इन वजहों से बीजेपी ने रामनाथ कोविंद को बनाया राष्ट्रपति उम्मीदवार
एनडीए ने राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर विपक्ष का खेल खराब करने की कोशिश की है।
नई दिल्ली। बीजेपी ने बिहार के मौजूदा राज्यपाल राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया है। तमाम अटकलें तमाम कयास फेल साबित हुए हैं। दलित समाज से आने वाले रामनाथ कोविंद यूपी कानपुर में रहने वाले हैं और 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहें हैं। रामनाथ कोविंद के साथ खास बात ये है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के पीएम थे तब उनके खास थे अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनके बेहतर रिश्ते हैं। इन सब के बीच सवाल है कि आखिर एनडीए ने रामनाथ कोविंद को किन वजहों से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है?
विपक्ष का खेल खराब
एनडीए ने राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर विपक्ष का खेल खराब करने की कोशिश की है। राम नाथ कोविंद साफ सुथरी छवी के राजनेता रहे हैं और इनकी छवि एक हमेशा से धर्मनिरपेक्ष रही है। इन पर किसी तरह का सांप्रदायिक आरोप नहीं है। ऐसे में रामनाथ कोविंद के नाम का विरोध करना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा। विपक्ष के कई नेताओं से राम नाथ कोविंद के अच्छे संबंध भी हैं। लिहाजा कोविंद के नाम का विरोध करना कांग्रेस के लिए भी आसान नहीं होगा।
बीजेपी ने खेला दलित और यूपी कार्ड
राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर रामनाथ कोविंद का नाम आगे कर बीजेपी ने एक साथ यूपी और दलित दोनों कार्ड एक साथ खेल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरप्रेदश से सांसद है और लोकसभा चुनाव में यूपी ने बीजेपी को दिल खोलकर सीटें दी थी। ऐसे में अगला राष्ट्रपति यूपी से होगा तो देश के सबसे बड़े राज्य में अच्छा संदेश जाएगा। वहीं यूपी के कानपुर से रहने वाले रामनाथ कोविंद का दलित होना भी बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित होगा। पीएम मोदी हमेशा से दलितों के विकास की बात करते रहे हैं।
शायद नीतीश, लालू का साथ मिल जाए
रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल है और बिहार के सीएम से उनके संबंध बुरे नहीं है। आरजेडी चीफ लालू यादव शायद ही रामनाथ कोविंद के नाम का विरोध करें। पीएम मोदी ने एक राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर ऐसा नाम देने की कोशिश की है जिसका विरोध उनके विरोधी भी शायद ही करें।
मुलायम-मायावती का भी मिल सकता है साथ
रामनाथ कोविंद उत्तरप्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं और दलित समाज से आतो है। ऐसे में ऐसी बहुत कम संभावना है कि उनके नाम का विरोध सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती करें। एक तीर से बीजेपी ने कई निशाने लगाएं हैं।
संघ से रामनाथ के अच्छे रिश्ते
बीजेपी दलित मोर्चा के अध्यक्ष रहे रामनाथ कोविंद संबंध संघ से भी अच्छे है। मतलब ये की बीजेपी ने ऐसा नाम आगे किया है जिससे संघ को किसी तरह की नाराजगी नहीं होगी। रामनाथ कोविंद का नाम बहुत ही सोच समझ कर फाइनल किया गया है।