पूर्व सीएम फडणवीस के गढ़ में हार गई भाजपा, नितिन गडकरी के पैतृक गांव में भी नहीं बचा पाई सीट
नई दिल्ली- महाराष्ट्र के नागपुर को भाजपा और आरएसएस का गढ़ माना जाता है, लेकिन बीजेपी को जिला परिषद के चुनाव में यहीं बहुत बड़ा झटका लगा है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये इलाका केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गृह क्षेत्र भी है, लेकिन फिर भी भाजपा को यहां कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन से हार का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़ी बात है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पैतृक गांव की सीट भी पार्टी जीतने में नाकाम रही है। इस चुनाव में शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी से अलग उम्मीदवार उतारा था और उसे 58 में से सिर्फ 1 सीट पर सफलता मिल पाई है। कुल मिलाकर नागपुर जिला परिषद पर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का कब्जा हो गया है।
नितिन गडकरी के पैतृक गांव में भी नहीं बचा पाई सीट
नागपुर जिला परिषद का चुनाव तो बीजेपी हार ही गई है, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पैतृक गांव धापेवाड़ा की सीट भी पार्टी नहीं बचा पाई है। धापेवाड़ा की सीट कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र डोंगरे ने जीत ली है, जहां उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी मारुती सोमकुवर को पराजित किया है। डोंगरे को 9,444 वोट मिले, जबकि सोमकुवर को सिर्फ 5,501 वोट ही मिल सके। गौरतलब है कि जिला परिषद की धापेवाड़ सीट पर बीजेपी का पिछले तीन बार से कब्जा था। नागपुर जिला परिषद में कुल 58 सर्किल (सीटें) हैं, जिसके लिए मंगलवार को वोट पड़े थे। इनमें से 31 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, जबकि बीजेपी के खाते में महज 14 सीटें ही आई हैं। बता दें कि नितिन गडकरी नागपुर से सांसद हैं और देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन, फिर भी यहां से पार्टी को मायूसी मिली है।
प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख के बेटे भी जीते
नागपुर जिला परिषद का परिणाम कांग्रेस और एनसीपी के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। यहां कांग्रेस ने 58 में से 31 सीटें तो जीत ही ली हैं, प्रदेश के गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख के बेटे सलील देशमुख भी परिषद की मंतपजरा सीट से विजयी रहे हैं। इस चुनाव में एनसीपी के 10 और शिवसेना का एक उम्मीदवार जीता है। आपको बता दें कि नागपुर से बीजेपी के दोनों बड़े नेताओं का नाम जुड़े होने के अलावा यह आरएसएस का भी गढ़ रहा है और यहीं उसका हेडक्वार्टर भी है, ऐसे में बीजेपी की पराजय पार्टी के लिए बहुत तगड़ा झटका माना जा रहा है।
इस चुनाव के लिए गडकरी-फडणवीस नहीं आए
नागपुर जिला परिषद का चुनाव कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन में लड़ीं, जबकि शिवसेना ने अपना उम्मीदवार अलग से उतारा था। एक्सपर्ट्स की राय में बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है। क्योंकि, पिछला चुनाव भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने मिलकर लड़ा था, लेकिन इस बार माना जा रहा है कि शिवसेना अलग लड़ी है, इसलिए उसने जो भी वोट हासिल किए हैं, वह भाजपा के ही वोट में सेंध लगाए हैं। बीजेपी की करारी शिकस्त की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि गडकरी और फडणवीस ने इस चुनाव के लिए क्षेत्र का दौरा नहीं किया, जबकि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के उम्मीदवारों की ओर से तीन-तीन मंत्रियों ने वहां खूब जोर लगाया था। ये मंत्री हैं- नितिन राउत, अनिल देशमुख और सुनील केदार। इन नेताओं ने शपथग्रहण के बाद से लगभग यहीं डेरा डाल रखा था।
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