Article 370: मुद्दे को भुनाने के लिए भाजपा ने मैदान में उतारे अपने धुरंधर
बंगलुरु। केंद्र सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाने के कदम पर भाजपा ने देशव्यापी 'जनजागरण अभियान' चलाने का निर्णय लिया है। इस अभियान के माध्यम से भाजपा एक तीर से दो निशाना साधने की फिराक में दिख रही है। इसके लिए भाजपा ने मोदी और शाह की बिग्रेड के धुरंधर खिलाड़ी मैदान में उतार दिए हैं ।आइये जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी इस अभियान के तहत यह धुरंधर खिलाड़ी कौन है और वह कैसे लोगों को इस अभियान से जोड़ कर अपने लक्ष्य को भेदेंगे ?
दरअसल पार्टी की नजर अगले कुछ महीनों में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर टिकी है। इन राज्यों में प्रमुख रूप से जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे अहम राज्यों के विधासभा चुनाव हैं। भाजपा हर हाल में इन चुनाव में अनुच्छेद -370 के मुद्दे को अधिकतम राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। वह देश के लोगों को भावानात्मक रूप से इस अभियान के तहत जोड़े रखना चाहती है।
इस जन जागरण अभियान में भाजपा सभी को यह बताएगी कि आखिर सरकार को यह कदम उठाना आवश्यक क्यों था। इस अभियान के तहत पार्टी ने फिल्म, खेल, शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों से जुड़े लगभग 2000 प्रमुख व्यक्तियों को भी इससे जोड़ेगे। इस अभियान के तहत उनसे मिलकर उन्हें इस कदम को उठाने का कारण बताने का निर्णय लिया है। ताकि विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां लोगों में इसको लेकर सकारात्मक माहौल बना सके। इसके लिए पार्टी पूरे देश में राज्य व जिला स्तर पर इंडोर बैठकों का आयोजन करेगी। इतना ही नही भााजपा इस अभियान के जरिए दुष्प्रचार की भी काट निकालना चाहती है। पार्टी का मानना है कि इस निर्णय को बड़े पैमाने पर जनसमर्थन हासिल है और उसकी कोशिश इस जन समर्थन को अपने लिए वोट के तौर पर बदलने की रहेगी। साथ ही इस कवायद के जरिए पार्टी अनुच्छेद-370 के मुद्दे पर विपक्षी दलों की तरफ से किए जा रहे दुष्प्रचार का जवाब देंगी।
कमेटी के सदस्य और कार्य योजना
इस अभियान को अंजाम देने के लिए भाजपा की कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा कीअध्यक्षता में कमेटी बनाई है। इस कमेटी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्रीअमित शाह की बिग्रेड के ऐसे नेता और मंत्री है जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव की ऐतिहासिक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। इस अभियान की कमेटी में पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष, उपाध्यक्ष जयंत पांडा, राष्ट्रीय सचिव वाई सत्य कुमार के साथ ही केंद्रीय मंत्रियों में से धमेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रहलाद जोशी और जितेंद्र सिंह तथा पूर्व मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, लद्दाख के युवा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल व कर्नाटक के तेजस्वी सूर्या शामिल हैं। इस कमेटी की पहली बैठक मंगलवार को आयोजित हो चुकी है। पार्टी देश के 370 विभिन्न स्थानों पर जिला स्तरीय इंडोर बैठकों में 500 से 1000 लोगों की राय ली जाएगी। इसके अलावा राज्य स्तर पर राजधानियों में 2000 लोगों की मौजूदगी वाली 35 इंडोर बैठकों का भी आयोजन किया जाएगा। राज्य स्तर पर कुछ जगह इन बैठकों को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत अन्य शीर्ष भाजपा नेता भी संबोधित करेंगे। इस कमेटी में शामिल भाजपा के पदाधिकारी और केन्द्रीय मंत्री इस अभियान के सफल होने की कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
