गुजरात में 99 पर क्यों सिमटी भाजपा, अब सामने आई अंदर की वजह
नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं, बीजेपी एक बार फिर से सबसे बड़ी पार्टी बनकर सत्ता में काबिज हो गई है, बावजूद इसके इस चुनाव में बीजेपी को उस तरह की कामयाबी नहीं मिली जिसकी उम्मीद पार्टी को रही होगी। जानकारी के मुताबिक कई छोटे मुद्दों ने गुजरात में बीजेपी का खेल बिगाड़ा है। इसमें सबसे अहम रहा गुजरात सरकार का 'केरोसिन मुक्त गुजरात' बनाने की पहल का मुद्दा, जिसका इस बार के चुनाव में खासा असर देखने को मिला। टीओआई में छपी खबर के मुताबिक बीजेपी के आंतरिक सर्वे में इसका खुलासा हुआ है कि सरकार को कई छोटे-छोटे मुद्दों ने नुकसान पहुंचाया। सीटों की संख्या कम रहने के पीछे यही अहम वजह भी माना जा रहा है। पढ़िए पूरा मामला...
बीजेपी आंतरिक सर्वे में खुलासा
भारतीय जनता पार्टी के आंतरिक सर्वे में जो सामने आई उसके मुताबिक गुजरात चुनाव में बीजेपी की जीत का अंतर कम रहने की अहम वजह शहरी और ग्रामीण इलाकों में वोट का अंतर ही नहीं रहा। टीओआई में छपी खबर के मुताबिक इन नतीजों के पीछे कई और छोटे-छोटे कारण जिम्मेदार हैं, जिसमें गुजरात की विजय रूपाणी सरकार की ओर से प्रदेश में प्रदूषण कम करने और केरोसीन की कालाबाजारी रोकने के लिए उठाए गए जरूरी कदम भी अहम हैं।
छोटे-छोटे मुद्दों ने दिखाया बड़ा असर
गुजरात सरकार की कोशिश प्रदेश को केरोसीन मुक्त बनाने की थी लेकिन सकार को विधानसभा चुनावों में इस फैसले का नुकसान उठाना पड़ा। खास तौर से समुद्र तट से लगे हुए इलाकों में मछली पालन से जुड़े लोग 'केरोसीन मुक्त' गुजरात की पहल से नाराज नजर आए। चुनाव नतीजों में ये बात साफ नजर आई है। इसके साथ-साथ एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल) ने गुजरात के समुद्री इलाकों में रेत-खनन पर रोक लगाई। इसकी वजह से भवन निर्माण से जुड़ी सामग्रीम महंगी हो गई, जिसका नुकसान भी बीजेपी की चुनाव में उठाना पड़ा।
2019 के लिए पार्टी बना रही खास रणनीति
फिलहाल गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में सबसे अहम फैक्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव प्रचार रहा। उन्होंने जिस तरह से प्रदेश में 30 से ज्यादा रैलियां की इसका असर गुजरात के वोटरों में दिखा और बीजेपी ने जीत दर्ज की। हालांकि अब पार्टी की निगाहें अब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है, ऐसे में पार्टी की अपनी इन कमियों को दूर करने की कवायद में जुट गई है। किसानों के मुद्दे, केरोसीन समेत दूसरे छोटे-छोटे मुद्दों को साधने की कोशिश करेगी।