क्या नीतीश के आवास में भैंस को नहलाने के लिए नालंदा से पानी आता है?
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन चर्चा के दौरान भैंस बहस का मुद्दा बन गयी। राजद विधायक ललित यादव विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक हैं। तेजस्वी के इरादतन गैरहाजिरी के बाद ललित यादव ने ही सदन में राजद का मोर्चा संभाल रखा है। ललित यादव ने नीतीश कुमार के एक बयान की प्रतिक्रिया में कहा कि क्या सीएम आवास में भैंस नहलाने के लिए नालंदा से पानी आता है ? ललित यादव ने आखिर ऐसा क्यों कहा? क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भैंस पालते हैं? सदन में आखिर भैंस बहस का मुद्दा कैसे बन गय़ी?
भैंस कैसे बनी बहस का मुद्दा ?
मौजूदा सत्र में जल संरक्षण पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि लोगों को स्वच्छ पानी पीने के लिए हर घर नल का जल पहुंचाया जा रहा है। लेकिन गांव-गांव में कुछ लोग नल के जल से भैंस नहला रहे हैं। यह पानी की फिजुलखर्ची है। नीतीश कुमार के इस बयान पर राजद के मुख्य सचेतक ललित यादव ने सत्र के चौथे दिन उस समय प्रतिक्रिया व्यक्त की जब कृषि बजट पर चर्चा चल रही थी। ललित यादव ने कहा कि नीतीश कुमार का यह बयान राज्य के किसानों और भैंस पालकों का अपमान है। भैंस किसानों की जिंदगी से जुड़ी हुई है। नीतीश कुमार को किसानों से माफी मांगनी चाहिए। अगर गांव के लोग नल के जल से भैंस नहलाते हैं तो क्या सीएम आवास में भैंस नहलाने के लिए नालंदा से पानी आता है ? मालूम हो कि नीतीश का पैतृक घर नालंदा जिले के कल्याण बिगहा गांव में है।
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भैंस नहीं गाय पालते हैं नीतीश
ललित यादव ने तंज कसने के लिए सीएम आवास में भैंस धोने की बात कही थी। नीतीश कुमार भैंस नहीं बल्कि गाय पालते हैं। मुख्यमंत्री आवास में उन्होंने 8 गाय पाल रखी हैं। 6 बछड़े भी हैं। ये सभी गायें देसी नस्ल की हैं। वे दूध के लिए भैंस की बजाय गाय पालना पसंद करते हैं। गाय में भी जर्सी नहीं बल्कि देसी। देसी गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए सबसे उत्तम है। नीतीश कुमार कई मौकों पर अपने गौपालन की बहुच चाव से चर्चा करते रहे हैं। वे जब सुबह उठते हैं तो सबसे पहले गौशाला पहुंचते हैं। कुछ देर गायों की देखभाल के बाद वे अपने आवास की जैविक खेती और औषधीय पौधों का जायजा लेते हैं। दरअसल नल का जल नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना है। उनकी चर्चित सात निश्चय योजना का सबसे अहम हिस्सा है। इस योजना के तहत बिहार के हर घर तक सप्लाई वाटर पहुंचाया जाना है ताकि सभी लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी मिल सके। इस योजना के पानी को बर्बाद किये जाने पर ही नीतीश भैंस वाली बात कही थी।
क्या भैंस पालने वाले ही पानी बर्बाद करते हैं?
क्या बिहार में भैंस पालने वाले ही स्वच्छ पानी को बर्बाद कर रहे हैं? क्या ऐसा कह कर नीतीश ने किसानों का या एक जाति विशेष का अनादर किया है? दरअसल ये सवाल इस लिए पूछा जा रहा है कि बिहार की राजनीति में भैंस एक प्रतीक भी है। लालू यादव अक्सर कहते रहे हैं कि वे भैंस का सिंग पकड़ कर उसकी पीठ पर बैठा करते थे। कभी नीतीश कुमार के सहयोगी रहे प्रेम कुमार मणि ने भी इस सवाल को उठाया है। मणि चर्चित लेखक हैं। उन्होंने नीतीश के इस बयान को जातीय भेदभाव वाला बताया है। उनका सवाल है कि नीतीश कुमार की मोटर गाड़ियां किस पानी से धोयी जाती हैं? उनके बंगले की फुलवारी और खेती की सिंचाई किस पानी से होती है? जाहिर है ये सब काम नल के जल से ही होता है। शहरों मे गैराज चलाने वाले मोटर धुलाई के लिए रोज हजारों गैलन पानी बर्बाद करते हैं। लेकिन नीतीश जी केवल भैंस पालकों को ही पानी बर्बाद करने के लिए जिम्मेवार मान रहे हैं।
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