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चिराग पासवान से सहानुभूति दिखाकर तेजस्वी यादव ने कर दी बड़ी गलती!

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चिराग पासवान से सहानुभूति दिखाकर तेजस्वी यादव ने कर दी बड़ी गलती!

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Bihar Assembly Elections 2020: Tejashwi Yadav बोले, Chirag Paswan के साथ हुआ अन्याय | वनइंडिया हिंदी

बिहार की राजनीति हर दिन करवट बदलती दिख रही है। चुनाव होने तक और चुनाव बाद जब तक कि नयी सरकार नहीं बन जाती राजनीति की करवट बदलती यह बेचैनी बिहार की जनता को झेलनी पड़ेगी। आगे भी कब तक, यह जनादेश के स्वरूप पर निर्भर करने वाला है। फिलहाल महागठबंधन की ओर से भावी मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चिराग के लिए सहानुभूति दिखलायी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस सहानुभूति से चिराग पासवान को फायदा होगा या नुकसान? इसी तरह क्या खुद चिराग पासवान को तेजस्वी के प्रति प्यार दिखाने का फायदा मिलने जा रहा है या नुकसान होने जा रहा है?

चिराग के पास दो हैं शक्ति, कमजोरी भी दो

चिराग के पास दो हैं शक्ति, कमजोरी भी दो

चिराग पासवान के पास दो शक्ति है- एक दिवंगत पिता रामविलास पासवान के लिए सहानुभूति और दूसरी नरेंद्र मोदी के लिए एकतरफा प्यार। इसी तरह चिराग पासवान की दो बड़ी कमजोरी भी साथ-साथ है- एक वे इस चुनाव में अकेले हैं या फिर अकेले दिख रहे हैं जबकि उन्हें विश्वास दिलाना पड़ रहा है कि बीजेपी उनके साथ है। दूसरी बड़ी कमजोरी है कि नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़े विरोधी बन चुके हैं चिराग पासवान, यहां तक कि तेजस्वी यादव से भी बड़े। खास बात यह है कि चिराग पासवान ने अपने लिए शक्ति और कमजोरी दोनों स्थितियां खुद बनायी हैं। मगर, परिस्थिति ऐसी है कि सहानुभूति भी चिराग को खाक कर देने के लिए चिनगारी का काम कर सकती है। तेजस्वी यादव ने जो सहानुभूति चिराग के साथ दिखलायी है उससे चिराग की मुश्किल और बढ़ने वाली है। नरेंद्र मोदी के हनुमान की उनकी छवि जो वास्तव में अभी बनी भी नहीं है, हमेशा के लिए बिगड़ जाएगी। तेजस्वी ने एक तरह से नीतीश कुमार का काम आसान कर दिया है। यह संदेश दिया है कि चिराग पासवान बीजेपी के अलावा किसी और के पाले में भी जा सकते हैं। आरजेडी-एलजेपी गठजोड़ की संभावना की चर्चा को जन्म देकर वास्तव में तेजस्वी ने बीजेपी और जेडीयू को और करीब लाने का काम किया है। किसी भी नजरिए से यह राजनीतिक बुद्धिमत्ता नहीं है।

तेजस्वी की सहानुभूति से खुद को दूर रखें चिराग

तेजस्वी की सहानुभूति से खुद को दूर रखें चिराग

चिराग के लिए यह अच्छा होगा कि वे तेजस्वी की सहानुभूति से खुद को दूर रखें और बीजेपी के साथ सरकार बनाने की संभावना को मजबूत करें। ऐसा करके ही वे नीतीश कुमार को चुनाव में पटखनी दे सकते हैं। केवल चिराग ही हैं जो जेडीयू को हर सीट पर चुनौती दे रहे हैं। चिराग पासवान के साथ बीजेपी समर्थकों की एक पूरी फौज है जिसे अपने साथ जोड़े रखने के लिए भी उन्हें तेजस्वी की सहानुभूति लौटानी होगी। यही राजनीतिक चातुर्य है। तेजस्वी यादव ने रामविलास पासवान की याद दिलाकर चिराग पासवान के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होने की जो बात कही है उसे गलत कोई नहीं ठहरा सकता। अमित शाह का इस बात पर चुप्पी मार जाना कि अखिल भारतीय स्तर पर चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी एनडीए में है या नहीं- वास्तव में वैसी ही राजनीतिक चतुराई है जिसकी अपेक्षा तेजस्वी यादव से की जा रही थी। अमित शाह चाहते तो कह सकते थे कि रामविलास पासवानजी का दिवंगत होने के बाद कैबिनेट बर्थ पर एलजेपी का दावा है और चिराग खुद या किसी और के लिए यह जगह मांग सकते हैं। लेकिन उन्होंने न तो इसे नकारा और न ही स्वीकारा। ऐसा इसलिए क्योंकि वे जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर ध्यान फोकस करना चाहते हैं।

चुनाव लड़ने पर फोकस करते तेजस्वी यादव

चुनाव लड़ने पर फोकस करते तेजस्वी यादव

तेजस्वी यादव को भी इस वक्त चुनाव लड़ने पर फोकस करना चाहिए। चुनाव पूर्व गठबंधन का समय चला गया और चुनाव बाद गठबंधन के लिए बातचीत करने का यह सही समय नहीं है। ऐसा नहीं हो सकता कि जेडीयू को हराने का प्रण लिए बैठे एलजेपी के वोटर किसी भी सूरत में अपना वोट आरजेडी को देंगे। क्योंकि, जेडीयू के खिलाफ आरजेडी भले हर सीट पर खड़ी ना हो, लेकिन एलजेपी है। दलित वोट का भी कोई फायदा चिराग से सहानुभूति दिखाकर तेजस्वी को मिलेगा, ऐसा नहीं लगता। यह संभव है कि खुद उनकी राघोपुर की सीट पर उन्हें इसका फायदा मिल जाए। मगर, यह बड़े राजनीतिक परिदृश्य के हिसाब से बहुत छोटी बात होगी। तेजस्वी की रणनीति इस वक्त होनी चाहिए थी कि किस तरीके से जेडीयू और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ायी जाए। ऐसा करने के लिए उनका चुप रहना काफी था। चिराग यह काम अकेले करने में सफल थे। अब भी बहुत कुछ बिगड़ा नहीं है। वो अपने बयान को सुधार सकते हैं। बीजेपी और एलजेपी के बीच नजदीकी और गहरे रिश्ते की बात उभार सकते हैं और कह सकते हैं कि बीजेपी के भीतर रामविलास पासवान के लिए आज भी बहुत सम्मान है। चिराग पासवान को इसका फायदा मिलेगा।

वोटकटवा हैं चिराग तो डरे हुए क्यों हैं नीतीश समर्थक?वोटकटवा हैं चिराग तो डरे हुए क्यों हैं नीतीश समर्थक?

फिलहाल यही लगता है कि तेजस्वी के सलाहकारों ने उनसे बड़ी गलती करा दी है। राजनीतिक नुकसान इससे तेजस्वी का भी होगा और चिराग पासवान का तो होना ही है। सबसे बड़ा फायदा नीतीश कुमार को मिलेगा क्योंकि उनकी वह कोशिश सफल होगी जिसमें वे समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि चिराग वास्तव में बीजेपी के सहयोगी नहीं दुश्मन हैं। तो, है न सोचने की बात। गलती तो तेजस्वी से हो गयी है।

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English summary
Bihar assembly elections 2020: Showing sympathy to Chirag Paswan, Tejashwi Yadav made a big mistake!
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