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बीजेपी नेता की मांग- इन 8 राज्यों में हिंदुओं को मिले 'अल्पसंख्यक लाभ', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका खारिज की जिसमें यह मांग की गई थी कि देश के आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रहने वाले हिंदुओं को भी उनकी जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक लाभ दिया जाए। न्यायालय में यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील और भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने तर्क किया कि किसी भी धर्म को राज्यों के अनुसार तय नहीं किया गया है यह राष्ट्र में उपस्थिति के आधार पर तय होता है।

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BJP नेता की मांग - Hindus को मिले 'अल्पसंख्यक लाभ', Supreme Court से याचिका खारिज | वनइंडिया हिंदी
अश्विनी उपाध्याय ने दिया ये तर्क

अश्विनी उपाध्याय ने दिया ये तर्क

बता दें कि मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए उसे खारिज कर दिया है। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि देश के हिंदुओं को भी राज्यों में उसकी जनसंख्या के आराध पर अल्पसंख्यक वाली सुविधाए दी जाएं। इस पर मंगलवार को न्यायमूर्ति बोबडे ने वरिष्ठ वकील मोहन परासरन की याचिका के लिए तर्क दिया। उन्होंने कहा कि संविधान में अल्पसंख्यकों को भाषाई अल्पसंख्यक के रूप में परिभाषित किया गया है न कि राज्य के आधार पर।

अल्पसंख्यक घोषित करने का दिशानिर्देश नहीं

अल्पसंख्यक घोषित करने का दिशानिर्देश नहीं

उन्होंने कहा राज्यों का बंटवारा उनकी भाषा के आधार पर किया गया है न कि धर्म के आधार पर। याचिका पर मोहन परासरन ने कहा कि धर्म एक राष्ट्रीय उपस्थिति है इसे भौगोलिक सीमाओं से नहीं तय किया जा सकता। उनके मुताबिक किसी समुदाय को राज्य में जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक घोषित करने का दिशानिर्देश नहीं है। कई राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम है लेकिन उन्हें दूसरे राज्यों में अल्पसंख्यकों को मिलने वाला लाभ नहीं दिया जा सकता।

जस्टिस बोबडे ने कही ये बात

जस्टिस बोबडे ने कही ये बात

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार और पिछले संविधान पीठ के फैसलों का हवाला दिया जिसमें भाषाई अल्पसंख्यक के बारे में बात की गई थी। जबकि विधि अधिकारी ने याचिका का समर्थन नहीं किया, सीजेआई इस बात पर अड़े रहे कि राज्यों को इस प्रश्न के निर्धारण में इकाइयों के रूप में नहीं लिया जा सकता है। जस्टिस बोबडे ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कौन नहीं जानता कि कौन हिंदू है या मुसलमान या पारसी? दिशानिर्देशों की क्या आवश्यकता है? दिशा-निर्देश कैसे हो सकते हैं? मुझे नहीं लगता कि हमें इस पर विचार करना चाहिए।

यह भी पढ़ें: CAA हिंसा: हम हर घटना पर सुनवाई नहीं कर सकते, पहले हाईकोर्ट जाएं- सुप्रीम कोर्ट

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English summary
BJP leader demands Hindus get minority benefit in these 8 states Supreme Court dismisses plea
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