लोकसभा चुनाव 2019: भाजपा के कई सहयोगियों में गठबंधन को लेकर नाराजगी, चुनावों में पड़ सकता है ये असर
नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए जहां एक तरफ बीजेपी सहयोगी पार्टियों के साथ गठबंधन का ऐलान कर रही है और चुनाव पूर्व नए गठबंधन पर फोकस कर रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए के अंदर गठबंधन को लेकर घमासाना मचा हुआ है। कई सहयोगी पार्टियां इस बात से नाराज हैं कि उन्हें गठबंधन में तवज्जो नहीं दी जा रही है। इसमें महाराष्ट्र में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश में अपना दल (सोनेलाल) प्रमुख हैं। इससे दो दिन पहले बुधवार को मेघालय के प्रमुख क्षेत्रीय दल यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने उत्तरपूर्व में भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्वोत्तर प्रजातांत्रिक गठबंधन (नेडा) से नाता तोड़ने की घोषणा की है। जो लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए बड़ा झटका है।
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक और भाजपा के अपने आंतरिक आकलन में कहा गया है कि भाजपा को हिंदी बेल्ट में उसके खिलाफ बनने वाले महागठबंधन से कड़ी टक्कर मिल रही है। इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार प्रमुख हैं। साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने यूपी में 71 सीटें जीती थी वहीं भाजपा ने बिहार की 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 22 सीटें जीती थी। इस बार बिहार में जहां उसने जेडीयू और एलजीपी के साथ गठबंधन किया है वहीं उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी एनडीए से बाहर जा चुकी है।
पांच साल में एनडीए से 17 पार्टियां बाहर
भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए से पांच सालों में करीब 17 पार्टियां बाहर निकल चुकी है। हाल ही में एनडीए से बाहर निकलने वाली पार्टी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) है। यूडीपी मेघालय की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी है। नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसे लेकर पूर्वोत्तर की कई पार्टियां उससे नाराज हैं और विपक्ष इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बना सकता है। पूर्वोत्तर में 25 लोकसभा सीटें आती हैं। बीजेपी के पास फिलहाल यहां की 8 सीटें है। वहीं कांग्रेस के पास भी 8 सीटें है और बाकी सीटें क्षेत्रीय दलों के कब्जे में है। ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल पर उसे लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। यूडीपी के अलावा मेघालय के मुख्यमंत्री और एनपीपी अध्यक्ष कोनराड संगमा भी एनडीए से नाता तोड़ने की चेतावनी दे चुके हैं। इससे पहले असम की मुख्य पार्टी असम गढ़ परिषद भी एनडीए से गठबंधन तोड़ चुकी है। एनडीए छोड़ने वाली पार्टियों में मुख्य पार्टी टीडीपी हैं। तेलगुदेशम ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ना देने के मुद्दे पर एनडीए से नाता तोड़ दिया था। नायडू अब एनडीए के खिलाफ बनने वाले गठबंधन के लिए पूरजोर कोशिशें कर रहे हैं। वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के संपर्क में हैं। इस महीने उन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर में केंद्र सरकार के खिलाफ एक दिन का अनशन किया था। इस अनशन को समर्थन देने के लिए विपक्ष की तरफ से अरविंद केजरीवाल,ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने मंच सांझा किया था।
यूपी में भाजपा को अनुप्रिया पटेल देंगी झटका!
उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए इस बार सबसे ज्यादा मुश्किलें हैं। जहां एक तरफ उसे सपा-बसपा के मजबूत गठबंधन का सामना करना है। वहीं कांग्रेस भी इस चुनाव में हार मानती नहीं दिख रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद ये बात कह चुके हैं कि वो सूबे में फ्रंटफुट पर खेलने को तैयार है। राहुल ने अपनी बहन प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारकर बड़ा दांव चला है। प्रियंका को पार्टी का महासचिव बनाने के साथ ही उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। पूर्वांचल में पीएम मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का संसदीय क्षेत्र आता है। ऐसी आंशकाए जताई जा रही है कि बीजेपी के सवर्ण वोट को प्रियंका कांग्रेस में ट्रांसफर कर सकती है। वहीं दूसरी तरफ एनडीए में सहयोगी रही अपना दल(एस) सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी से नाराज हैं। वो खुले तौर पर इस पर विरोध जता चुकी हैं। इसी के तहत अपना दल(एस) की संरक्ष अनुप्रिया पटेल और अध्यक्ष आशीष पटेल ने गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा हुई। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि 28 फरवरी को अनुप्रिया पटेल एनडीए से अलग होने और कांग्रेस के साथ गठबंधन का ऐलान कर सकती हैं। वहीं प्रियंका से मुलाकात को आशीष पटेल ने टिप्पणी से इनकार कर दिया और कहा कि हमारी नहीं सुनी गई और अब हम निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं अनुप्रिया पटेल ने कहा कि बीजेपी को सहयोगी दलों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है अब अपना दल स्वतंत्र है अपना रास्ता चुनने के लिए 28 फरवरी पार्टी की बठक में आगे की रणनीति तय होगी। गौरतलब है कि 2014 के लोक सभा चुनाव में अपना दल और बीजेपी के बीच गठबंधन हुआ था और अपना दल कोसात सीटें मिली थीं। इनमें से दो सीट पर उसे जीत मिली थी।
अठावले शिवसेना-भाजपा गठबंधन से नाराज
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का ऐलान मंगलवार को हुआ था। दोनों पार्टियों ने इस गठबंधन में किसी और पार्टी को शामिल नहीं किया। अमित शाह और उद्धव ठाकरे ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में भाजपा 25 और शिनसेना 23 सीटों पर चुनाव लडे़गी। पिछली बार भाजपा ने 26 और शिवसेना ने 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की अन्य पार्टियां इसमें जगह ना मिलने से नाराज हैं। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के नेता रामदास आठवले ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस गठबंधन में अपनी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने से वो उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। राज्यसभा सांसद आठवले ने कहा कि मैं लंबे समय से बीजेपी -शिवसेना गठबंधन पर जोर देता आ रहा हूं। लेकिन दोनों दलों ने आपस में सीटों के बंटवारे में मुझे बिल्कुल दरकिनार रखा। यह हतोत्साहित करने वाला है। मुझे लगता है कि बीजेपी के लिए मैं अब किसी मतलब का नहीं रहा। मैं एनडीए से अलग नहीं हो रहा हूं, लेकिन 25 फरवरी को आगे भविष्य के बारे में फैसला क ऐलान करेंगे। इन परिस्थितियों में भाजपा के खिलाफ बनने वाले महागठबंधन में कई पार्टियां और शामिल हो सकती हैं, जिसका नुकसान निश्चित तौर पर भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए को होता दिख रहा है।