Karnataka Bypolls: बागियों की जीत पर टिका है कर्नाटक में बीजेपी सरकार का भविष्य!
बेंगलुरू। कर्नाटक सरकार में सत्तासीन बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को सत्ता से हिलाने के लिए उपचुनाव एक नया भूचाल ला सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार द्वारा अयोग्य ठहराए 15 बागी विधायकों के फैसले पर मुहर लगा दी है।हालांकि अयोग्य ठहराए गए 17 बागी विधायकों को उपचुनाव में शामिल हो सकेंगे, जिसे कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार के लिए राहत की तरह देखा जा रही है।
क्योंकि अगर सुप्रीम कोर्ट अयोग्य ठहराए गए बागी विधायकों के निर्वाचन में हिस्सा लेने पर भी प्रतिबंध लगा देती तो बीजेपी की सरकार के लिए मुश्किल हो सकती थी, क्योंकि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य ठहराए 17 विधायकों के निर्वाचन में शामिल होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को राहत दे दी हैं।
सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बाद कर्नाटक के अयोग्य ठहराए गए विधायकों की खाली हुई 15 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव 5 दिसंबर को होने है। हालांकि अयोग्य ठहराए विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट दायर की गई याचिका में उपचुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी। उनकी मांग थी कि उपचुनाव को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक शीर्ष अदालत उनकी अयोग्यता पर फैसला नहीं सुना देता।
चूंकि अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है और बागियों की अयोग्यता पर मुहर लगा दी है, तो आगामी 5 दिसंबर होने वाले उपचुनाव में बागियों से ज्यादा बीजेपी के लिए जरूर हो गई है, क्योकि कर्नाटक की सत्ता में बने रहने के लिए 15 में से कम से कम 6 सीटों पर जीत उसके लिए अश्वयभावी हो गया है।
गौरतलब है कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस सरकार के 17 बागी विधायकों ने अपना इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए थे, जिसके बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार गिर गई थी।
कर्नाटक के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने विधानसभा में विश्वास मत से एक दिन पहले 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करार दे दिया था।। स्पीकर के फैसले के खिलाफ बागी विधायकों ने अपनी अयोग्यता को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 13 दिसंबर को सुनाए फैसले में एक तरफ जहां स्पीकर केआर रमेश कुमार के निर्णय पर मुहर लगाते हुए सभी 17 बागी विधायकों की अयोग्यता सही ठहराया है, लेकिन दूसरी ओर कोर्ट ने स्पीकर केआर रमेश कुमार के उस फैसले पर नसीहत देते हुए कहा है कि विधानसभा स्पीकर यह तय नहीं कर सकता है कि विधायक कब तक चुनाव नहीं लड़ सकता है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि स्पीकर एक अथॉरिटी जैसे काम करता है, ऐसे में उसके पास कुछ ही ताकत होती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों से नैतिकता की उम्मीद होती है, हम हालात को देखकर केस की सुनवाई करते हैं।
दरअसल, केआर स्पीकर ने बीजेपी में शामिल हुए 15 बागी विधायकों की विधानसभी की योग्यता रद्द करने के साथ साथ उनके 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी है। इन उपचुनावों के दौरान कम से कम छह सीटों पर जीत दर्ज करनी जरूरी है।
लेकिन ताल ठोक रहे कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने विश्वास जताया कि कर्नाटक में अगले महीने होने वाले उपचुनावों में उनकी पार्टी 15 विधानसभा सीटों में कम से कम 12 पर जीत हासिल करेगी और अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी की कर्नाटक सरकार के लिए यह मुश्किल भरा हो सकता है।
उधर, बीजेपी और जेडीस के बीच जारी आपसी तालमेल ने कांग्रेस की नींद उड़ा रखी है। हालांकि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और जेडीएस के बीच तालमेल पर संदेह जताया है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी ऑपरेशन कमल (विरोधी पार्टी के विधायकों को गलत तरीके से निशाना बनाना) जैसे किसी कृत्य में शामिल नहीं होगी।
कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने कहना है कि उपचुनाव में कांग्रेस 12 सीटें जीतेगी और अगर सभी 15 सीटें जीत जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी उपचुनाव में 15 में 10 सीट आराम से जीत लेगी, क्योंकि बीजेपी उन्हीं बागी विधायकों को मैदान में उतारा है, जो वर्ष 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उन सीटों से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, जो उनके अयोग्य ठहराए जाने से खाली हुई है।
उल्लेखीय है कर्नाटक में अयोग्य ठहराए गए विधायकों की 17 में से 15 सीटों पर उपचुनाव होने हैं और कांग्रेस ने खाली हुईं 15 सीटों में से 8 सीटों पर पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। अयोग्य ठहराए गए विधायकों में 14 बागी विधायक कांग्रेस से थे और 3 बाकी विधायक जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के थे, जिन्होंने जुलाई में अपनी-अपनी विधानसभा क्षेत्रों से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के बाद उपचुनाव कराए जा रहे हैं।
कर्नाटक विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने पार्टी व्हिप की कथित रूप से उपेक्षा करने पर 25-28 जुलाई को सभी 17 विधायकों को अयोग्य ठहराया था, लेकिन मुस्की (रायचूर जिला) और आर.आर. नगर (बेंगलुरू दक्षिण-पश्चिम) में मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों पर कर्नाटक हाईकोर्ट में मुकदमे के कारण रोक लगा दी थी इसलिए सिर्फ 15 विधानसभा सीटों पर ही उपचुनाव कराए जा रहे हैं।
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार के अनुसार राज्य में 5 दिसंबर को अथानी, कागवाड, गोकक, येल्लापुरा, हीरेकेरूर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबल्लापुरा, के.आर. पुरा, यशवंतपुरा, महालक्ष्मी लेआउट, शिवाजीनगर, होसकोट, के.आर. पेटे, हुनसूर में उपचुनाव कराए जाएंगे और उपचुनावों की मतगणना 9 दिसंबर की होगी।
मालूम हो, कर्नाटक में उपचुनावों के लिए नामांकन 11 नवंबर से 18 नवंबर तक किए जा सकेंगे और उनकी जांच 19 नवंबर तक होगी। कैंडीडेट्स द्वारा 21 नवंबर तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे।
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बीजेपी ने अयोग्य ठहराए गए विधायकों को ही बनाया है उम्मीदवार
कांग्रेस-जद(एस) के अयोग्य ठहराए गए 17 विधायकों को बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। 5 दिसंबर को अथानी, कागवाड, गोकक, येल्लापुरा, हीरेकेरूर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबल्लापुरा, के.आर. पुरा, यशवंतपुरा, महालक्ष्मी लेआउट, शिवाजीनगर, होसकोट, के.आर. पेटे, हुनसूर में उपचुनाव कराए जाएंगे और उपचुनावों की मतगणना 9 दिसंबर की होगी।
21 नवंबर तक अपना नाम वापस ले सकेंगे उम्मीदवार
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार के अनुसार राज्य में 5 दिसंबर को उपचुनाव कराए जाएंगे और और उपचुनावों की मतगणना 9 दिसंबर को कराई जाएगी। उपचुनावों के लिए नामांकन 11 नवंबर से 18 नवंबर तक किए जा सकेंगे और उनकी जांच 19 नवंबर तक होगी। कैंडीडेट्स द्वारा 21 नवंबर तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे।
9 दिसंबर को येदियुरप्पा सरकार की होगी एक और परीक्षा
कर्नाटक विधानसभा की खाली हुई कुल 17 विधानसभा सीटों में 15 विधासभा सीटों पर राज्य चुनाव आयोग आगामी 5 दिसंबर को उपचुनाव कराएगी। जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें अथानी, कागवाड, गोकक, येल्लापुरा, हीरेकेरूर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबल्लापुरा, के.आर. पुरा, यशवंतपुरा, महालक्ष्मी लेआउट, शिवाजीनगर, होसकोट, के.आर. पेटे, हुनसूर का नाम शामिल हैं जबकि दो विधानसभा सीट क्रमशः मुस्की विधानसभा और आर.आर.नगर में उपचुनाव नहीं कराए जा रहे हैं, क्योंकि मई, 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुकदमे के चलते रोक लगा दी थी।
बीजेपी और जेडीएस में आतंरिक तालमेल की सुगबुगाहट
जेडीएस के बीजेपी के करीब आने की अटकलें तेज हैं। इस बारे में पूछने पर सिद्धारमैया ने भी गोल मोल जवाब देने के बजाय कहा कि उन्हें नहीं पता कि दोनों दलो के बीच क्या आंतरिक समझ बन रही है, क्योंकि जिस तरह मीडिया को संदेह है, उसी तरह मुझे भी संदेह है कि दोनों दलों के बीच आंतरिक तालमेल हो सकता है।