बीजेपी नेता ने ओवैसी से पूछा- AIMIM को 15 करोड़ का ठेका मिला है क्या?
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अपनी पार्टी के नेताओं के बयान से परेशान हैं। दूसरी तरफ भारती जनता पार्टी को उनपर निशाना साधने का एक और मौका मिल गया है। एआईएमआईएम के एक कार्यक्रम में लड़की द्वारा पाकिस्तान समर्थित नारा लगाने और पीर्टी के वरिष्ठ नेता वारिस पठान के भड़काऊ बयान के बाद बीजेपी हमलावर हो गई है। शुक्रवार को बीजेपी नेता और प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने इस मुद्दे पर ओवैसी को आड़े हाथ लिया।
बीजेपी नेता ने ओवैसी को लिया आड़े हाथ
एक इंटरव्यू में शाहनवाज हुसैन ने कहा कि एआईएमआईएम के मंच से कभी 'भारत माता की जय' या 'हिंदुस्तान जिंदाबाद' के नारे नहीं लगे हैं उनके मंच से इसी तरह की जहरीली जबान बोली जाती है। बीजेपी नेता ने असदुद्दीन ओवैसी से पूछा है कि आखिर आपने अपने मंच से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालों को क्यों अलाउ (अनुमति) किया? इस देश में किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती कि वह मंच से पाकिस्तान जिंदाबाद की बात करे। उन्होंने आगे कहा कि एआईएमआईएम के लोगों ने यह तय कर रखा है कि वह इस देश में इस तरह के बयान देते रहेंगे। मंच पर महिला को ओवैसी भले ही रोकते हैं लेकिन उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी कौन रोकेगा? वारिस पठान को कौन रोकेगा?
15 करोड़ का ठेका मिला हुआ है क्या?
वारिस पठान के बयान पर शाहनवाज हुसैन ने कहा कि एआईएमआईएम को 15 करोड़ का ठेका मिला हुआ है क्या, गलत फहमी पैदा हो गई है मन में, हिंदुस्तान के अंदर वह भले ही भारत के बंटवारे पर राजनीति करना चाहते हैं लेकिन उनकी बात पर यकीन करने वाला कोई नहीं है। इस मुल्क के मुसलमान भारत से मोहब्बत करते हैं, प्यार करते हैं, एआईएमआईएम को ऐसे लोगों को भड़काना बंद कर देना चाहिए। बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कमलनाथ सरकार के उस फरमान की भी निंदा की है जिसमें उन्होंने हर सरकारी कर्मचारी को नसबंदी करने का आदेश जारी किया था।
कमलनाथ सरकार पर बोला हमला
बीजेपी नेता ने कहा कि कांग्रेस फिर से अपने इमरजेंसी के रास्ते पर वापस आ रही है। इस तरह का तुगलकी फरमान बीजेपी कभी स्वीकार नहीं करेगी और हम कमलनाथ के आदेश के खिलाफ संघर्ष करेंगे। बात दें कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नसबंदी को लेकर एक फरमान जारी किया था, जिसपर बवाल बढ़ गया था। नसबंदी को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से स्वास्थ्य कर्मचारियों को आदेश जारी किया गया था कि कम से कम एक सदस्य की नसबंदी कराएं वरना उनको जबरन वीआरएस दे दिया जाएगा। इसमें कहा गया था कि नसबंदी के टारगेट पूरा ना करने पर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा। हालांकि बवाल बढता देख कमलनाथ सरकार ने यह आदेश वापस ले लिया है।
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