बिहार विधानसभा चुनाव 2020: अमित शाह के डिप्टी नित्यानंद राय कैसे बने BJP का सबसे बड़ा 'यादव' चेहरा
नई दिल्ली- केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय साल 2000 से 2010 तक बिहार में भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक मात्र होते थे। वह हाजीपुर से चुनाव जीतते थे। इसके अलावा तब तक प्रदेश भाजपा में उनका कोई ज्यादा दबदबा नहीं होता था। सुशील कुमार मोदी, शत्रुघ्न सिन्हा, नंदकिशोर यादव और रविशंकर प्रसाद जैसे नेताओं की ही पार्टी में छाप दिखाई पड़ती थी। यह बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में मोदी-शाह की जोड़ी के प्रभावी होने के कुछ वर्ष पहले तक का कालखंड था। जब, 2014 में मोदी लहर में भाजपा को पूरे देश में बड़ी कामयाबी मिली और पार्टी की कमान अमित शाह के हाथों में आई उसके बाद पार्टी में नित्यानंद का सितारा बुलंद नजर आने लगा। आज की स्थिति ये है कि बिहार की दूसरी पीढ़ी की लीडरशिप में वे काफी प्रभावी भी हो चुके हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि उनके सिर पर खुद गृहमंत्री अमित शाह का हाथ है।
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बिहार
भाजपा
के
सबसे
बड़ा
'यादव'
चेहरा
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
समस्तीपुर
जिले
की
उजियारपुर
लोकसभा
सीट
को
अपनी
कर्मस्थली
बनाने
से
पहले
तक
नित्यानंद
राय
पड़ोस
की
हाजीपुर
विधानसभा
सीट
से
लगातार
बीजेपी
का
प्रतिनिधित्व
कर
रहे
थे।
नित्यानंद
राय
जिस
क्षेत्र
में
साल
2000
से
भगवा
कमल
खिला
रहे
थे,
वह
क्षेत्र
लालू
यादव
के
दबदबे
वाली
सीटों
से
घिरा
हुआ
था।
राघोपुर
(राबड़ी
तीन
बार
जीतीं),
महुआ,
सोनपुर
और
परसा
(सोनपुर
और
परसा
का
लालू
भी
प्रतिनिधित्व
कर
चुके
हैं)।
यानि
'लालटेन'
वाली
'यादव
राजनीति'
के
बीच
में
भी
ये
यादव,
कमल
खिला
रहे
थे।
राय
2010
के
विधानसभा
चुनाव
में
भी
हाजीपुर
विधानसभा
सीट
पर
काबिज
रहे।
2014
के
चुनाव
में
उन्होंने
पड़ोस
की
उजियारपुर
लोकसभा
सीट
का
रुख
किया
और
मोदी
लहर
में
वहां
भी
अपनी
जीत
का
सिलसिला
बरकरार
रखा।
तब
बगैर
नीतीश
वाले
एनडीए
में
भी
बीजेपी
40
में
से
31
सीट
जीती
थी।
अमित
शाह
ने
अपना
वादा
निभाया
2014
में
मोदी
की
शानदार
जीत
के
बाद
भाजपा
में
अमित
शाह
का
कद
काफी
बढ़ा
और
वह
पार्टी
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
बने।
दो
साल
तक
पार्टी
की
जिम्मेदारी
संभालने
के
बाद
ही
शाह
को
नित्यानंद
में
कुछ
खास
नजर
आया
और
2016
में
उन्हें
प्रदेश
भाजपा
का
अध्यक्ष
बना
दिया
गया।
बिहार
में
पार्टी
के
अध्यक्ष
पद
पर
काबिज
होने
वाले
वह
दूसरे
यादव
थे।
उनसे
पहले
नंदकिशोर
यादव
भी
यह
जिम्मेदारी
निभा
चुके
थे।
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
राय
को
पार्टी
ने
फिर
से
उजियारपुर
का
प्रत्याशी
बनाया
और
तब
तक
वह
पार्टी
अध्यक्ष
का
पूर्ण
विश्वास
जीतने
में
कामयाब
हो
चुके
थे।
यही
वजह
है
कि
उनके
लिए
प्रचार
करने
पहुंचे
अमित
शाह
ने
उजियारपुर
की
जनता
से
वादा
किया
कि
अगर
नित्यानंद
राय
जीतते
हैं
और
एनडीए
की
सरकार
बनती
है
तो
उन्हें
कुछ
महत्वपूर्ण
जिम्मेदारी
दी
जाएगी।
भाजपा
की
सरकार
बनी
और
अमित
शाह
ने
उजियारपुर
के
लोगों
से
किया
गया
अपना
वादा
निभाया।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
उन्हें
गृहराज्य
मंत्री
बनाया।
लीडरशिप
को
है
विश्वास
आज
नित्यानंद
राय
का
पॉलिटिकल
ग्राफ
कहीं
परवान
चढ़
चुका
है।
वह
शाह
के
डिप्टी
हैं
और
बिहार
भाजपा
के
सबसे
बड़ा
यादव
चेहरा।
54
वर्षीय
राय
सही
मायने
में
बिहार
बीजेपी
के
लिए
अब
मुख्यमंत्री
'मटेरियल'
बन
चुके
हैं।
इस
संकेत
को
यूं
समझा
जा
सकता
है
कि
पिछले
महीने
जब
पार्टी
ने
बिहार
के
लिए
70
सदस्यीय
इलेक्शन
स्टीयरिंग
कमिटी
की
घोषणा
की
तो
उन्हें
इसका
अध्यक्ष
सह
संयोजक
नियुक्त
किया
गया।
यही
वजह
है
कि
जब
से
चिराग
पासवान
ने
चुनाव
के
बाद
भाजपा-लोजपा
सरकार
बनने
की
भविष्यवाणी
की
है,
लोगों
को
नित्यानंद
राय
में
काफी
संभावनाएं
नजर
आने
लगी
हैं।
क्योंकि,
इस
चेहरे
में
बिहार
में
लालू
के
जातीय
वर्चस्व
को
ध्वस्त
करने
का
दम
भी
है
और
यह
संघ
की
संस्कृति
में
शाखा
के
स्तर
से
जुड़ा
रहा
है।
नित्यानंद
राय
1981
में
अखिल
भारतीय
विद्यार्थी
परिषद
से
होते
हुए
यहां
तक
पहुंचे
हैं।
सबसे
बड़ी
बात
ये
है
कि
उनकी
सियासी
क्षमता
पर
लीडरशिप
को
भी
पूरा
विश्वास
है।