भोरंज में कमल खिलने से मिले एक और राज्य से कांग्रेस मुक्त भारत के संकेत
बीजेपी की इस जीत का राजनीतिक लाभ तो धूमल को भी मिलना तय है क्योंकि अब वो लोग कुछ खास नहीं कह पाएंगे जो धूमल के स्थान पर किसी दूसरे में आगे की राह तलाश रहे हैं।
शिमला। मोदी लहर हिमाचल प्रदेश के भोंरज उपचुनावों में भी देखने को मिली, जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। इसी साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की ये हार किसी सदमें से कम नहीं है। भाजपा प्रत्याशी अनिल धीमान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी प्रोमिला देवी को आठ हजार से भी अधिक मतों से हराया।
सभी दौर में बनाए रखी बढ़त, कांग्रेस को दिया तगड़ा झटका
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर के भोरंज उपचुनाव में मतों की गणना सुबह शुरू हुई तो पहले ही राउंड से भाजपा को बढ़त मिलनी शुरू हो गई। जो आगे जाकर बढ़ती चली गई। भाजपा प्रत्याशी डॉ. अनिल धीमान 8,290 मतों से जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रोमिला देवी को शिकस्त दी।
भाजपा विधायक ईश्वर दास धीमान के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर 9 अप्रैल को वोट डाले गए थे। चुनावी मैदान में भाजपा की ओर से ईश्वर दास धीमान के पुत्र अनिल धीमान, कांग्रेस की प्रोमिला देवी के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. रमेश डोगरा, कुसुम आजाद और पवन कुमार भी अपना भाग्य आजमा रहे थे। मतगणना के कुल 12 दौर हुए, जिनमें लगभग सभी दौर में बीजेपी उम्मीदवार अनिल धीमान ने अपनी बढ़त बनाए रखी। मतगणना के दौरान सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए थे। डॉ. अनिल धीमान ने ये जीत अपने स्वर्गीय पिता ईश्वर दास धीमान को समर्पित की है। उन्होंने कहा कि ये जीत आईडी धीमान को भोरंज की जनता की सच्ची श्रद्धांजलि है।
गुटबाजी का शिकार हुई कांग्रेस !
गुटबाजी में उलझी कांग्रेस भोरंज उपचुनाव में पूरे चुनावी अभियान में भाजपा को कड़ी टक्कर ही नहीं दे पाई। कांग्रेस ने पहले यहां प्रत्याशी बदला। फिर बाद में चुनावी अभियान में स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज कर हाल ही में भाजपा से आए एक नेता को प्रचार की कमान थमा दी। जिससे कांग्रेसी कैंप में वो महौल नहीं बन पाया। रस्म अदायगी के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू व सीएम वीरभद्र सिंह ने चुनाव प्रचार में हिस्सा तो लिया लेकिन उससे कांग्रेस प्रत्याशी प्रोमिला को कोई फायदा नहीं मिल पाया। भोरंज सीट पर कांग्रेस लगातार छह चुनाव हार चुकी है। ये उसकी सातवीं हार है। यहां पर कांग्रेस ने टिकट को लेकर भी कई ट्रायल किए हैं। वहीं, इस सीट पर कांग्रेस की गुटबाजी भी बहुत है।
वहीं भाजपा के प्रचार अभियान की कमान नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने खुद अपने हाथों में थाम रखी थी। धूमल ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत लगा रखी थी। उन्होंने अपनी पूरी टीम को यहां झोंक रखा था और खुद प्रचार पर नजर रखे हुए थे। धूमल के साथ-साथ उनके सांसद पुत्र अनुराग ठाकुर और उनके छोटे बेटे अरुण धूमल ने भी खूब पसीना बहाया।
धूमल के लिए जीत के हैं अच्छे फायदे
इस उपचुनाव की जीत निश्चित तौर पर भाजपा में मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाएगी, खासकर नेता प्रतिपक्ष प्रेमकुमार धूमल के लिए ये जीत अहम है। हमीरपुर नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल का गृह जिला है और भोरंज विधानसभा हलके में धूमल का घर भी पड़ता है। इसके साथ-साथ भाजपा के भीतर नेतृत्व को लेकर भी अंदर खींचतान चली है। ऐसे में धूमल को पार्टी हाईकमान के पास अब खुद को भी साबित करने का अवसर मिल गया है। इसका लाभ धूमल को मिलना तय है क्योंकि अब वो लोग कुछ खास नहीं कह पाएंगे जो धूमल के स्थान पर किसी दूसरे में आगे की राह तलाश रहे हैं। ऐसे में ये चुनाव नेता प्रतिपक्ष धूमल के लिए काफी अहम रहा है।
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