संगठन महासचिव बीएल संतोष
इस अभियान की कमेटी में शामिल पार्टी के संगठन महासचिव बी. एल. संतोष एक अच्छे संगठनकर्ता माने जाते है। बातौर प्रचारक वह उत्तर भारत के राज्यों में घूमते रहे हैं तो रणनीति बनाने वाले लोग संगठन के शीर्ष के लोग उन्हें जातने हैं उनको समझते है उनसे उनका सीधा संवाद है। उनकी पैठ दक्षिण ही नहीं उत्तर भारत के राज्यों में भी है। पार्टी के पक्ष में प्रवाह बनाने के लिए जो टीम तैयार करनी है उसके लिए संतोष मुफीद व्यक्ति हैं। बात दें जुलाई माह में रामलाल को भाजपा को संगठन राष्ट्रीय महासचिव को हटा कर बीएल संतोष को महासचिव बनाया गया था। कर्नाटक में पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने के लिए बी. एल. संतोष को एक मजबूत कड़ी के रूप में रहे है। पूर्व में कर्नाटक राज्य में भाजपा की बीएस येदियुरप्पा सरकार बनवाने में बी.एल. सतो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। उस समय भी बतौर प्रदेश संगठन मंत्री बी एल संतोश ने कर्नाटक में भाजपा के प्रति जो लहर थी उन्हें वोटो में परिवर्तित करने का काम सफलतापूर्वक किया था।
उपाध्यक्ष
जयंत
पांडा
ओडिशा
के
बैजयंत
जय
पांडा
लोकसभा
चुनाव
से
पूर्व
भाजपा
के
राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष
और
प्रवक्ता
नियुक्त
किये
गये
थे।
ओडिशा
के
सीएम
नवीन
पटनायक
के
करीबी
मित्रों
में
से
एक
रहे
बैजयंत
पांडा
ने
अब
बगावत
कर
बीजेपी
का
हाथ
थामा
था।
बीजेपी
ने
उन्हें
पार्टी
के
उपाध्यक्ष
पद
पर
भी
नियुक्त
किया
था।ओडिशा
के
सीएम
नवीन
पटनायक
के
करीबी
मित्रों
में
से
एक
रहे
बैजयंत
पांडा
ने
बगावत
कर
बीजेपी
का
हाथ
थाम
लिया
था।
बीजेपी
के
के
पांडा
ओडिशा
के
दिग्गज
राजनीतिज्ञ
है
और
सत्तारू़ढ़
बीजू
जनता
दल
(बीजद)
में
वह
पूर्व
में
चार
बाद
पूर्व
सांसद
भी
रह
चुके
हैं।भाजपा
को
जय
पांडा
के
साथ
मिलने
के
बाद
लोकसभा
और
विधानसभा
चुनावों
में
ओडिशा
में
लाभ
मिला
था।
राष्ट्रीय सचिव वाई सत्य कुमार
लोकसभा
चुनाव
के
समय
भाजपा
ने
राष्ट्रीय
सचिव
वाई
सत्य
कुमार
को
केरल
का
प्रभारी
नियुक्त
किया
गया
था।
महत्वपूर्ण
है
कि
भाजपा
2014
के
चुनाव
में
दक्षिणी
राज्य
के
20
लोकसभा
सीटों
में
से
एक
पर
भी
जीत
दर्ज
नहीं
कर
पाई
थी
और
लेकिन
केरल
जहां
कांग्रेस
की
अगुवाई
वाली
यूडीएफ
और
माकपा
की
अगुवाई
वाली
एलडीएफ
दो
मुख्य
ताकत
हैं।
पिछले
लोकसभा
चुनाव
में
केरल
चुनाव
में
सबरीमाला
मंदिर
मुद्दे
से
भाजपा
को
लाभ
वोटों
की
संख्या
में
बढोत्तरी
के
रूप
में
मिला।
वहां
वोटों
में
लगभग
पांच
सौ
प्रतिशत
की
वृद्धि
हुई
है।
केरल
में
भाजपा
को
को
इस
स्थिति
में
लाना
में
वाई
सत्य
कूमार
का
विशेष
योगदान
रहा।
मालूम
हो
कि
भाजपा
ने
हिन्दू
मतदाताओं
को
लुभाने
की
कोशिश
में
सबरीमला
मंदिर
में
राजस्वला
आयु
की
महिलाओं
के
प्रवेश
के
आदेश
को
लागू
करने
के
खिलाफ
आक्रामक
रूख
अपनाया
था।
प्रतिबंध
हटाने
का
आदेश
उच्चतम
