पिछले बिहार चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ी थी LJP, इस बार क्यों अड़े हुए हैं चिराग पासवान
आखिर बिहार चुनाव में इस बार चिराग पासवान के एनडीए के सामने अड़ने की वजह क्या है?
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब महज एक महीना शेष बचा है और प्रदेश की राजनीति के अहम दलों के बीच खींचतान जारी है। महागठबंधन में जहां जीतनराम मांझी के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अलग राह पकड़ ली है, तो वहीं कांग्रेस और आरजेडी के बीच भी सीटों को लेकर असमंजस के हालात बने हुए हैं। दूसरी तरह, एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान के तेवर भी फिलहाल बदले हुए नजर आ रहे हैं। नीतीश सरकार पर लगातार निशाना साध रहे चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए बिहार चुनाव में सम्मानजनक सीटें चाहते हैं और ऐसा ना होने पर अलग चुनाव लड़ने की बात इशारों-इशारों में कह चुके हैं। ऐसे में आइए जानते है कि पिछली बार लोक जनशक्ति पार्टी बिहार में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ी थी और इस बार चिराग पासवान के अड़ने की वजह क्या है?
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चिराग पासवान को एनडीए कितनी सीट देना चाहता है
सबसे पहले बात करते हैं पिछले बिहार विधानसभा चुनाव की। 2015 के विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी को एनडीए में रहते हुए बिहार की 243 सीटों में 42 सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिलीं थी। हालांकि एलजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और वो केवल 2 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई। चिराग पासवान इस बार भी अपनी पार्टी के लिए विधानसभा की 42 सीटें ही मांग रहे हैं। वहीं, सूत्रों की मानें तो एनडीए में उन्हें 25 से 30 सीटें देनें पर विचार चल रहा है। चिराग पासवान ने संकेत दिए हैं कि अगर उन्हें कम सीटें मिलीं तो वो बिहार चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरेंगे।
चिराग की 42 सीटों पर दावेदारी की क्या है असल वजह
अब जानते हैं कि आखिर चिराग पासवान 42 सीटों का दावा किस आधार पर कर रहे हैं। दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान के कहने पर ही उनके पिता और उस समय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवास एनडीए में शामिल हुए। इस चुनाव में एनडीए ने एलजेपी को बिहार में 7 सीटें चुनाव लड़ने के लिए दीं, जिनमें से 6 सीटों पर उन्हें जीत मिली। इसके बाद 2019 के चुनाव में एलजेपी को लोकसभा की 6 सीटें दी गईं और एक राज्यसभा सीट भी उनके खाते में गई। एलजेपी ने इन सभी 6 सीटों पर जीत का परचम लहराया।
हर लोकसभा सीट पर 6 विधानसभा सीटों का गणित
DNA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की 42 सीटों की मांग के पीछे इन दोनों लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी का प्रदर्शन ही मुख्य आधार है। चिराग पासवान का मानना है कि दोनों लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट सबसे बढ़िया रहा है और हर लोकसभा सीट पर 6 विधानसभा सीटों के गणित के हिसाब से एलजेपी की दावेदारी 42 सीटों पर बनती है।
42 सीटें ना मिलें तो ये है चिराग पासवान का दूसरा विकल्प
हालांकि, अगर एनडीए में उनकी 42 विधानसभा सीटों की दावेदारी नहीं मानी जाती तो चिराग पासवान ने भाजपा के सामने एक और विकल्प रखा है। दरअसल, चिराग पासवान चाहते हैं कि बिहार विधान परिषद में राज्यपाल की तरफ से मनोनीत होने वाली 12 सीटें एलजेपी को दी जाएं। इसके अलावा आने वाले चुनाव में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की एक सीट भी चिराग पासवान मांग रहे हैं।
डिप्टी सीएम पद पर भी चिराग की निगाहें
अब अगर भाजपा चिराग पासवान की इस मांग पर भी सहमति नहीं देती है तो उन्होंने एक तीसरा विकल्प पार्टी के सामने छोड़ा है। चिराग पासवान का कहना है कि अगर बिहार में एनडीए सरकार की वापसी होती है तो उन्हें प्रदेश के डिप्टी सीएम की पोस्ट दी जाए। इनमें से किसी भी मांग पर अगर एनडीए में सहमति बनती है तो चिराग गठबंधन में रहने के लिए तैयार हैं। लेकिन, अगर सहमति नहीं बनती तो चिराग पासवान ने अकेले ही बिहार की सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने के संकेत दिए हैं।
10 नवंबर को होगा तय, बिहार में अगली सरकार किसकी
आपको बता दें कि बिहार में 3 चरणों के तहत मतदान होगा, जिनमें पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। इसके बाद दूसरे चरण में 3 नवंबर और तीसरे चरण में 7 नवंबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती 10 नवंबर को की जाएगी और उसी दिन तय हो जाएगा कि बिहार में अगली सरकार किसकी बनने जा रही है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में महागठबंधन और एनडीए की तरफ से सीटों के बंटवारे को लेकर फाइनल लिस्ट सामने आ जाएगी।
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