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Birsa Munda Death Anniversary: जानिए कौन थे भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने बदल दी आदिवासियों की तकदीर, अंग्रेज भी थर्राते थे

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नई दिल्ली। अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने वाले और आदिवासियों के मसीहा बिरसा मुंडा की याद में आज पूरा देश उन्हें शहादत दिवस पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमी मुंडा और माता का नाम सुगना था। बिरसा मुंडा को पूरा देश उनके क्रांतिकारी चिंतन के लिए याद करता है, जिसने आदिवासी समाज की दशा और दिशा ही बदल दी।

अपने हक के लिए बुलंद किया आवाज

अपने हक के लिए बुलंद किया आवाज

बिरसा मुंडा उस समय से अपने हक के लिए आवाज बुलंद करते रहे हैं जब आदिवासियों को लगातार उनके जंगल, जमीन और प्राकितिक संसाधनों से बेदखल किया जाता रहा है। बिरसा मुडां ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को भी सिखाते रहे कि हमें अपने हक के लिए लड़ना जरूरी। बिरसा मुडां से हमें यही सीख मिलती है कि कभी भी अत्याचार के आगे सिर नहीं झुकाना चाहिए और ना ही कभी हार माननी चाहिए।

ब्रिटिश शासकों के आत्याचार के खिलाफ चलाई मुहिम

ब्रिटिश शासकों के आत्याचार के खिलाफ चलाई मुहिम

बिरसा मुडां ने ब्रिटिश शासकों और उनके शोषण से आदिवासियों को मुक्त कराने के लिए कई अथक प्रयास किए। उन्होंने हिंदू धर्म और ईसाई धर्म का अध्ययन किया था। जिसके बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदिवासी समाज हिंदू धर्म को ठीक से नहीं समझ पाया है और ना ही उसे ग्रहण कर पा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी पाया कि आदिवासी समाज मिशनरियों से भी भ्रमित है।

जमींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था से की लड़ाई

जमींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था से की लड़ाई

बिरसा मुंडा ने 1895 में अंग्रेजों द्वारा लागू की गई जमींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद किया था। इसके अलावा उन्होंने उन महाजनों के खिलाफ भी मोर्चा खोला जो कर्ज के बदले आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लेते थे। बिरसा मुंडा द्वारा शुरू की गई यह मुहिम सिर्फ विद्रोह नहीं था बल्कि आदिवासियों की स्वायतत्ता, संस्कृति और उनकी अस्मिता को बचाने के लिए छेड़ा गया संग्राम था।

जेल में ली थी अंतिम सांस

जेल में ली थी अंतिम सांस

बिरसा मुंडा के विद्रोह से खौफजदा ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 2 साल के लिए जेल में डाल दिया , जहां उन्होंने साल 1900 में 9 जून की तारीख को अंतिम सांस ली। उनकी पुण्‍यतिथि के मौके पर सीएम हेमंत सोरेन, मंत्री आलमगीर आलम, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सुदेश महतो, बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष दीपक प्रकाश, पूर्व सीएम रघुवर दास समेत कई नेताओं और सामाजिक लोगों ने श्रद्धांजलि दी। बता दें कि आदिवासी समाज उन्हें भगवान बिरसा मुंडा के रूप में पूजता है।

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English summary
Birsa Munda Death Anniversary A public leader who changed the situation and direction of tribals
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