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बिहारः बाढ़ में फैंसी फोटोशूट, क्या था मॉडल का मकसद?

बिहार की राजधानी पटना जलमग्न हो चुकी है. लगातार बारिश के बाद भीषण जलजमाव से बाढ़ जैसी स्थिति है. सड़कों पर नावें चलाई जा रही हैं. लोगों को जेसीबी मशीनों से ढोया जा रहा है. एक ओर गर्दन तक पानी में डूबे रोते हुए एक रिक्शावाले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है तो दूसरी तरफ जलमग्न पटना की सड़कों पर फैंसी फ़ोटोशूट करवा रही एक मॉडल चर्चा में बनी हुई है.

By अभिमन्यु कुमार साहा
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बिहार की बाढ़ में फैंसी फोटोशूट
SAURAV ANURAJ
बिहार की बाढ़ में फैंसी फोटोशूट

बिहार की राजधानी पटना जलमग्न हो चुकी है. लगातार बारिश के बाद भीषण जलजमाव से बाढ़ जैसी स्थिति है. सड़कों पर नावें चलाई जा रही हैं. लोगों को जेसीबी मशीनों से ढोया जा रहा है.

एक ओर गर्दन तक पानी में डूबे रोते हुए एक रिक्शावाले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है तो दूसरी तरफ जलमग्न पटना की सड़कों पर फैंसी फ़ोटोशूट करवा रही एक मॉडल चर्चा में बनी हुई है.

फ़ोटो में मॉडल बाढ़ जैसी स्थिति का लुत्फ उठाती दिख रही हैं. ग्लैमरस अंदाज में खिंचाई गईं इन तस्वीरों की लोग आलोचना कर रहे हैं और इसे असंवेदनशील बता रहे हैं.

लोगों का कहना है कि बाढ़ जैसी स्थिति कोई जश्न का मौका नहीं होती है, इसमें कई लोगों की मौत हो जाती है और कई बेघर और वे इसे फ़ोटोग्राफर की संवेदनहीनता बता रहे हैं.

अदिति सिंह
SAURAV ANURAJ
अदिति सिंह

फोटोग्राफर का मकसद

फोटोग्राफर सौरभ अनुराज ने इन तस्वीरों को फ़ेसबुक पर शेयर करते हुए कैप्शन लिखा है- "आपदा में जलपरी"

एक यूज़र ने इन तस्वीरों पर कमेंट किया है कि यह बेवकूफी भरा कदम है और बाढ़ की विभीषिका जैसे मुद्दे को हल्का कर देता है, तो कई इसे रचनात्मक बता रहे हैं.

वहीं सौरभ अनुराज इसे स्थिति की गंभीरता की तरफ लोगों का ध्यान खींचने का तरीका बताते हैं.

वो कहते हैं, "मेरी सोच यह थी कि लोगों का ध्यान बिहार के बाढ़ की तरफ खींचा जाए. दूसरे राज्यों में जब बाढ़ आती है तो मदद के लिए देशभर से लोग आगे आते हैं. बिहार के बाढ़ की विभीषका का जिक्र राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उतना नहीं होता है."

"अगर आप सोशल मीडिया पर बाढ़ की सामान्य तस्वीर शेयर करते हैं तो लोग उसे देखते हैं, 'सो सैड' कमेंट करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. मैं चाहता था कि लोग तस्वीरों को रुक कर देखें, इसलिए मैंने ऐसा फोटोशूट किया."

बिहार की बाढ़ में फैंसी फोटोशूट
SAURAV ANURAJ
बिहार की बाढ़ में फैंसी फोटोशूट

स्थिति का मजाक बना रही है मॉडल?

वहीं फोटो में दिख रही मॉडल अदिति सिंह कहती हैं कि इस फ़ोटोशूट का मकसद बाढ़ जैसी स्थिति से पीड़ित लोगों का मज़ाक उड़ाना नहीं था. वो कहती हैं कि सोशल मीडिया पर लोग इसे ग़लत तरीके से ले रहे हैं.

अदिति निफ्ट पटना की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंड हैं और वहां से फ़ैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स कर रही हैं.

सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना से परेशान अदिति कहती हैं, "पटना की अभी की स्थिति को लेकर मैं काफी दुखी हूं. मुझे उन सभी की बहुत चिंता है. पूरा पटना परेशान है, मैं भी हूं. लेकिन लोग यह कह रहे हैं कि हम उनका मजाक बना रही हूं, ये सही नहीं है. वो जजमेंटल हो रहे हैं."

एक ओर जहां फोटोग्राफर सौरभ अनुराज इस फोटोशूट को लोगों के ध्यान खींचने की तरीका बता रहे हैं, वहीं अदिति इसे जलजमाव की स्थिति के भीषण बनने से पहले का बता रही हैं.

वो कहती हैं, "यह फ़ोटोशूट पटना में जलजमाव और बाढ़ जैसी स्थिति बनने से पहले का है. उस समय यह किसी को नहीं पता था कि स्थिति इतनी गंभीर हो जाएगी, लेकिन लोग इसे अभी की स्थिति से जोड़ कर देख रहे हैं और सोशल मीडिया पर मुझे ट्रोल किया जा रहा है."

सनी लियोनी
BBC
सनी लियोनी

अलग तरीक़ा

यह पहली दफा नहीं है जब लोगों का ध्यान आर्कषित करने के मकसद से ऐसे तरीके अपनाए गए हो. इससे पहले आंध्र प्रदेश के एक किसान ने अपनी फसल को बुरी नज़र से बचाने के लिए खेत में सनी लियोनी की तस्वीर लगा दी थी.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरीके को अपनाया जाता रहा है. पीआर और ब्रांड कम्यूनिकेशन एक्सपर्ट हर्षेंद्र सिंह वर्धन बताते हैं कि अमरीका में एक दफा कचरे की ढेर की तरफ लोगों का ध्यान खींचने और उसकी समस्या को दर्शाने के लिए एक फोटोग्राफर ने फ़ैंसी फ़ोटोशूट किया था.

