दिल्ली विधानसभा चुनाव: BJP नहीं दोहराएगी 2015 की गलती, बिना CM चेहरे के चुनाव लड़ेगी
नई दिल्ली: दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है। बीजेपी ने साल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में की गई गलती से सबक लेकर बड़ा फैसला लिया। बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिना मुख्यमंत्री चेहरे के उतरेगी। बीजेपी के सूत्र ने ये जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया गया है, जबकि बीजेपी ने अभी तक शुरुआत नहीं की है। हम 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद इसकी शुरुआत करेंगे।
आप ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में फोकस किया
अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप ने लोकसभा चुनाव 2019 में खराब प्रदर्शन के बाद पूरा ध्यान दिल्ली में फोकस कर लिया है। पार्टी इन दिनों विरोधी पार्टियों से टकराव की जगह विभिन्न परियोजनाओं और जनता से किए गए वादे पूरा करने में लगी हुई है। वहीं चुनावों से पहले तैयारी और रणनीतियों के लिए जाने जानी वाली बीजेपी ने अपना चुनाव अभियान अभी तक शुरू नहीं किया है। पार्टी नेताओं ने स्वीकार किया कि इसका प्रमुख कारण आतंरिक मतभेद और शीर्ष नेताओं के बीच मनमुटाव हैं।
बीजेपी का सीएम पद को लेकर बड़ा फैसला
बीजेपी नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी दुविधा ये थी कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी से मुकाबला करने के लिए पार्टी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए कि नहीं, मगर राज्य ईकाई में चल रहे आतंरिक झगड़े को देखते हुए पार्टी ने ऐसा नहीं किया। दिल्ली इकाई में बीजेपी के तीन बड़े नेता केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और दिल्ली बीजेपी के चीफ मनोज तिवारी चुनावों में जीतने पर शीर्ष पद का सपना संजोए हुए हैं। तीनों नेताओं के समर्थक चाहते हैं कि पार्टी चुनावों से पहले उनके नेता का ऐलान सीएम पद के उम्मीदवार के लिए करें। सूत्रों ने बताया कि दो अन्य केंद्रीय मंत्रियों के नाम भी संभावित सीएम पद के उम्मीदवारों के तौर पर चर्चा में हैं।
गुटबाजी ने नुकसान किया
दिल्ली में पार्टी नेताओं के बीच आतंरिक कलह की वजह से पार्टी को पहले भी चुनावों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। दिल्ली ईकाई में आतंरिक कलह बड़ा मुद्दा रहा है। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि लेकिन अब, बीजेपी एक कैडर पार्टी है और नेतृत्व बहुत शक्तिशाली है। इसलिए पूरा भरोसा है कि इस समस्या पर नियंत्रण पा लिया जाएगा। इसके अलावा बीजेपी नेतृत्व साल 2015 में की गई गलती को दोहराने से परहेज करने की कोशिश में हैं।
साल 2015 में किरण बेदी को बनाया था उम्मीदवार
गौरतलब है कि पार्टी ने साल 2015 में पहली महिला आईपीएस किरण बेदी को सीएम का उम्मीदवार बनाया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बावजूद पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। किरण बेदी खुद कृष्णा नगर से चुनाव हार गई थी। वहीं आप को 70 में से 67 सीटें मिली थी। बीजेपी के अन्य नेता ने कहा कि बीजेपी अब अधिक मजबूत है, पार्ची मामलों में नेतृत्व की पकड़ मजबूत है। हमने अपनी खोई जमीन पा ली है। हाालंकि उन्होंने स्वीकार किया कि दिल्ली का चुनाव आसान नहीं होगा।
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