Bihar Election 2020:आखिरी दौर की वोटिंग से पहले RJD की ध्रुवीकरण की कोशिश, किसको मिलेगा फायदा ?
नई दिल्ली- बिहार में कल आखिरी चरण में जिन 78 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से कई सीटों मुसलमान वोटरों का रोल बेहद अहम रहने वाला है। यह दौर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के लिए भी खास रहने है और इसलिए राष्ट्रीय जनता दल के लिए अपने MY समीकरण को एकजुट रख पाना बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रही है। शनिवार को जिन इलाकों वोटिंग होनी है, उनमें तिरहुत, मिथिलांचल और सीमांचल शामिल हैं। ऐसे में बिहार में राजद के सबसे बड़े मुस्लिम नेता और पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक ऐसा विवादास्पद बयान दिया है, जिसे जदयू और भाजपा ध्रुवीकरण की कोशिश बता रही है।
राष्ट्रीय जनता दल के सबसे वरिष्ठ और बड़े मुस्लिम नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बहुत ही विवादित टिप्पणी की है। खुद अपनी दरभंगा जिले की परंपरागत मुसलमानों के प्रभाव वाली अलीनगर विधानसभा सीट छोड़कर मुस्लिम बहुल केवटी सीट से चुनाव लड़ने को मजबूर सिद्दीकी ने अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले कहा है, "मोदी जी को ये एहसास नहीं हो रहा है कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं....उनको अब भी लग रहा है कि वे गुजरात के वही दंगे वाले मुख्यमंत्री हैं.....।" सिद्दीकी को मालूम है कि वह बिहार चुनाव में 18 साल पुराने गुजरात दंगों का जिन्न निकालकर आखिर कौन सा हित साधने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, मिथिलांचल की इस सीट पर मुस्लिम मतदाता ही चुनाव में हार-जीत का फैसला तो करते ही रहे हैं, इसके जरिए वह सीमांचल की उन तमाम सीटों के मतदाताओं को भी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं, जहां मुस्लिम वोटरों के बीच ओवैसी की लोकप्रियता राजद के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
सीमांचल की 24 सीटों को लेकर राजद को आशंका है कि अगर वहां ओवैसी की पार्टी ने वोटों में सेंधमारी की तो लालू यादव की पार्टी की हवा टाइट हो सकती है। इस इलाके पर अभी महागठबंधन का दबदबा है, जिसके पास 14 विधायक हैं। जबकि, एक सीट पर एआईएमआईएम का कब्जा है। वहीं एनडीए के पास 9 सीटें हैं। ऐसे में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर के बीच अगर ओवैसी ने अपनी लोकप्रियता को ईवीएम में भुना लिया तो राजद का सपना चकनाचूर होना तय है। सिद्दीकी के बयान को इसी मुस्लिम वोट बैंक से जोड़कर देखा जा रहा है।
सत्ताधारी गठबंधन की बात करें तो आरजेडी नेता के इस बयान से जेडीयू ज्यादा भड़की हुई नजर आ रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता नीरज कुमार ने सिद्दीकी पर पलटवार करते हुए कहा है, "किसी के कथन से नहीं हो जाता है। जनता ने जनादेश दिया और देश की संसद ने उसमें सहमति दी तो अकारण टिप्पणी करना वोट का ध्रुवीकरण है..... और क्या मंशा हो सकती है? काम का ध्रुवीकरण करिए न......" सिद्दीकी को लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा अटैक मुस्लिम वोटरों पर ओवैसी के प्रभाव को मटियामेट कर सकता है। इसलिए उन्होंने गुजरात ही नहीं अमेरिकी चुनाव का भी हवाला देकर मोदी-योगी को निशाना बनाने की कोशिश की है। उनके मुताबिक, "देश और दुनिया देख रही है, जैसे ट्रंप को जाना पड़ रहा है, वैसे एक दिन मोदी और 'जोगी' दोनों का बोरिया-बिस्तर देश की जनता बंधवा देगी।"
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ राजद नेता की ओर से की गई विवादित टिप्पणी पर पलटवार भाजपा ने भी किया है। पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन ने सिद्दीकी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, "बौखलाहट में और घबराहट में ये कुछ भी बोल रहे हैं। नरेंद्र मोदी अगर गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री थे तो वहां के आधार पर ही वे देश के प्रधानमंत्री बने।" वैसे इन चुनावों में ध्रुवीकरण की कोशिश के आरोप सिर्फ राजद पर ही नहीं लग रहे हैं। भाजपा नेताओं ने भी एनआरसी से लेकर लव जिहाद का मुद्दा उठाकर अपने एजेंडे पर हवा बनाने की भरपूर कोशिश की है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून और लव जिहाद कानून दोनों को जरूरी बता चुके हैं, तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि अगर कांग्रेस और आरजेडी सत्ता में आई तो दिल्ली के शाहीन बाग की तरह बिहार में भी अव्यवस्था और अराजकता का माहौल बन सकता है।