न्यायालय
ने
दिया
था।
कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
ओडिशा से कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान चुनावी राजनीति में भले ज्यादा कामयाब नहीं रहे, लेकिन भाजपा के भीतर वो लगातार मजबूत होते रहे। उन्हें ओडिशा, बिहार व कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया। 2010 में उन्हें भाजपा का महासचिव बनाया गया। इसके दो साल बाद ही उन्हें बिहार से राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। पार्टी संगठन के कामों में धर्मेंद्र प्रधान ने हर बार अपनी उपयोगिता साबित की। 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में मिली कामयाबी का श्रेय धर्मेंद्र प्रधान की कुशल रणनीति को मिला। इसके साथ ही उनकी मोदी सरकार में एंट्री हो गई। पिछली केन्द्र सरकार में धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। इसके साथ ही उन्हें स्किल डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री का अतिरिक्त प्रभार भी मिला था। अटल जी की सरकार में राज्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। 2014 की मोदी सरकार में पेट्रोलियम मंत्रालय का प्रभार संभालते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना को कामयाब बनाया था। इसी के तहत देश के गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिए गए। भाजपा इस योजना की कामयाबी को जनता के बीच ले जाकर चुनावों में उतरी। मोदी सरकार की वापसी में इस योजना की अहम भूमिका रही है। धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा का प्रभारी रहते हुए पार्टी को राज्य में बढ़त दिलाई।
युवा सांसद कर्नाटक के तेजस्वी सूर्या
पेशे से वकील तेजस्वी सूर्या बंगलुरु हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। अनंत कुमार के निधन के बाद भाजपा ने तेजस्वी को बेंगलूरू से प्रत्याशी बनाया था। बेंगलुरु दक्षिण सीट पर भारतीय जनता पार्टी के 28 साल के प्रत्याशी तेजस्वी सूर्या ने कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद को 3,31,192 वोट से हराकर जीत दर्ज करायी थी। । सूर्या इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के सबसे युवा उम्मीदवार थे। वो इस लोकसभा चुनाव में जीतकर भाजपा के सबसे युवा सांसद बन गए।दक्षिण बंगलुर की यह सीट भारतीय जनता पार्टी की परंपरागत सीट थी। पार्टी के दिवंगत नेता अनंत कुमार 1996 के बाद से यहां से रिकॉर्ड छह बार चुने गए थे। लेकिन अनंत कुमार के निधन के बाद खाली हुई इस सीट से पार्टी ने इस बार युवा चेहरे तेजस्वी को उम्मीदवार बनाया था। विधायक एल.ए. रविसुब्रमण्यन के भतीजे हैं। इसके अलावा वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश महासचिव रहे साथ ही पार्टी की नेशनल सोशल मीडिया टीम के भी सदस्य भी हैं। याद रहे कि यह वहीं सूर्या है जिन्होंने भाजपा द्वारा टिकट जाने के बाद सूर्या ने ट्वीट किया था, "हे भगवान! मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री और सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष ने बेंगलौर दक्षिण जैसी प्रतिष्ठित सीट के लिए 28 वर्षीय युवक पर अपना भरोसा जताया है। यह सिर्फ भाजपा में हो सकता है। सिर्फ नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया में।"