कांग्रेसमुक्त भारत की ओर बढ़ी बीजेपी, मगर गुजरात ने लगाया अड़ंगा
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नई दिल्ली। कांग्रेस के हाथ से हिमाचल प्रदेश भी निकल चुका है। गुजरात में वापसी की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि 'कांग्रेस मुक्त भारत' का बीजेपी का अभियान आगे बढ़ा है। अब कांग्रेस के पास महज कर्नाटक और पंजाब है। इसमे कर्नाटक में अगले साल चुनाव होने हैं, जबकि पंजाब में कांग्रेस ने इसी साल सत्ता में वापसी की है। सवाल ये है कि क्या वाकई बीजेपी की मंशा के मुताबिक भारत कांग्रेस मुक्त होने जा रही है?
गुजरात में कांग्रेस ने दी टक्कर
गुजरात में कांग्रेस ने बीजेपी को तगड़ी टक्कर दी है। बीजेपी के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की सीट खतरे में पड़ गयी, जबकि खुद मुख्यमंत्री रुपाणी को भी अपनी सीट बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी और वे मतों की गिनती के दौरान आगे-पीछे होते रहे। यहां तक कि हिमाचल में जीत के बावजूद बीजेपी के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की चुनावी प्रतिष्ठा धूमिल होती दिखी। ये चुनौतियां कांग्रेस की तरफ से बीजेपी को मिली है। कम से कम गुजरात के नतीजे ये बताते हैं कि कांग्रेस मुक्त भारत का बीजेपी का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है, बल्कि जनता उन्हें ऐसे नकारात्मक मंसूबे रखने के लिए चेतावनी देती दिख रही है।
मतदाताओं का संकेत : सुधरे कांग्रेस
मतदाता एक और संकेत दे रहे हैं। यह संकेत कांग्रेस के लिए है। कांग्रेस को अपने रवैये में सुधार लाना होगा। बीजेपी के लिए राजनीति के मैदान में निश्चित रूप से कांग्रेस ही सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन तब जबकि कांग्रेस मुद्दों पर आधारित राजनीति करे। भ्रष्टाचार के मामलों में बीजेपी सरकार ने अपना रिकॉर्ड कांग्रेस से बेहतर रखा है। इसका फायदा उसे हो रहा है। कांग्रेस को भी इस विषय पर हिमाचल के नतीजे से सीख लेने की जरूरत है।
स्वर्णिमकाल में बीजेपी
बीजेपी ने उत्तर से लेकर दक्षिण तक एक-एक कर राज्यों को अपनी झोली में डाल लिया है। अब 23 राज्यों पर बीजेपी का कब्जा है। ऐसी राजनीतिक सफलता कभी कांग्रेस को उसके स्वर्णिमकाल में भी नहीं मिली थी। वहीं, महज दो राज्यों के साथ कांग्रेस कभी सिमट गयी हो, ऐसा भी इतिहास में नहीं हुआ।
देश कांग्रेसमुक्त होगी या कांग्रेस युक्त रहेगी?
देश की सियासत कांग्रेस मुक्त हो या कांग्रेस युक्त हो, इसकी कशमकश चल रही है। हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजे कांग्रेसमुक्त भारत के बीजेपी के मंसूबे को पूरा करते दिख रहे हैं जबकि गुजरात के नतीजे कुछ और कह रहे हैं। 22 साल तक गुजरात में बीजेपी का शासन रहा। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यहीं से हैं। बावजूद इसके गुजरात के चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि मतदाता कांग्रेस मुक्त गुजरात नहीं चाहते। बड़ा सवाल ये है कि जब मतदाता गुजरात को कांग्रेसमुक्त नहीं कर रहे हैं और बीजेपी के मंसूबे पर पानी फेर रहे हैं तो देश के स्तर पर क्या कांग्रेस मुक्त भारत को स्वीकार करेंगे?
कांग्रेस के लिए बाकी है उम्मीद
कांग्रेस के लिए यह एक उम्मीद की भी घड़ी है। वह गुजरात चुनाव से सबक लेते हुए देशभर में कांग्रेस को जिन्दा करने की कोशिश कर सकती है। कांग्रेसयुक्त भारत को सुनिश्चित करते हुए अगर राहुल गांधी सियासत करें, तो वह उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द ही कांग्रेस के लिए वक्त बदलेगा।
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