुश्किल

प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय राजनीति में कूदने और पूर्वी यूपी का जिम्मा संभालने के बाद यूपी के पार्टी कार्यकर्ताओं का जोश दशकों बाद चरम पर है। कहने के लिए तो वो पूर्वी यूपी की प्रभारी हैं, लेकिन सच ये है कि वो पूरे राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने में लगी हुई हैं। इसलिए कभी मेरठ जाकर दलित वोटों पर डोरे डालने का प्रयास करती हैं, तो कभी प्रयागराज से मां गंगा के रास्ते बोट यात्रा लेकर काशी पहुंचती हैं। अब वो राम जन्मभूमि यानि अयोध्या भी पहुंच रही हैं। हालांकि, प्रियंका की रणनीति से लग रहा है कि वह बीजेपी के कोर वोट को कंफ्यूजन में डालना चाह रही हैं। क्योंकि, काशी,गंगा और अयोध्या वे मसले हैं, जिससे कांग्रेस अभी तक तोबा करती आई थी। वैसे प्रियंका का यह प्रयास बीजेपी के वोट बैंक को कितना हिला पाएगा ये कहना फिलहाल मुश्किल लग रहा है। लेकिन, शायद उनकी वजह से ही राज्य की राजनीति में एक अलग बदलाव जरूर महसूस किया जा रहा है, जो ज्यादा चौंकाने वाला है। कुछ जानकारों की राय में उत्तर प्रदेश के मुसलमानों का एक वर्ग इसबार कांग्रेस को समर्थन करने के मूड में आ रहा है।

भारतीय राजनीति में अबतक कहा जाता था कि मुसलमान बहुत ही स्मार्ट वोटिंग करते हैं और उनका वोट कभी बंटता नहीं। लेकिन, लगता है कि यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव में यह मिथक टूट भी सकता है। अगर, यह हकीकत में बदला तो महागठबंधन के लिए ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है। कुछ जानकारों की राय में कांग्रेस की वजह से इस चुनाव में करीब 12 से 14 सीटों पर बीजेपी को फायदा मिल सकता है। क्योंकि, कांग्रेस की जोरदार उपस्थिति के कारण इन सभी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बढ़ गई है, जो बीजेपी के लिहाज से लाभदायक है।

इन सीटों पर फायदे में रह सकती है बीजेपी

इन सीटों पर फायदे में रह सकती है बीजेपी

अगर हम 2014 के चुनाव परिणामों पर गौर करें तो यूपी की 6 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी। ये सीटें हैं- गाजियाबाद, सहारनपुर,लखनऊ, कानपुर, बाराबंकी और कुशीनगर। इसबार एसपी-बीएसपी और आरएलडी एक साथ चुनाव लड़ रही हैं। लेकिन कांग्रेस की दमदार मौजूदगी ने उनकी परेशानी बढ़ा रखी है और बीजेपी को उसी से फायदा मिलने की उम्मीद है। इनमें से कुछ सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवार कांग्रेस के मुकाबले कमजोर हैं, जिससे मुस्लिम मतदाताओं के वोट बंटने की संभावना है। इसी तरह कुछ सीटों पर एसपी के कमजोर उम्मीदवारों की वजह से मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच महसूस किया जा रहा है, क्योंकि वहां पर कांग्रेस ने मजबूत उम्मीदवार को जगह दी है। ऐसी एक सीट है सहारनपुर, जहां कांग्रेस ने विवादित चेहरे इमरान मसूद पर भरोसा किया है। यहां के मुस्लिम मतदाताओं पर मसूद की अच्छी पकड़ है, जिससे आखिरकार महागठबंधन के वोट में सेंध लगने का खतरा निश्चित है। लिहाजा यहां बीजेपी के राघव लखन पाल के लिए रास्ता आसान होता दिख रहा है।

कांग्रेस ने राज बब्बर को फतेहपुर सीकरी से टिकट दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बब्बर का मुस्लिम मतदाताओं में अच्छी पकड़ है, लिहाजा माना जा रहा है कि वे इसबार बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। क्योंकि,बब्बर के चलते यहां पर महागठबंधन और कांग्रेस के बीच मुस्लिम वोटों के बंटने की संभावना काफी है। इसका कारण ये है कि वो पहले भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं और उनको मुसलमानों का अच्छा समर्थन भी मिल चुका है। कांग्रेस ने पहले बब्बर को मुरादाबाद सीट दी थी, लेकिन जब वे फतेहपुर सीकरी चले आए तो उनकी जगह इमरान प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद से प्रत्याशी बनाया गया है। शायर प्रतापगढ़ी के मैदान में उतरने से मुरादाबाद में भी महागठबंधन और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच वोटों का बंटना लगभग तय माना जा रहा है।

