बिहार: स्पीकर के चुनाव में भाजपा की 'B-Team' या ओवैसी की पार्टी ने किसे डाला वोट, जानिए
पटना- बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता पाने से नाकाम रहने के बाद आरजेडी की अगुवाई वाले महागठबंधन ने अपनी हार का ठीकरा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पर फोड़ा था। राजद की अगुवाई वाले सारे दलों और 'सेक्युलर विचारधारा' के लोगों ने आरोप लगाया था कि ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल- मुस्लिमीन ने सीमांचल की मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़कर 'धर्मनिरपेक्ष ताकतों' को कमजोर करने का काम किया। पार्टी के 5 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन उसे बीजेपी की 'बी' टीम कहा गया और दावा किया जा रहा था कि पार्टी ने चुनाव में भाजपा की मदद की है। इसलिए, जिस तरीके से राजद ने विधानसभा स्पीकर के चुनाव में बाजी पलटने की कोशिश शुरू की थी और लालू यादव का एक कथित ऑडियो टेप जारी हुआ, उससे सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि ओवैसी की पार्टी आखिर किसका समर्थन करती है।
बुधवार को बिहार विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव से पहले तक एआईएमआईएम ने यही लाइन लिया कि स्पीकर पद पर चुनाव सर्वसम्मति से होना चाहिए। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखतरुल ईमान ने आखिरी वक्त तक यही कहा कि वह तो बिहार में थर्ड फ्रंट हैं, इसलिए महागठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने यह भी जानकारी दी थी कि दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए उनसे वोट मांगा है। खैर जब स्पीकर को चुनने के लिए वोटिंग हुई तो एनडीए के उम्मीदवार और बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा को 243 विधायकों वाले सदन में कुल 126 वोट मिले और वह स्पीकर निर्वाचित हुए। उनके मुकाबले राजद के पांच बार के विधायक अवध बिहारी चौधरी को 114 विधायकों का ही समर्थन मिला।
विजय कुमार सिन्हा को जो 126 वोट मिले हैं, उसमें बीजेपी के 74, जदयू के 43, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के 4 और वीआईपी के 4 विधायकों यानि एनडीए के सभी 125 विधायकों का समर्थन शामिल है। इसके अलावा बीजेपी को जो 1 वोट मिली है, वह एकमात्र लोजपा विधायक का है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद कुमार झा ने वन इंडिया से बातचीत में कहा है, "लोजपा का वोट हमारे पक्ष में आया है। मटिहानी वाले विधायक ने विजय कुमार सिन्हा जी को वोट दिया है।"
अब जरा राजद उम्मीदवार को मिले 114 वोटों का हिसाब देख लीजिए। राजद के 75, कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के कुल 16 विधायकों को मिलाकर महागठबंधन के कुल 110 विधायक हैं। इनमें से महागठबंधन के दो विधायकों अनंत सिंह और अमरजीत कुशवाहा अभी विधानसभा की सदस्यता की शपथ नहीं ले पाए हैं। यानि महागठबंधन के पास अपने सिर्फ 108 ही विधायक वोटिंग में शामिल हुए। जबकि, उसे इससे कहीं ज्यादा 6 विधायकों का अतिरिक्त वोट मिला है। ये 6 विधायक हैं बीजेपी की 'बी टीम' वाले ओवैसी की पार्टी के 5 और बहुजन समाज पार्टी के एक विधायक। इस तरह से महागठबंध के मुताबिक जो पार्टी हैदराबाद से उसे हराने के लिए बिहार आई थी, उसके विधायकों ने विधानसभा में उसके स्पीकर पद के दावेदार को हराने के लिए राजद के उम्मीदवार का समर्थन किया है। जब भाजपा प्रवक्ता आनंद झा से वन इंडिया ने बिहार में एआईएमआईएम के बढ़ते प्रभाव को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "बिहार में कट्टरता की स्थिति अलार्मिंग है और एआईएमआईएम इस्लामिक कट्टरता को बढ़ाने का काम कर रही है और ये बिहार और भारत के लिए बहुत ही घातक है।"
वैसे बिहार में जिस तरह से लालू यादव जैसे सजायाफ्ता मुजरिम की ओर से रांची के एक जेल में रहते हुए भाजपा के एक विधायक को तोड़ने की कोशिश करने वाला कथित ऑडियो वायरल हुआ है और जिस तरह से उनके बेटे तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए विधायकों का आंकड़ा 114+2= 116 तक पहुंचाया है, उससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के मैनेजरों की नींद आगे भी उड़ी-उड़ी रहने वाली है। क्योंकि कहने के लिए यह फर्क 10 विधायकों का है, लेकिन उनके साथ 4-4 विधायकों वाली पार्टियां भी शामिल हैं।
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