Birthday Special: जब फोर्ड के चेयरमैन ने भरी मीटिंग में Ratan Tata को किया था जलील, मेहनत से दिया मुंहतोड़ जवाब
नई दिल्ली। आज 28 दिसंबर है और देश के बडे़ और जाने माने उद्योगपति रतन टाटा का जन्मदिन भी। स्वभाव से शर्मीले और किताबों के साथ ज्यादा समय बिताने वाले टाटा मुंबई के एक फ्लैट में अकेले रहते हैं। सभी सफल लोगों की तरह टाटा की सफलता के भी कई किस्से मशहूर हैं। न्यूज 18 के हवाले से ऐसा ही एक किस्सा हम यहां आपको बताने जा रहे हैं, जब टाटा ने अपमान का बदला मेहनत और सफलता से लिया था।
टाटा मोटर्स को हुआ था बड़ा नुकसान
दरअसल बात 1998 की है जब रतन टाटा की कंपनी टाटा मोटर्स ने कार टाटा इंडिटा लॉन्च की थी। रतन टाटा को इस प्रोजेक्ट से काफी उम्मीदें थीं लेकिन ये सफल नहीं हुआ और कंपनी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। हालात बदतर हो गए, इसको देखते हुए शेयरहोल्डर्स ने टाटा को कंपनी बेचने की राय दी।
फोर्ड के चेयरमैन ने किया जलील
रतन टाटा को भी कुछ नहीं सूझा और वे अमेरिका में फोर्ड मोटर्स के ऑफिस में टाटा को बेचने का प्रस्ताव लेकर पहुंच गए। ये मीटिंग तीन घंटे चली जहां टाटा के साथ उनके शेयरहोल्डर्स भी मौजूद थे। लेकिन कंपनी की बिक्री तय होने के बाद फोर्ड के चेयरमैन ने टाटा से बड़े ही बदतमीजी बड़े लहजे में कहा कि जब आपको बिजनेस का कोई ज्ञान नहीं है तो आपने इस कार में इतना पैसा लगाया ही क्यों। अब हम ये कंपनी खरीदकर आप पर एहसान कर रहे हैं। पहले से काफी परेशान रतन टाटा को इस बात से बड़ा धक्का लगा और वे डील कैंसिल कर भारत लौट आए।
दिवालिया फोर्ड को टाटा से मांगनी पड़ी मदद
निराश होने के बावजूद रतन टाटा ने संयम रखा और एक बार फिर कंपनी के साथ मेहनत में जुट गए। साल 2008 आते-आते कंपनी का मुनाफा कई गुना बढ़ गया वहीं दूसरी ओर फोर्ड बुरी तरह दिवालिया हो गई। इस बार टाटा ने फोर्ड के वही दो प्रोजेक्ट खरीदने का प्रस्ताव रखा जिसकी वजह से कंपनी को घाटा हुआ था। ये प्रोजेक्ट थे लेंड रोवर और जगुआर। तब इसकी बिक्री के लिए भारत आए विल फोर्ड ने वही लाइन अपने लिए दोहराई जिससे टाटा को कभी अपमानित किया था। विल फोर्ड ने कहा कि आप इस डील से हमारी कंपनी पर एहसान कर रहे हैं।