मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर क्या बोले बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार, जानिए
पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) के पीड़ित बच्चों के मौत का आंकड़ा अभी तक नहीं थमा है। इस बीमारी और बच्चों की मौत को लेकर बिहार की नीतीश सरकार पर भी निशाना पर हैं। इसी बीच बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने मंगलवार को कहा है कि मुख्यमंत्री ने कुछ निर्देश दिये हैं। दीपक कुमार ने कहा कि बच्चों की मौत के पीछे मुख्य कारण यह कि मरीज देर से अस्पताल पहुंचते हैं। दीपक कुमार ने कहा कि अस्पताल में पहुंचे रहे ऐसे मरीजों के इलाज के लिए कोई खर्च नहीं लिया जाएगा।
एसकेएमसीएच को 2500 बेड में परिवर्तित किया जाएगा
यहां तक कि किराए के खर्च को भी वापस किया जाएगा, उन्हें फ्लैट दर पर 400 रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा दीपक कुमार ने कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि कृष्णा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) को 2500 बेड के अस्पताल में परिवर्तित किया जाएगा। वर्तमान में इस अस्पताल में कुल 610 बेड हैं। अगले एक साल में इसे 1500 बेड और बाद में 2500 बेड वाले अस्पताल के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। बिहार के मुख्य सचिव ने कहा कि यहां पर 100 बेड वाला आईसीयू बनाया जाएगा। इसके अलावा 50 बेड का धर्मशाला का भी निर्माण किया जाएगा जिसमें मरीज के रिश्तेदार और परिवार रह सकते हैं।
इलाके के हर एक घर में जाएगी टीम
बिहार के मुख्य सचिव ने कहा कि यह फैसला किया गया है कि जहां के बच्चे प्रभावित हैं वहां के लिए एक टीम बनेगी जो कि घर-घर जाएगी और उनकी सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय पृष्ठभूमि को जानने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि यह टीम उन लोगों की स्थिति जिसमें गरीबी और स्वच्छता का आकलन करेगी और देखेगी कि क्या इस बीमारी के पीछे एक पर्यावरणीय कारक भी है या नहीं।
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लोगों को जागरूक करने के दिए गए निर्देश
दीपक कुमार ने कहा कि सीएम ने यह भी निर्देश दिए हैं कि अस्पताल में डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है और वे सभी अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं लेकिन कुछ डॉक्टरों को बाहर से लाया जाना चाहिए। जिसके बाद डीएमसीएच और पीएमसीएच के कुछ डॉक्टरों को आज वहां भेजा जा रहा है। सचिव ने कहा कि लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जा रही है और बताया जा रहा है कि बच्चों को खाली पेट नहीं सोने देना चाहिए और अगर वे बीमार पड़ते हैं तो उन्हें तुरंत अस्पताल लाया जाना चाहिए। हमने निर्देश दिए हैं कि सभी आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सभी घरों में ओआरएस वितरित करें और उन्हें इसका महत्व बताएं।
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