बीजेपी, कांग्रेस समेत अन्य राष्ट्रीय पार्टियां RTI के दायरे से बाहर नहीं: चुनाव आयोग
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नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा है कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) की घोषणा के बाद राष्ट्रीय पार्टियां पब्लिक अथॉरिटी होने की वजह से सूचना का अधिकार (RTI) एक्ट के अंतर्गत आती है। चुनाव आयोग ने इस बात की पुष्टी तब की है, जब उन्हीं के ही एक पैनल ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियां आरटीआई एक्ट के दायरे से बाहर है। आयोग का यह आदेश केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देश के विपरीत था, जिसने छह राष्ट्रीय दलों को पारदर्शिता कानून के तहत लाने का निर्देश दिया है।
चुनाव आयोग ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि केंद्रीय सूचना आयोग ने 3 जून 2013 को राष्ट्रीय पार्टियों को आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी घोषित किया था। अपने निर्देश में सीआईसी ने कहा है कि पार्टियों को मिलने वाले कंट्रीब्यूशन और उनके एन्यूअल ऑडिट अकाउंट को आयोग में जमा कराने के साथ-साथ पब्लिक डोमेने में भी डाल दिए जाए।
पुणे के रहने वाले विहार ध्रुव ने आरटीआई के माध्यम से छह राष्ट्रीय दलों- भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा समाजवादी पार्टी द्वारा इलेक्टोरल बॉंड के माध्यम से जुटाए गए चंदे की जानकारी मांगी थी।
अपने आदेश के पहली अपील में आयोग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'आयोग में आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह राजनीतिक दलों से संबंधित है और वे आरटीआई के अधिकार से बाहर हैं।'
चुनाव आयोग में प्रथम अपीलीय अधिकारी केएफ विलफ्रेड ने आदेश में लिखा कि वे सीपीआईओ के विचारों से सहमत हैं। जिन 7 राजनीतिक दलों के बारे में सूचना मांगी गई है उनमें से छह- भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, भाकपा और माकपा को आयोग की पूर्ण पीठ ने 3 जून 2013 को आरटीआई कानून के दायरे में लाया था।
हालांकि, उच्च न्यायालयों में आदेश को चुनौती नहीं दी गई है, लेकिन राजनीतिक दलों ने उन पर निर्देशित आरटीआई आवेदनों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। कई कार्यकर्ताओं ने सीआईसी आदेश के अनुपालन के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां मामला अभी भी लंबित है।