नीतीश की छाया से भाजपा मुक्त ! नये डिप्टी सीएम संग 2025 की तैयारी
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बिहार में नीतीश की छाया से मुक्त होने के लिए भाजपा ने पहला कदम बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे प्रिय भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी अब डिप्टी सीएम नहीं रहेंगे। सुशील मोदी ने खुद कबूल किया है कि पार्टी अब जो भी जिम्मेदारी देगी उसका निर्वहन करूंगा। कटिहार के विधायक तारकिशोर प्रसाद भाजपा विधानमंडल दल के नेता चुने गये है। बेतिया की विधायक रेणु देवी को उप नेता चुना गया है। दोनों को ही डिप्टी सीएम बनाये जाने की संभावना है। सुशील मोदी को नीतीश समर्थक छवि की कीमत चुकानी पड़ी है। राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा है कि जब तक सुशील मोदी नीतीश सरकार में भाजपा के नम्बर एक नेता रहेंगे तब तक बिहार में भाजपा अपनी अलग पहचान नहीं बना पाएगी। बिहार एनडीए में सुशील मोदी को नीतीश की परछाईं समझा जाता है। विधानसभा चुनाव में 74 सीटें जीतने के बाद अब भाजपा को ये महसूस हो रहा है कि वह 2025 में अकेले सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है। लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमी ये है कि उसके पास कोई सीएम चेहरा नहीं है। इस लिए उसने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है। नये डिप्टी सीएम की ताजपोशी से भाजपा 2025 की इमारत के लिए नयी नींव डालेगी।
नीतीश के लिए बैंटिंग
2019 लोकसभा चुनाव के पहले नवम्बर 2018 में जब एनडीए में टिकट बंटवारे के मुद्दे पर घटक दलों के बीच ठनी हुई थी तब उपेन्द्र कुशवाहा और सुशील मोदी के बीच जोरदार जुबानी जंग हुई थी। उस समय उपेन्द्र कुशवाहा, नीतीश कुमार पर लगातार आरोप लगाते रहे थे कि सीएम ने उन्हें नीच कहा है। इसके जवाब में भाजपा नेता सुशील मोदी ने मोर्चा संभाला था और कहा था कि नीतीश ने नीच शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया था। वे इसके गवाह हैं। इस बात पर कुशवाहा भड़क गये थे और सुशील मोदी को नीतीश कुमार का भोंपू करार दिया था। इसी तरह प्रशांत किशोर ने जब नीतीश कुमार को पिछलग्गू कहा था तो इसका जवाब भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने ही दिया था। प्रशांत किशोर ने भी कहा था कि नीतीश कुमार ने सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम बना दिया। इनकी क्रोनोलॉजी बिल्कुल क्लीयर है। यानी सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के लिए खुल कर बैटिंग
बिहार के नए डिप्टी सीएम बनाए जाने पर क्या बोले रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद
सुशील मोदी पर नीतीश समर्थक ठप्पा
2015 में नीतीश कुमार ने खुद सुशील मोदी पर एक बड़ी टिप्पणी की थी। उस समय नीतीश कुमार और भाजपा एक दूसरे के खिलाफ थे। 2013 में नीतीश ने भाजपा को सरकार से निकाल दिया था। भाजपा और नीतीश के बीच राजनीति अदावत चरम पर थी। सुशील मोदी, नीतीश कुमार को धोखेबाज बता कर लगातार उन पर हमले कर रहे थे। तब 13 मार्च 2015 को एक समचार चैनल से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा था, "मुझे लगता है कि सुशील मोदी की पार्टी में स्थिति अच्छी नहीं है। उन पर पहले से ठप्पा लगा है कि वे मेरे समर्थक हैं। लोग मानते हैं कि उनसे मेरे अच्छे संबंध हैं। अब वे पार्टी में अपनी रेटिंग बढ़ाने के लिए मेरे खिलाफ बयान दे रहे हैं।" यानी नीतीश कुमार को भी ये बात मालूम है कि उनकी वजह से सुशील मोदी की भाजपा में स्थिति अच्छी नहीं रही है। ऐसा नहीं है कि भाजपा के नेता इस बात से अंजान थे। जब तक नीतीश ताकतवर रहे भाजपा चुप रही। लेकिन जैसे ही वह जदयू से बड़ी पार्टी बनी, बिना वक्त जाया किये फैसला सुना दिया।
नये डिप्टी सीएम संग भविष्य की तैयारी
अब भाजपा सुशील मोदी की बजाय किसी ऐसे नेता को डिप्टी सीएम बनाना चाहती है जिसको वह 2025 के चुनाव में सीएम पद का प्रत्याशी प्रोजेक्ट कर सके। कटिहार के विधायक तारकिशोर प्रसाद चौथी बार विधायक बने हैं। तारकिशोर प्रसाद भी सुशील मोदी की तरह वैश्य समुदाय से आते हैं। इसलिए सामाजिक समीकरण के स्तर पर भी कोई असंतुलन नहीं होगा। सुशील मोदी ने खुद तारकिशोर प्रसाद को विधानमंडल दल का नेता चुने जाने पर बधाई दी है। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सुशील मोदी से सहानुभूति प्रकट की है और कहा है, आप भाजपा के नेता हैं और रहेंगे, पद से कोई बड़ा या छोटा नहीं होता। बेतिया की विधायक रेणु देवी को भाजपा विधानमंडल दल का उपनेता चुना गया है। वे अतिपिछड़े नोनिया समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। उनको भी डिप्टी सीएम बनाये जाने की चर्चा है। यानी भाजपा दो विकल्प तैयार करने की कोशिश में है। 2025 तक जो बेहतर साबित होगा उसके चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा।