बिहार के पूर्व मंत्री ने दी 'हरिजिस्तान' को हवा, केंद्र सरकार पर लगाया साजिश का आरोप
आठ बार विधायक रह चुके रमई राम ने कहा कि देश की आजादी के वक्त बाबा साहेब अंबेडकर ने पाकिस्तान के बाद हरिजिस्तान की मांग की थी।
नई दिल्ली। एससी-एसटी कानून पर जारी विवाद के बीच बिहार के एक पूर्व मंत्री ने नई मांग को हवा दे दी है। बिहार के पूर्व मंत्री और शरद यादव खेमे के जेडीयू नेता रमई राम ने मंगलवार को कहा कि अगर देश के अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों को संविधान द्वारा मिले अधिकार नहीं दिये गए और उन अधिकारों की रक्षा नहीं की गई तो भारत में अलग हरिजिस्तान की मांग फिर से उठ सकती है। उन्होंने कहा कि 70 सालों तक सरकार ने समाज में भाईचाराऔर प्रेम कायम रखा, लेकिन अब मौजूदा सरकार की नजर दलितों को कानून से मिले अधिकारों पर है। उन्होंने कहा कि अब इस वर्ग के सुरक्षा और विकास की बात को पीछे रखा जा रहा है।
दलितों के खिलाफ साजिश
मंगलवार को मुजफ्फरपुर में कालीबाड़ी रोड स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा अगर संविधान से मिले अधिकार देश के अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों को नहीं दिये गए और उन अधिकारों की रक्षा नहीं की गई तो भारत में फिर से अलग हरिजिस्तान की मांग उठ सकती है। रमई राम ने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों में कटौती करने की साजिश रची जा रही है।
'बाबा साहेब अंबेडकर ने पाकिस्तान के बाद हरिजिस्तान की मांग की थी'
आठ बार विधायक रह चुके रमई राम ने कहा कि देश की आजादी के वक्त बाबा साहेब अंबेडकर ने पाकिस्तान के बाद हरिजिस्तान की मांग की थी। तब नेताओं ने हरिजिस्तान की मांग की जगह संविधान में विशेष सुविधा का प्रावधान किया था। 70 साल तक सरकार ने समाज में भाईचारा और प्रेम भी बरकरार रखा लेकिन अब केंद्र और प्रदेश की सरकारें सुप्रीम कोर्ट की आड़ में संविधान से मिली शक्तियों और सुविधाओं को छीनने की कोशिश कर रही हैं। रोजगार के अवसरों से वंचित किया जा रहा है।
SC/ST एक्ट को जानिए
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों पर होने वाले अत्याचार और भेदभाव रोकने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था। जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस कानून को लागू किया गया। कानून के तहत इन लोगों को समाज में समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इन लोगों पर होने वाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई जिससे ये अपनी बात खुलकर रख सकें।
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