जमशेद पूर्वी का आंखों देखा हाल : क्या नॉट आउट रहेंगे रघुबर, छक्का लगा कर फिनिश करेंगे मैच?
नई
दिल्ली।
रघुवर
दास
जमशेदपुर
पूर्वी
सीट
पर
लगातार
पांच
चुनाव
जीत
चुके
हैं।
वोटरों
से
मिले
फीडबैक
के
मुताबिक
इस
बार
भी
रघुवर
के
जीतने
की
संभावना
है।
सरयू
राय
और
गौरव
वल्लभ
की
चुनौतियों
से
सिर्फ
इतना
ही
फर्क
पड़ने
वाला
है
कि
रघुवर
की
जीत
का
अंतर
कम
हो
जाएगा।
2014
में
रघुवर
70
हजार
157
मतों
से
जीते
थे।
तब
रघुवर
को
एक
लाख
तीन
हजार
सताइस
वोट
मिले
थे।
विधानसभा
चुनाव
के
लिहाज
से
ये
बंपर
फिगर
है।
2019
के
चुनाव
में
सरयू
राय
की
चुनौती
से
रघुवर
के
वोट
बैंक
में
सेंध
लगी
है।
इस
सेंधमारी
से
जीत
की
मार्जिन
अगर
दस
हजार
से
भी
कम
हो
जाए
तो
कोई
अचरज
नहीं।
यानी
मुख्यमंत्री
रघुवर
की
कश्ती
लहरों
की
थपेड़ों
के
बाद
भी
किनारे
लगती
दिख
रही
है।
पेश
है
जमशेदपुर
से
चुनावी
मैच
का
आंखों
देखा
हाल।
छक्का लगा कर फिनिश करेंगे मैच
बारीडीह चौक के पास वोट देकर लौट रहे कुछ नौजवानों से मुलाकात होती है। चलते-चलते उनसे पूछा, कैसा चल रहा है ? किसके निकलने की उम्मीद है ? पहले तो वे सवाल को टालते हैं। लेकिन बहुत कुरेदने पर संकेतों में ही अपनी बात कहते हैं। क्रिकेट में गहरी दिलचस्पी रखने वाले एक वोटर ने कहा, आरडी नॉट आउट रहेंगे और इस बार छक्का लगा कर मैच फिनिश करेंगे। मैं पूछता हूं, क्या आप रघुवर दास की छठी जीत की बात कर रहे हैं ? तब वह शरारत से मुसकुरा कर कहता है, नहीं मैं तो रवीन्द्र जडेजा की बात कर रहा था। बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ता है। एक और सवाल उनकी तरफ उछालता हूं, आपके हिसाब से किसको जीतना चाहिए ? क्रिकेट का क्रेजी युवक तपाक से बोलता है, जो बल्लेबाज रन बना रहा है उसे ही जीतना चाहिए। मेरे हिसाब से वह मैच निकाल रहा है। पिछले पांच मैचों का वह सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज है। इस बार लोस्कोरिंग मैच में उसकी हाफसेंचुरी भी काफी होगी। वैसे अभी तो दिन के ग्यारह ही बजे हैं। काफी ओवर पड़े हैं। आप इतनी जल्दी ये सब क्यों पूछ रहे हैं। चलते हैं, 23 को अवार्ड फंक्शन में मुलाकात होगी।
रिवेंज मैच की स्कोरिंग में पिछड़ते दिखे सरयू
दिन के साढ़े ग्यारह बजे हैं। चाय की तलब लगती है। दुकानें बंद हैं। बिरसा नगर में रहने वाले एक मित्र के घर पर पहुंचता हूं। स्नैक्स के साथ चाय आती है। जब हाथ में चाय की प्याली हो तो बतकही यूं ही परवान चढ़ जाती है। टीवी पर 11 बजे तक 21 फीसदी मतदान की खबर फ्लैश हो रही थी। मित्र तो वैसे बैंक के मुलाजिम हैं लेकिन समसामयिक घटनाओं में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। वे कहते हैं, सरयू राय बेशक अच्छे उम्मीदवार हैं, उनसे सहानुभूति भी है। लेकिन वे रिवेंज गेम खेल रहे रहे हैं। उनको जीतने से अधिक ऱघुवर दास को हराने में दिलचस्पी है। अब वे 86 बस्ती के घरों को बचाने की बात कर रहे हैं। वे खुद मंत्री थे। जमशेदपुर की बस्तियों को नियमित करने के लिए उन्होंने क्यों नहीं इस्तीफा दिया था। उन्होंने इस्तीफा तब दिया जब टिकट कट गया। सरयू राय एक चुनाव हार चुके हैं जब कि रघुवर दास 1995 से आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं। रघुवर दास कई मोर्चों पर नाकाम रहे हैं लेकिन उन्होंने पांच साल तक स्थिर सरकार चला कर राज्य को अनिश्चितता के दौर से बाहर निकाला है। झारखंड में स्थायी और मजबूत सरकार की सख्त जरूरत है। सरयू राय, रघुवर की पिच पर बैटिंग कर रहे हैं। मैंने जिस बूथ पर वोट डाला वहां रघुवर समर्थकों की लंबी लाइन थी। मेरी समझ से सरयू के रन कम पड़ जाएंगे। अगर सरयू राय खुद चुनाव लड़ने की बजाय किसी प्रत्याशी के सारथी बने होते तो ज्यादा असर होता।
रिवेंज मैच की स्कोरिंग में पिछड़ते दिखे सरयू
दिन के साढ़े ग्यारह बजे हैं। चाय की तलब लगती है। दुकानें बंद हैं। बिरसा नगर में रहने वाले एक मित्र के घर पर पहुंचता हूं। स्नैक्स के साथ चाय आती है। जब हाथ में चाय की प्याली हो तो बतकही यूं ही परवान चढ़ जाती है। टीवी पर 11 बजे तक 21 फीसदी मतदान की खबर फ्लैश हो रही थी। मित्र तो वैसे बैंक के मुलाजिम हैं लेकिन समसामयिक घटनाओं में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। वे कहते हैं, सरयू राय बेशक अच्छे उम्मीदवार हैं, उनसे सहानुभूति भी है। लेकिन वे रिवेंज गेम खेल रहे रहे हैं। उनको जीतने से अधिक ऱघुवर दास को हराने में दिलचस्पी है। अब वे 86 बस्ती के घरों को बचाने की बात कर रहे हैं। वे खुद मंत्री थे। जमशेदपुर की बस्तियों को नियमित करने के लिए उन्होंने क्यों नहीं इस्तीफा दिया था। उन्होंने इस्तीफा तब दिया जब टिकट कट गया। सरयू राय एक चुनाव हार चुके हैं जब कि रघुवर दास 1995 से आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं। रघुवर दास कई मोर्चों पर नाकाम रहे हैं लेकिन उन्होंने पांच साल तक स्थिर सरकार चला कर राज्य को अनिश्चितता के दौर से बाहर निकाला है। झारखंड में स्थायी और मजबूत सरकार की सख्त जरूरत है। सरयू राय, रघुवर की पिच पर बैटिंग कर रहे हैं। मैंने जिस बूथ पर वोट डाला वहां रघुवर समर्थकों की लंबी लाइन थी। मेरी समझ से सरयू के रन कम पड़ जाएंगे। अगर सरयू राय खुद चुनाव लड़ने की बजाय किसी प्रत्याशी के सारथी बने होते तो ज्यादा असर होता।
अगर कांग्रेस नहीं लड़ती तो जीत जाते सरयू
कई लोगों से बातचीत के बाद ये तो अंदाजा लग गया कि रघुवर दास और सरयू राय में ही मेन फाइट है। कांग्रेस के गौरव वल्लभ के तीसरे स्थान पर रहने का ही संभावना है। सरयू राय के एक समर्थक से पूछता हूं, आपके साथ कौन हैं ? सरयू राय को कौन लोग वोट कर रहे है ? सरयू समर्थक स्वीकार करते हैं कि उनके साथ भाजपा वही पुराने कार्यकर्ता काम कर रहे हैं जो व्यक्तिगत रूप से जुड़े हैं। जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जमशेदपुर में भाजपा समर्थकों को सरयू राय से दूर रहने की नसीहत दी, स्थितियां तेजी से बदल गयीं। सरयू राय को भाजपा का कैडर वोट नहीं के बराबर मिल रहा है। सरयू को झामुमो, राजद, जदयू ने नैतिक समर्थन दिया है। उन्हें भाजपा विरोधी वोट ही मिल रहे हैं। महागठबंधन की तरफ कांग्रेस के गौरव वल्लभ भी भाजपा विरोधी वोटों पर ही निर्भर थे। अब देखना है कि गौरव कितना वोट काट रहे हैं। अगर कांग्रेस यहां से चुनाव नहीं लड़ती तो सरयू राय की जीत तय थी। सरयू राय ने चूंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है, इसलिए इंटेलेक्चुअल क्लास ने भी उनको समर्थन दिया है। कम संसाधनों के बावजूद सरयू राय भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।