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Bihar Election 2020: तेजस्वी यादव के लिए राघोपुर सीट है बड़ी चुनौती, आसान नहीं होगी RJD की जीत

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नई दिल्ली- बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को महागठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। चुनाव से पहले तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन ने जिस तरह से आपस में सीटों का बंटवारा किया है और वामपंथी दलों खासकर भाकपा (माले) के साथ तालमेल किया है, उसमें सत्ताधारी गठबंधन के मुकाबले बेहतर रणनीति दिखाई दी है। क्योंकि, चिराग पासवान की वजह से उस खेमे में अभी ज्यादा कंफ्यूजन नजर आ रहा है। लेकिन, सच्चाई ये भी है कि खुद तेजस्वी यादव को अपने परिवार के गढ़ राघोपुर सीट पर ही बहुत तगड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने भी राघोपुर में तेजस्वी को घेरने के लिए तगड़ी रणनीति बनाई है।

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Bihar Election 2020:Raghopur seat is a big challenge for Tejashwi Yadav, RJD victory will not be easy

तेजस्वी यादव अभी हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली वैशाली जिले की राघोपुर सीट से विधायक हैं और बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता हैं। इस बार भी उनके इसी सीट से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है। यहां उनका मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार से होगा, जिसके नाम की घोषणा अभी नहीं हुई है। बीजेपी-जेडीयू के बीच तालमेल में यह सीटे बीजेपी के ही खाते में गई है। तेजस्वी के लिए यह सीट इस बार असुरक्षित इसलिए मानी जा रही है,क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद का उम्मीदवार एनडीए प्रत्याशी से यहां बुरी तरह पिछड़ गया था। हाजीपुर लोकसभा सीट से एलजेपी के सांसद और रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को इस क्षेत्र में 82,750 वोट मिले थे, जबकि राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी शिव चंद्र राम सिर्फ 45,525 वोट ही ला पाए थे। गौरतलब है कि एलजेपी तब भी एनडीए का हिस्सा थी और अभी भी बीजेपी के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतार रही है।

तेजस्वी के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि पिछले लोकसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित बीजेपी ने इस सीट पर उन्हें हराने के लिए इस बार काफी तैयारी की है। बिहार के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है कि तेजस्वी को राघोपुर में हराने के लिए एक रणनीति बनाई गई है, जिसके तहत पार्टी ने अपने समर्पित कार्यकरताओं को वहां तैनात किया है। वह दिन-रात जमीन पर इसके लिए मेहनत कर रहे हैं। वह जातिगत समीकरणों पर भी काम कर रहे हैं और बीजेपी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए लोगों और कार्यकर्ताओं से चर्चा भी कर रहे हैं।

बीजेपी यह मानकर चल रही है कि जमीन पर अगर मेहनत सफल रही तो तेजस्वी जीत नहीं पाएंगे। यह सीट 90 की दशक से लालू परिवार का गढ़ रहा है। 1995-2000 में यहां लालू यादव खुद जीते और 2005 में राबड़ी देवी भी यहीं से विधायक बनीं। लेकिन, 2010 में वो इसी सीट से जेडीयू के उम्मीदवार सतीश कुमार से हार गईं। तथ्य यह भी है कि 2010 में भी बीजेपी-जेडीयू साथ थी और मौजूदा चुनाव में भी दोनों मिलकर लड़ रही है और एलजेपी भी बीजेपी के उम्मीदवारों के समर्थन की बात कह चुकी है। 2015 में जब तेजस्वी यहां से जीते थे तो राजद और जदयू बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़े थे। उस चुनाव में तेजस्वी ने बीजेपी के उम्मीदवार सतीश कुमार को 22,733 वोटों से हराया था।

ऐसा भी नहीं है कि तेजस्वी यादव को यह पता नहीं है कि राघोपुर में वह कितने पानी में रह गए हैं। इसलिए वह इलाके के बाहुबली नेता राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह को पार्टी में लाना चाह रहे थे; और पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह इसी का विरोध कर रहे थे। जिंदगी के आखिरी पलों में उन्होंने इसी बात पर पार्टी छोड़ दी थी। लेकिन, तेजस्वी को अपनी सीट बचाने के लिए सवर्ण वोटों की दरकार है और उन्हें लगता है कि रामा सिंह का बाहुबल इसके लिए फिट बैठ सकता है। लेकिन, रघुवंश बाबू के निधन के इतनी जल्दी शायद रामा सिंह की सीधी एंट्री का जोखिम लेना राजद के लिए आसान नहीं है। इसलिए, उनके बदले फिलहाल उनकी पत्नी बीणा सिंह को पड़ोस की महनार विधानसभा सीट से टिकट थमा दिया है।

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English summary
The Raghopur seat, considered a stronghold of RJD, has become a big challenge for Tejashwi Yadav this time, the party's position is not strong here.
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