ऐसी ही एक और सीट है फर्रुखाबाद जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार हैं। यानि यहां भी कांग्रेस और महागठबंधन के प्रत्याशियों में वोटों का बंटना तय लग रहा है। इसी तरह अलीगढ़ की सीट महागठबंधन के रणनीतिकारों को परेशान कर रही है। यहां बीएसपी ने अजीत बालियान को टिकट दिया है, जिनपर बाहरी होने का ठप्पा है। जबकि कांग्रेस ने ब्रिजेंद्र सिंह को टिकट दिया है, जिनका मुसलमानों में अच्छा जनाधार है। जानकारों की मानें तो यहां जाट और मुस्लिम वोट में बंटवारा आखिरकार बीजेपी को ही फायदा पहुंचाने वाला है।

गाजियाबाद सीट पर पिछलीबार केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने 5.67 लाख वोटों के अंतर से कांग्रेस के राज बब्बर को हराया था। इस क्षेत्र में कांग्रेस का अच्छा-खासा प्रभाव है। लेकिन, एसपी-बीएसपी और आरएलडी के गठबंधन ने यहां के मुकाबले को भी त्रिकोणीय बना दिया है। क्योंकि, समाजवादी पार्टी ने कोशिश की है कि कांग्रेस को मिलने वाला ब्राह्मण वोट न बंटे इसलिए उसने यहां पर अपना उम्मीदवार ही बदल दिया है। लेकिन, जब बात मुस्लिमों की आएगी, तो उनके लिए ये तय कर पाना मुश्किल होगा कि वो किसे बीजेपी के मुकाबले में मजबूत मानें- कांग्रेस उम्मीदवार को या महागठबंधन के प्रत्याशी को। लिहाजा, वी के सिंह की लड़ाई इसबार भी ज्यादा मुश्किल होती नहीं दिख रही है।

बाराबंकी, लखनऊ,कानपुर और कुशीनगर में भी कमोवेश ऐसे ही हालात बन रहे हैं, जहां पर कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार होने से मुस्लिम मतों का बंटना तय लग रहा है। मसलन बाराबंकी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया के बेटे तनुज मैदान में हैं, तो लखनऊ में गृहमंत्री राजनाथ सिंह को टक्कर देने के लिए जितिन प्रसाद को उतारे जाने की चर्चा है। कानपुर और कुशीनगर में भी त्रिकोणीय लड़ाई का मैदान तैयार किया जा चुका है और जहां-जहां ऐसी स्थिति बनेगी, बीजेपी उसका फायदा उठाने कोशिश जरूर करेगी।

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भाजपा को ध्रुवीकरण का मिलेगा फायदा

भाजपा को ध्रुवीकरण का मिलेगा फायदा

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से रविवार को जिस तरह से चुनाव प्रचार का आगाज शुरू किया है, उससे तय हो चुका है कि भाजपा राष्ट्रवाद को बड़ा मुद्दा बनाकर विरोधियों के चक्रव्यूह को तोड़ने की कोशिश करेगी। उसकी कोशिश होगी कि आतंकवाद और पाकिस्तान को मुद्दा बनाकर वह ज्यादा से ज्यादा सीटों पर ध्रुवीकरण कराने में कामयाब हो जाए। क्योंकि, अगर यह मुद्दा प्रभावी हुआ और मुस्लिम मतों में विभाजन हुआ तभी बीजेपी का काम आसान हो सकता है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से सहारनपुर में कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद का नाम आतंकी सरगना मौलाना अजहर मसूद से जोड़ा है, उससे बीजेपी की मंशा साफ हो जाती है। तथ्य ये भी है कि 2014 में इमरान मसूद का नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिया बेहद आपत्तिजनक बयान ने ही बीजेपी को आक्रमण का बड़ा हथियार थमा दिया था और बीजेपी उसे काफी हद तक वोट में बदलने में सफल भी रही थी।

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English summary
BJP may get advantage due to Congress in these seats of UP
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