बिहार चुनाव से पहले अकाली दल ने BJP को दिया बड़ा झटका, विपक्ष के हाथ लगा हमले का बड़ा मौका
नई दिल्ली। कोरोना महामारी, आर्थिक मंदी और सीमा पर चीनी आक्रामकता के बीच केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को गुरुवार को अपने एक पारंपरिक सहयोगी अकाली दल द्वारा साथ छोड़ने को बिहार चुनाव से पहले एनडीए को लगे एक बड़े के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, गुरूवार को अकाली दल कोटे से मोदी कैबिनेट में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने कृषि क्षेत्र से जुड़े एक बिल को लेकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
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मोदी सरकार 2.0 में दो सबसे पुराने सहयोगी एनडीए से बाहर हो चुके हैं
गौरतलब है केंद्र में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा कमर कस रही है। ऐसे समय में शिवसेना के बाद अकाली दल यानी दो सबसे पुराने सहयोगी अब सरकार से बाहर हो चुके हैं।।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो चुकी है
अकाली दल के पहले शिवसेना ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग हो चुकी है और अब एसएडी नेता हरसिमरत कौर बादल ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार छोड़ दी हैं। हालांकि उनकी पार्टी अभी भी एनडीए का हिस्सा बनी हुई है
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दिया
एसएडी के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल की बहू हरसिमरत कौर ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उनकी पार्टी किसान विरोधी कानून का समर्थन नहीं कर सकती है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में पारित हुए तीन विधेयकों को ऐतिहासिक कृषि सुधार बिल करार दिया है।
लोकसभा में कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना ऐतिहासिक हैः PM मोदी
लोकसभा द्वारा विधेयकों के पारित होने के एक घंटे के भीतर एक ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा, लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। ये बिल किसानों को बिचौलियों और बाधाओं से मुक्त करेंगे। साथ ही, उन्होंने कहा, "बहुत सारी शक्तियां किसानों को भ्रमित करने में लगी हुई है। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। यह बिल वास्तव में किसानों को कई और विकल्प देकर सशक्त बनाने जा रहे हैं।
हरसिमरत कौर का इस्तीफा भाजपा के लिए काफी मायने रखता है
माना जा रहा है कि गुरूवार को अकाली दल नेता हरसिमरत कौर का मंत्री पद से इस्तीफा भाजपा के लिए कई मायने रखता है, क्योंकि LAC पर चीन के साथ आक्रामता, कोरोना महामारी, आर्थिक मंदी के मुद्दे, बेरोजगारी मुद्दों के तनाव के बीच केंद्र सरकार को बिहार चुनाव में घेरने के लिए विपक्ष को नए सिरे से मौका मिलेगा। इसके अलावा, भाजपा को संघीय शक्तियों के दायरे में आने वाले कानून को आगे बढ़ाकर राज्यों के अधिकारों को नेस्तनाबूद करने के विपक्षी आरोपों से भी लड़ना होगा।
कृषि पॉवरहाउस वाले राज्यों में भी केंद्र के कृषि बिल का विरोध हुआ
उल्लेखनीय है लोकसभा में पारित हो चुकीं कृषि बिलों पर सरकार के कदम का विरोध उन राज्यों में भी हुआ है, जिन्हें कृषि पॉवरहाउस माना जाता है और जो देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह ऐसे समय में है जब सरकार महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों के संकट के बीच मुफ्त राशन और खाद्य सुरक्षा के प्रावधान पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
कृषि बिलों के खिलाफ भी मतदान कर सकता हैं अकाली दलः भाजपा नेता
हालांकि गुरुवार की सुबह तक भाजपा नेता यह तर्क दे रहे थे कि खेत के बिलों पर एसएडी का मतभेद सरकार या सत्तारूढ़ गठबंधन को प्रभावित नहीं करेगा। बकौल वरिष्ठ भाजपा नेता, हमने उन्हें मनाने की कोशिश की और कहा कि वो बिलों के खिलाफ भी मतदान कर सकते हैं, बावजूद इसके कि बिल कृषि क्षेत्र के लिए ठीक है। यहां तक कि धारा 370 और सीएए को निरस्त करने जैसे मुद्दों पर बिहार में एनडीए की सहयोगी जेडीयू एक अलग राय थी। वैसे, जदयू केंद्र सरकार का हिस्सा नहीं है।
बीजेपी को खल रही है दिवंगत नेता अरुण जेटली की अनुपस्थिति
सूत्रों ने बीजेपी में अरुण जेटली जैसे दिग्गज नेता की अनुपस्थिति की ओर इशारा किया, जो भाजपा के साथ पंजाब के साथी को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। पार्टी नेताओं ने कहा कि जेटली के प्रयासों के कारण एसएडी गठबंधन का हिस्सा बना रहा, जबकि बीजेपी की वैचारिक माता-पिता आरएसएस द्वारा आरक्षण विरोधी बयान दिया गया था।
कांट्रैक्ट खेती को कई राज्यों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है: भाजपा
कानूनी मोर्चे पर अपनी चाल को सही ठहराते हुए भाजपा ने तर्क दिया कि "कांट्रैक्ट खेती" को कई राज्यों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है और यह निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के जरिए किसानों और बाजारों के बीच संबंधों में सुधार के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करेगा।
19 राज्यों ने पहले से ही कानून को अपनाने के लिए कदम आगे बढ़ा दिए हैं
उन्होंने यह भी बताया कि कम से कम 19 राज्यों ने पहले से ही कानून को अपनाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं, जो निजी बाजार यार्ड और प्रत्यक्ष खरीद-बिक्री को अनुमति देता है। उन्होंने जोड़ते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में इन सुधारों की पहल यूपीए सरकार की थी।
कांग्रेस ने 2019 में अपने घोषणापत्र में प्रस्तावित बिल का उल्लेख किया है
पार्टी के एक और नेता ने कहा कि कांग्रेस ने 2019 में अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि वे कृषि उपज बाजार समितियां अधिनियम को निरस्त करेंगे और कृषि उपज में व्यापार लागू करेंगे, जहां निर्यात और अंतर-राज्यीय व्यापार सभी प्रतिबंधों से मुक्त होंगे।