फोटोग्राफर सौरभ अनुराज कहते हैं कि उन्होंने भी यही तरीका अपनाया था.

वो कहते हैं, "लोग का ध्यान अक्सर असामान्य चीज़ों पर ठहरती है. अगर मैं किसी गरीब बच्चे या त्रस्त लोगों की तस्वीर खींचता तो उस पर उतनी चर्चा नहीं होती. ये चीजें सामान्य है, जो आप अक्सर हर बार बाढ़ की स्थिति में देखते हैं."

लेकिन पटना के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट प्रशांत रवि का मानना है कि हर चीज़ का एक वक़्त और तरीका होता है. इंसान को कब क्या करना चाहिए, यह उनके विवेक पर निर्भर करता है.

वो कहते हैं, "अभी जहां लोग मर रहे हैं, उस वक़्त अगर ऐसी तस्वीरें आती हैं तो लोग इस पर प्रतिक्रिया देंगे हीं. भावनात्मक रूप से दुखी लोगों की प्रतिक्रिया आलोचनात्मक होगी, जो पीड़ित नहीं भी हैं और बाढ़ पीड़ितों से सहानुभूति रखते हैं, वे ऐसी तस्वीरों की आलोचना करेंगे ही."

पीआर और कम्यूनिकेशन एक्सपर्ट हर्षेंद्र सिंह वर्धन कहते हैं कि आज हिट्स, लाइक और कमेंट का ज़माना है, इसलिए लोग अनयूज़ुअल चीज़ें करते हैं.

वो कहते हैं, "आप टिकटॉक पर चले जाएं, देखिए वहां कितने अजीब-अजीब वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं और उसे लाखों व्यूज मिल रहे हैं."

प्रशांत रवि कहते हैं कि "यह बाजारवाद का दौर है, उपभोक्तावाद का दौर है. इसमें कुछ भी संभव है."

अदिति सिंह
SAURAV ANURAJ
अदिति सिंह

परेशान है मॉडल

इस फोटोशूट को भारतीय मीडिया 'आग लगाने' वाला बता रही है.

सोशल मीडिया पर हो रही आलोचनाओं से अदिति के परिवार वाले भी परेशान हैं. उन्हें लगातार फ़ोन और मैसेज आ रहे हैं. इससे परेशान होकर अदिति ने अपना फोन बंद कर दिया है.

अदिति कहती हैं, "मैं एक लोअर मीडिल क्लास फ़ैमिली से आती हूं और यह बिहार है. यहां राई का पहाड़ बनाया जाता है. मेरे लिए यह फ़ोटोशूट काफ़ी मुश्किल था. मैं एक ऐसी ड्रेस पहनकर सड़कों पर फोटोशूट करवा रही थी, जो पटना की सड़कों पर आम तौर पर देखने को नहीं मिलता है."

"दस लोग आपको देखते हैं, आपके बारे में बुरा सोचते हैं, लेकिन मैं एक फ़ैशन स्टडी की स्टूडेंट हूं और हमलोग इस तरह की सोच से काफ़ी ऊपर होते हैं.

"फोटोशूट का पूरा आइडिया फ़ोटोग्राफर का था और मैं उसमें बतौर एक मॉडल शामिल हुई थी. मैं सिर्फ अपना काम कर रही थी. उससे ज़्यादा मेरा इरादा कुछ नहीं था."

अदिति सिंह
SAURAV ANURAJ
अदिति सिंह

क्या यह क्रिएटिव फ्रीडम है?

सोशल मीडिया पर लोग इस बात की भी आलोचना कर रहे हैं कि बाढ़ जैसे गमगीन माहौल में मॉडल के चेहरे पर हंसी है. फ़ोटोग्राफर सौरभ अनुराज इसे क्रिएटिव फ्रीडम बताते हैं और कहते हैं कि यह नकारात्मकता में सकारात्मक नज़रिया है.

लेकिन वरिष्ठ फोटो पत्रकार प्रशांत रवि का कहना है कि एक फोटोग्राफर मानवीय संवेदना और भावना को दिखाने की कोशिश करता है. उनका काम माहौल के मर्म और दर्द को दिखाना होता है.

"लेकिन अभी पटना का जो हाल है, उसमें तस्वीरों से नहीं लगता है कि उसमें कोई दुख झलक रहा हो. ऐसा भी नहीं लग रहा है कि इससे किसी तरह की कोई जागरूकता फैलाने की कोशिश की जा रही हो."

प्रशांत रवि कहते हैं, "मुझे लगता है कि यह फ़ोटोशूट चर्चाओं में आने के मकसद से किया गया था और उसमें वे कामयाब हुए हैं."

वहीं कम्युनिकेशन एक्सपर्ट हर्षेंद्र सिंह वर्धन कहते हैं कि किसी भी तस्वीर के साथ फ़ोटो का कैप्शन का मायने रखता है. यह फ़ोटो के मतलब को बदल देता है.

वो कहते हैं कि यह एक आर्टिस्ट की आज़ादी है वो अपने रचनात्मक सोच के हिसाब से फोटोग्राफी के लोकेशन चयन करे, लेकिन बाढ़ वाले विवादित फोटो में मॉडल का हाव भाव में फ़ोटोग्राफ़र बदलाव कर सकता था.

BBC Hindi
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English summary
Bihar: Fancy photoshoot in flood, what was the motive of the model?
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