चिंता में डूबे लालू - तेजस्वी की राह में कांटे ही कांटे, कैसे बनेंगे बिहार का सीएम ?
नई
दिल्ली।
बिहार
में
आठ
महीने
बाद
चुनाव
होने
हैं।
चुनावी
सफर
शुरू
होने
से
पहले
ही
तेजस्वी
यादव
की
राह
में
कांटे
ही
कांटे
बिछ
गये
हैं।
लालू
उनको
मुख्यमंत्री
बनाने
का
सपना
पाले
हुए
हैं।
लेकिन
तेजस्वी
की
राह
में
खड़ी
हो
रही
बाधाओं
से
उनकी
चिंता
बढ़
गयी
है।
महागठबंधन
में
तेजस्वी
को
नेता
स्वीकार
करने
पर
ही
सवालिया
निशान
लग
गया
है।
तेजस्वी
की
अनुभवहीनता
की
मुद्दा
अभी
से
गरमाने
लगा
है।
तेजप्रताप
और
तेजस्वी
में
सुलह
की
कोशिश
शुरू
ही
हुई
थी
कि
अभिनंदन
विवाद
सामने
आ
गया।
अब
जिस
रथ
से
वे
चुनावी
यात्रा
पर
निकलने
वाले
हैं
वह
भी
विवादों
में
घिर
गया
है।
तेजस्वी
पर
आरोप
लगा
है
कि
उन्होंने
फर्जीवाड़ा
के
जरिये
एक
गरीब
आदमी
के
नाम
पर
लक्जरी
बस
हासिल
की
है
जिसे
हाईटेक
रथ
का
रूप
दिया
गाया
है।
जेल
में
बंद
(अस्पताल
में
इलाजरत)
लालू
बेबस
हैं।
उनको
चिंता
सताने
लगी
है
कि
अगर
यूं
ही
होता
रहा
तो
तेजस्वी
का
क्या
होगा।
तेजस्वी की योग्यता पर सवाल
तेजस्वी को जिस महागठबंधन का नेता बताया जाता रहा है अब उस पर ही सवाल खड़े हे गये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और खुद को निषादों का नेता बताने वाले मुकेश सहनी ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानने से इंकार कर दिया है। इनकी नजर में तेजस्वी इतने काबिल नहीं हैं कि वे नीतीश जैसे मंझे हुए नेता का मुकाबला कर सकें। इन्होंने शरद यादव का नाम आगे कर तेजस्वी की राह को रोकने के लिए पासा फेंक दिया है। मांझी, कुशवाहा और सहनी ने महागठबंधन की तरफ से शरद यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने की सलाह दी है। यह सलाह लालू को बहुत अखरी है। कांग्रेस ने शरद यादव के नाम को तो नकार दिया लेकिन तेजस्वी का समर्थन भी नहीं किया। कांग्रेस ने सीएम फेस के लिए मीरा कुमार का नाम उछाल दिया है। योग्यता और अनुभव में मीरा कुमार को शरद यादव से आगे बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी तेजस्वी की अनुभवहीनता का मुद्दा उछला था। अगर तेजस्वी पर इसी तरह सवाल उठते रहे तो वोटर उनकी क्षमता पर कैसे भरोसे करेंगे ?
सुलह में अड़चन
तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच अनबन से लोकसभा चुनाव में राजद को बहुत नुकसान हुआ था। तेजप्रताप की वजह से ही राजद जहानाबाद की सीट नहीं जीत पाया था। चार दिन पहले तेजप्रताप ने तेजस्वी के पक्ष में पोस्टर जारी किया था- तेज रफ्तार, तेजस्वी सरकार। माना जा रहा है कि तेजप्रताप ने छोटे भाई से सुलह के लिए ये पोस्टर लगवाया था। लेकिन इस बीच तेजप्रताप संग साये की तरह रहने वाले सहयोगी अभिनंदन यादव की तेजस्वी से ठन गयी। 13 फरवरी 2020 को एक ऑडियो क्लीप वायरल हुई थी। अभिनंदन के मुताबिक ऑडियो में आवाज तेजस्वी यादव की है। ये ऑडियो क्लीप 2018 की बतायी जा रही है। अभिनंदन ने तेजस्वी पर गाली गलौज करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस को लिखित शिकायत की गय़ी है और ऑडियो की सीडी भी सौंपी गयी है। अभिनंदन का दावा है कि इस सीडी में तेजस्वी यादव की धमकी और गाली-गलौज रिकॉर्ड है। वैसे इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है। इस विवाद के उभरने से सुलह की कोशिश पर पानी फिर सकता है। जब तेजप्रताप का पत्नी ऐश्वर्या से विवाद शुरू हुआ था तब उन्होंने राबड़ी देवी का घर छोड़ दिया था। उस समय अभिनंदन यादव ही तेजप्रताप के सबसे करीबी थे। अभिनंदन खुद को तेजप्रताप का पूर्व सचिव बताते रहे हैं। चर्चा के मुताबिक तेजस्वी, अभिनंदन को ही अपने बड़े भाई से विवाद की वजह मानते हैं। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि चुनाव के पहले एक पुरानी ऑडियो क्लीप क्यों और किस मकसद से वायरल की गयी ?
विवादों में तेजस्वी का रथ
चुनावी मुहिम शुरू करने के लिए तेजस्वी 23 फरवरी से बेरोजगारी हटाओ यात्रा पर निकलने वाले हैं। इस यात्रा के लिए एक हाईटेक बस को रथ का रूप दिया गया है। लेकिन इस बीच नीतीश सरकार के मंत्री नीरज कुमार ने यह कह कर ससनी मचा दी कि जिस लक्जरी बस से तेजस्वी यात्रा करने वाले हैं उसका मालिक वैसा व्यक्ति है जो गरीबी रेखा से नीचे का है। मंत्री नीरज के कुमार के मुताबिक बस के मालिक मंगल पाल हैं जिनका नाम बीपीएल सूची में दर्ज है। वे बख्तियारपुर के हिदायतपुर गांव के रहने वाले हैं। जब मंगल पाल गरीबी रेखा से नीचे हैं तो वे एक लक्जरी बस कैसे खरीद सकते हैं। मंत्री के मुताबिक, परिवहन विभाग में बस मालिक का जो मोबाइल नम्बर दर्ज है वह बख्तियारपुर के रहने वाले राजद के पूर्व विधायक अनिरुद्ध यादव का है। मंत्री नीरज कुमार ने सवाल पूछा है कि क्या अनिरुद्ध यादव को राज्यसभा या विधान परिषद में भेजने के बदले तो ये डील (बस) नहीं हुई है। हालांकि पूर्व विधायक अनिरुद्ध यादव ने कहा है कि मंगल पाल ठेकेदार हैं और उन्होंने अपने बल पर इस बस को खरीदा है। वैसे यह मामला जांच का विषय़ है। लेकिन इस विवाद के उभरने से तेजस्वी की छवि पर आंच आ सकती है।