बिहार: चुनावी गणित में आगे निकली बीजेपी, JDU की सबसे ज्यादा सीटों पर RJD से जंग
पटना। बिहार के चुनाव में वैसे तो दोनों गठबंधन की सभी पार्टियां अधिक से अधिक सीटें जीतने की कोशिश कर रही हैं लेकिन इस बार जो समीकरण बने हैं उनमें अभी तक तो गणित में बीजेपी ने अपनी सहयोगी जेडीयू से बढ़त हासिल कर ली है। दरअसल नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू जिन सीटों पर लड़ रही है उनमें सबसे ज्यादा मुकाबला उसका आरजेडी के साथ है।
पिछली बार जेडीयू और आरेजडी ने मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। दोनों पार्टियां 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। इस बार जेडीयू भाजपा के साथ एनडीए में है। भाजपा नेताओं का मानना था कि अगर आरजेडी अधिक सीटों पर लड़ेगी तो मुकाबला कड़ा होगा। जब महागठबंधन में सीट बंटवारा हुआ तो आरजेडी के खाते में 144 सीटें आईं। अब इसे बीजेपी की किस्मत कहिए या संयोग आरजेडी की सीटें बढ़ने पर जो परेशानी होनी है वो ज्यादातर जेडीयू के हिस्से में गई है।
77
सीटों
पर
RJD-JDU
में
मुकाबला
चुनाव
में
77
सीटों
पर
आरजेडी
का
मुकाबला
जेडीयू
से
है।
जेडीयू
इस
बार
एनडीए
में
कुल
115
सीटों
पर
चुनाव
लड़
रही
है।
वैसे
तो
पार्टी
को
122
सीट
मिली
है
लेकिन
कोटे
में
7
सीट
हम
के
हिस्से
में
आई
है।
यानि
कि
इस
चुनाव
में
जेडीयू
को
70
प्रतिशत
सीटों
पर
आरजेडी
से
मुकाबला
है
जबकि
बाकी
की
बची
38
सीटों
पर
ही
जेडीयू
की
राह
थोड़ी
आसान
रहने
की
उम्मीद
है।
बीजेपी
सिर्फ
51
सीटों
पर
आमने-सामने
वहीं
अगर
जेडीयू
की
सहयोगी
बीजेपी
की
बात
करें
तो
इसका
आरजेडी
से
51
सीटों
पर
आमने-सामने
का
मुकाबला
होगा।
एनडीए
में
बीजेपी
के
हिस्से
में
110
सीट
मिली
हैं।
यानि
की
अगर
बीजेपी
के
नेताओं
की
सोच
को
ही
माने
तो
उनके
लिए
बाकी
की
59
सीटों
पर
मुकाबला
उतना
कठिन
नहीं
होगा
जितना
आरजेडी
के
खिलाफ
लड़
रही
51
सीटों
पर
है।
आरजेडी के 5 उम्मीदवार जीतनराम मांझी की हम के खिलाफ हैं जबकि 11 उम्मीदवार उन सीटों पर पर हैं जहां मुकेश सहनी की वीआईपी मैदान में है। यहां ये बात समझनी है कि बीजेपी ने अपने कोटे से वीआईपी को सीट दी है। यानि कि पार्टी ने वीआईपी को सारी की सारी सीटें कठिन मुकाबले वाली दे दी हैं। बीजेपी ने इस बंटवारे में भी अपनी सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा है।
राजद का कहना है कि सीट बंटवारें का निर्धारण जमीनी हकीकत, कार्यकर्ताओं से बातचीत और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर किया जाता है। ये संयोग है कि इसका फायदा एनडीए में बीजेपी को मिलेगा क्योंकि उनका मुकाबला आरजेडी से कम सीटों पर होगा।
चिराग
भी
हैं
नीतीश
की
मुश्किल
वहीं
जेडीयू
के
लिए
एक
और
मुश्किल
चिराग
पासवान
हैं।
जेडीयू
बीजेपी
के
मुकाबले
अधिक
सीटों
पर
आरजेडी
से
लड़
रही
है
वहीं
चिराग
की
लोजपा
भी
उन्हीं
सीटों
पर
अपने
उम्मीदवार
खड़े
कर
रही
है
जहां
से
जेडीयू
के
उम्मीदवार
हैं।
साथ
ही
चिराग
पासवान
अपने
बयानों
से
भाजपा
के
समर्थकों
को
भी
लुभा
रहे
है।
इतना
ही
नहीं
कई
सीटों
पर
भाजपा
से
टिकट
की
उम्मीद
लगाए
हुए
नेता
लोजपा
के
टिकट
पर
मैदान
में
हैं।
इनमें
दिनारा
सीट
भी
है
जहां
से
राजेंद्र
सिंह
लोजपा
के
उम्मीदवार
हैं।
दिनारा
सीट
जेडीयू
के
हिस्से
में
जाने
के
बाद
राजेंद्र
सिंह
ने
भाजपा
के
प्रदेश
उपाध्यक्ष
पद
छोड़कर
लोजपा
का
दामन
थाम
लिया
था।
वे
पिछली
बार
भी
यहां
से
उम्मीदवार
थे
और
मात्र
2691
वोट
से
चुनाव
हार
गए
थे।
इस
बार
उन्हें
बीजेपी
कैडर
का
साथ
मिल
रहा
है।
ऐसी
ही
कई
सीटें
हैं
जहां
से
लोजपा
ने
भाजपा
के
बागियों
को
मैदान
में
उतारा
है।
ऐसे
में
जेडीयू
के
लिए
इन
सीटों
पर
जीत
की
राह
कठिन
हो
सकती
है।
हालांकि बीजेपी बार-बार ये सफाई दे रही है कि सीटें चाहे जो हों बिहार के सीएम नीतीश कुमार ही होंगे। साथ ही भाजपा चिराग पासवान और लोजपा पर वोटरों में भ्रम फैलाने का आरोप लगा रही है। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह भी इस मुद्दे पर सफाई दे चुके हैं।
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