चढ़ा राजस्थान का सियासी पारा, 'एक ही हथियार' से एक-दूसरे पर हमला बोल रहे भाजपा और कांग्रेस
नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनावों में इस बार नेताओं के जन्म स्थान मतबल उनके बाहरी होने के मुद्दा गरमा रहा है। मुख्य राजनीतिक दल एक दूसरे के नेताओं पर बाहरी होने का आरोप लगा रही है। फिलहाल यह मुद्दा तेजी से तुल पकड़ रहा है। अगर कांग्रेस राजस्थान के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक बाहरी व्यक्ति कह रही है तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को बाहरी व्यक्ति कह रही है। बीजेपी पायलट के जन्म स्थान और उनके दादा दादी की जगह पूछ रही है।
पार्टियों को चुनाव में नहीं मिला कोई मुद्दे?
इस बार के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों को ऐसा कोई मुद्दा नहीं मिला है जिसे वो भुना सके और निशाना साध सके। इसलिए स्थानीय और बाहरी लोगों के मुद्दे को उठाया जा रहा है क्योंकि वसुंधरा राजे और सचिन पायलट मूल रूप से राजस्थान से संबंधित नहीं हैं। राजे मध्य प्रदेश के ग्वालियर के सिंधिया परिवार से संबंधित हैं और राजस्थान में ढोलपुर के शाही परिवार में उनका विवाह हुआ है। सचिन पायलट भी राजस्थान से संबंधित नहीं हैं लेकिन उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों और सेवाओं के राजस्थान को चुना था।
सचिन पायलट के पिता राजस्थान की इस सीट से थे सांसद
सचिन पायलट के पिता दौसा से लोकसभा सदस्य थे और यहां तक कि उनकी मां राम पायलट भी पति के मृत्यु के बाद उसी स्थान से सांसद बनी। सचिन पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में गुर्जर परिवार में हुआ था और उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्धधनगर जिले में वैदापुरा उनके पूर्वजों का गांव है। सचिन राजस्थान के अजमेर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और वहां से सांसद है। मनमोहन सिंह सरकार में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री थे।
बीजेपी का आरोप- पैराशूट वाले नेता हैं पायलट
इस तरह से दोनों पक्षों के प्रमुख नेता बाहरी है। वही बीजेपी पायलट पर पैराशूट के नेता होने का आरोप लगा रही है। भाजपा नेता अर्जुन राम मेघवाल ने उनके जन्मस्थान और राजस्थान में उनकी मां के स्थान के बारे में पूछा। इसी तरह कांग्रेस के नेताओं ने राजे पर बाहरी होने का आरोप लगाया है। हालांकि, सूत्रों ने यह भी दावा किया कि दोनों पक्षों में अंतर-पार्टी प्रतिद्वंद्विता भी इस मुद्दे को बड़ा कर रही है क्योंकि दोनों नेता लंबे समय से राजस्थान में काम कर रहे हैं। तो चुनाव के समय इस मुद्दे को से व्यक्ति के संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है।