इस्तीफे के बाद येदुरप्पा के राजनीतिक करियर पर क्या कहते हैं भाजपा नेता
नई दिल्ली। बीता हफ्ता कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा के लिए बेहद उतार-चढ़ाव से भरा रहा। लंबी चली उठापटक के बाद शनिवार को दो दिन तक सीएम रहने के बाद इस्तीफा दे दिया। उनके बहुमत साबित ना कर पाने से भाजपा तो राज्य में सरकार बनाने से चूक ही गई, खुद उनके लिए भी ये बड़ा झटका माना जा रहा है। 75 साल की उम्र पार कर चुके येदुरप्पा के करियर को लेकर भाजपा के नेता भी दबी जुबान में सवाल कर रहे हैं।
क्या कर्नाटक में 'सुप्रीम' बन रहेंगे येदुरप्पा?
बी एस येदुरप्पा को भाजपा ने चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था, उनको सीएम के लिए फेस भी बनाया गया था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद भी क्या वो कर्नाटक में भाजपा का चेहरा उसी तरह से बने रहेंगे, इसको लेकर खुद भाजपा नेताओं के अंदर ही कई अगर-मगर हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा नेताओं का कहना है कि 2019 तक तो उनकी अहमियत बनी रहेगी लेकिन 2019 के लोकसभा के बाद उनकी परेशानी शुरू होगी।
लिंगायत पर येदुरप्पा की पकड़
कर्नाटक में लिंगायतों के 15 फीसदी वोट हैं। येदुरप्पा लिंगायत समुदाय से आने वाले बड़े नेता हैं। एक भाजपा नेता का कहना है कि लिंगायतों का वोट पाने के लिए येदुरप्पा जरूरी हैं इसलिए 2019 तक तो पार्टी में उनकी हैसियत पर असर नहीं होगा लेकिन 2019 के बाद उनकी परेशानी बढ़ेगी। इनका कहना है कि येदुरप्पा के इस्तीफे का इस्तेमाल भाजपा 2019 में जद(एस) और कांग्रेस पर हमले के लिए करेगी।
उम्र भी बनेगी बड़ी चुनौती
एक और भाजपा नेता का कहना है कि पार्टी उन्हें एकदम कहीं हाशिये पर नहीं धकेलने वाली लेकिन ये तो साफ है कि अगले विधानसभा में वो पार्टी का सीएम चेहरा नहीं होने वाले और उनकी उम्र भी इसमें अहम होगी। कर्नाटक में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर हरीश रामास्वामी का कहना है कि उनका वक्त इस्तीफे के साथ खत्म हो गया है, अब वो पार्टी में धीरे-धीरे एल के आडवाणी बनने की तरफ चलेंगे। कई भाजपा नेताओं का कहना है कि पहले भी येदुरप्पा भाजपा से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके हैं, जिसका भाजपा को काफी नुकसान हुआ था। ऐसे में पार्टी एकदम तो उन्हें किनारे नहीं करेगी लेकिन ज्यादातर पार्टी के नेता ये मानते हैं कि उनका वक्त पार्टी में बीत चुका है।
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