बीजेपी सरकार बंद करेगी सरकारी मदरसा और संस्कृत स्कूल
असम। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली असम सरकार ने फैसला लिया है कि राज्य सरकार के अनुदान से चलाए जा रहे सभी मदरसे और संस्कृत स्कूलों को बंद किया जाएगा। इनमें वो मदरसे शामिल हैं, जो ब्रिटिश काल से चलते आ रहे हैं। सरकार का कहना है कि धर्म की शिक्षा देश के पैसे से नहीं दी जानी चाहिए। राज्य के शिक्षा मंत्री और भाजपा नेता हेमंत बिस्व शर्मा ने बुधवार को कहा है कि ये सभी मदरसे और संस्कृत स्कूल अगले तीन से चार महीने में बंद कर दिए जाएंगे।
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?
शर्मा ने शिक्षा विभाग के एक कार्यक्रम के बाद कहा, 'हम कुछ नहीं कहेंगे अगर कोई अपने पैसे से धर्म की शिक्षा दे। लेकिन देश के पैसे से ये जारी नहीं रह सकता है। अगर हमें अरबी के शिक्षण का समर्थन करना है, तो हमें गीता या बाइबल के शिक्षण की भी अनुमति देनी चाहिए।' उन्होंने ये भी कहा कि इस फैसले का उद्देश्य किसी एक धर्म के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि संस्कृत स्कूलों को बंद करने का भी फैसला लिया गया है। मंत्री ने ये भी कहा है, 'अगर मदरसा केवल धर्म पढ़ाएगा, तो मदरसा से पढ़कर निकलने वाले छात्र डॉक्टर, इंजीनियर और वकील कैसे बनेंगे।'
कितने मदरसे और संस्कृत स्कूल हैं?
असम सरकार के मदरसा शिक्षा बोर्ड के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा संचालित कुल 614 मदरसे हैं। जो राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। 1780 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा असम में मदरसा संस्थानों की स्थापना की गई थी। फिर साल 1915 में शिक्षाविद् मौलाना अबू नसेर मोहम्मद वाहिद द्वारा इनमें और सुधार किया गया। इन मदरसों में इस्लामिक शिक्षा देने के साथ-साथ अन्य विषयों की भी पढ़ाई होती है। वैसे तो संस्कृत स्कूलों की संख्या करीब एक हजार है, लेकिन इनमें से सरकार के अनुदान पर चलने वाले 97 ही हैं। इन संस्कृत स्कूलों में वैदिक शिक्षा के साथ-साथ अन्य विषयों की भी पढ़ाई होती है। इन मदरसों और संस्कृत विद्यालयों की जगह नए स्कूल खोले जाएंगे।
सरकार के फैसले का विरोध हो रहा है
सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए असम अल्पसंख्यक छात्रों के यूनियन (आमसू) ने कहा है कि भाजपा सरकार ऐसा करके मुस्लिमों का शोषण करना चाहती है। वह लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्त सभी मूल अधिकारों से वंचित करना चाहती है। आमसू अध्यक्ष रेजुल कारिम सरकार का कहना है, 'शर्मा बार बार मुस्लिमों को परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं। कभी एनआरसी के माध्यम से तो कभी नौकरी और शिक्षा को अनदेखा करके। ये साजिश है। मदरसे किसी धर्म की शिक्षा नहीं देते। मदरसा में केवल एक ही विषय है, अरबी। इसके अलावा अन्य विषय भी पढ़ाए जाते हैं। जैसे अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जाते हैं।'
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