राक्षसी पूतना बनी 'चमकी', सरकार की बखिया क्यों नहीं उधेड़ रहा विपक्ष?
नई दिल्ली। बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी 'चमकी' राक्षसी पूतना की तरह रोज कई बच्चों को अपना शिकार बना रही है। ऐसा नहीं है कि मौत के इस खौफनाक मंजर से बिहार पहली बार रू-ब-रू हो रहा है। पिछले 10 साल से मौत का तांडव जारी है। नीतीश सरकार को ये बीमारी विरासत में मिली थी। लेकिन इसका रौद्र रूप उनके शासनकाल में ही देखने को मिला है। हर साल गर्मी में इंसेफेलाइटिस कहर ढाता है। सरकार आज तक इस बीमारी का न तो सटीक कारण बता सकी और न उसका कारगर इलाज खोज सकी है। इस बीमारी की रोकथाम पर करोड़ों रुपये फूंक दिये गये लेकिन बच्चों को मौत के पंजे से नहीं निकाला जा सका है। इस मामले में अगर सरकार फेल है तो विपक्ष की स्थिति और भी गयी गुजरी है। अगर सरकार बेरहम है तो विपक्ष भी बेगैरत है। मुख्य विपक्षी दल राजद के नेता तेजस्वी यादव पता नहीं कहां गुम हैं। क्या राजद की राजनीति अब ट्वीटर पर ही सीमित रह जाएगी ? सौ से अधिक बच्चों की मौत,शासन व्यवस्था पर बहुत बड़ा सवाल है। इतनी बड़ी त्रासदी को भी राजद मुद्दा नहीं बना पा रहा।
क्यों फेल है नीतीश और मोदी सरकार ?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2012 में इंसेफेलाइटिस से 120 बच्चों की मौत हुई थी। 2014 में इस बीमारी ने 86 बच्चों को अपना निवाला बनाय़ा था। 2014 में जब ये बीमारी मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के जिलों में भयावह रूप से फैली थी तब तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन मुजफ्फरपुर आये थे। तब उन्होंने कहा था की मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) को सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस किया जाएगा। शिशुरोग विभाग के 100 बेड वाले आइसीयू को 250 बेड वाला बनाया जाएगा। मुजफ्फरपुर समेत बिहार के सभी छह पुराने मेडिकल कॉलेज में मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट खोली जाएंगी। एसकेएमसीएच में वायरोलॉजी लैब तो बन गया है लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
शिशु रोग विभाग का आइसीयू अभी भी 250 बेड का नहीं हुआ है। एसकेएमसीएच को सुपर स्पेशियलिटी मानक के अनुरूप बनाने के लिए केन्द्र सरकार को 120 करोड़ और राज्य सरकार को 30 करोड़ रुपये खर्च करने थे। एसकेएमसीएच में 160 बेड का सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक अभी बन ही रहा है। जिस मुजफ्फरपुर में हर साल बच्चे इंसेफेलाइटिस से जान गंवा रहे हैं, वहां चिकित्सा सुविधा बढ़ाने में इतनी लापरवाही क्यों हो रही है? केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन और नीतीश सरकार से राजद ये क्यों नहीं पूछता कि पांच साल गुजर गये लेकिन वायदे क्यों नहीं पूरे हुए? हर्षवर्धन 2019 में भी आये और पुराने वायदे फिर दुहरा कर आंखों में धूल झोंक गये। लेकिन राजद को कुछ दिखायी नहीं पड़ रहा। बिहार का मुख्य विपक्षी दल राजद इतने गंभीर सवाल पर भी ढुलमुल रवैया अपनाये हुए है। वह सरकार का नाकामी पर आवाज भी नहीं उठा रहा। क्या राजद को जनसरोकार के मु्द्दों की जगह केवल वोट बैंक की चिंता है?
इन्सेफेलाइटिस: बच्चों हम शर्मिंदा हैं, तुम्हारी मौतों की सेंचुरी पर
शोध ,जांच और विदेशी दौरों से क्या हासिल ?
बाढ़ और सुखाड़ की तरह इंसेफेलाइटिस की बीमारी भी हर साल बिहार में तबाही मचाती है। सरकार इससे निबटने के लिए हायतौबा मचाती है। अफसर, मंत्री, डॉक्टर, विशेषज्ञ हर साल मुजफ्फरपुर आते-जाते हैं। वैज्ञानिक, डॉक्टर और शोधकर्ता हर साल कुछ- कुछ राय देते हैं। लेकिन उससे हासिल क्या होता है ? संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों के अध्ययन के लिए विश्व की सबसे बड़ी संस्था का नाम है- सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल । इसका मुख्यालय अमेरिका के अटलांटा में है। 2016 में सीडीसी की टीम इंसेफेलाइटिस के अध्ययन के लिए मुजफ्फरपुर आयी थी। डॉक्टर जेम्स के नेतृत्व में इस टीम ने पीड़ित बच्चों के खून का नमूना भी लिया था। फिर भी कोई ठोस वजह नहीं मालूम हो सकी। दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कम्यूनिकेबल डिजीजेज के विशेषज्ञों ने भी मुजफ्फरपुर आ कर पीड़ितों बच्चों के खून के नमूने लिये थे। जेई, नीपा, चांदीपुरा, वेस्टनील जैसे वायरस पर शोध किया गया था। लेकिन इसके बावजूद इंसेफेलाइटिस फैलने की वजह मालूम नहीं हो सकी। सरकारी मुलाजिम जापान और अमेरिका घूम आये लेकिन बीमारी को लेकर कुछ पल्ले नहीं पड़ा। जब बीमारी का कारण ही नहीं मालूम तो उसका इलाज कैसे होगा ? क्या सरकार को इतने गंभीर मु्द्दे पर खामोश बैठना चाहिए?
फेल सरकार को जीवनदान दे रहा राजद
राजद के सीएम इन वेटिंग तेजस्वी यादव क्या विश्वकप क्रिकेट का लुत्फ उठा रहे हैं ? अगर ऐसा है तो अपने लिए खुद खाई खोद रहे हैं। बच्चों की जान की हिफाजत नीतीश सरकार की सबसे बड़ी जवाबदेही है। केन्द्र की मोदी सरकार भी कम कसूरवार नहीं है। एनडीए की शासन व्यवस्था फेल है और राजद के नेता तेजस्वी यादव को लालटेन लेकर खोज रहे हैं। ऐसी नकारा सरकार के खिलाफ अभी तक राजद के नेता केवल ट्वीट कर अपना विरोध प्रगट कर रहे है। क्या यह जनआंदोलन के लिए बड़ा मु्द्दा नहीं है ? क्या राजद के नेता इस तेज गर्मी में सड़कों पर नहीं उतरना चाहते ? जब विपक्ष इतना सुविधाभोगी होगा तब तो सरकार अपनी मनमर्जियां चलाती रहेगी। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड पर आग उगलने वाले तेजस्वी अब न जाने कहां गुम हैं। क्या इसी काबिलियत पर वे मुख्यमंत्री बनेने का सपना देखते हैं ? फिर तो बिहार का भगवान ही मालिक है।
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