Bihar Assembly election 2020: क्या LJP को PM Modi के काम की तारीफ करने से रोक सकती है BJP
नई दिल्ली- बिहार चुनाव में इस बार जदयू और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा में जो विवाद बढ़ा है, उससे एनडीए के लिए एक अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है। लोजपा भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार नहीं देगी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू को चुनाव में हराने की कोशिश करेगी। भाजपा नीतीश कुमार के साथ सामने से पूरी ताकत से खड़ी है, लेकिन पर्दे के पीछे क्या चल रहा है इसको लेकर उठ रहे सवालों को वह चाहकर भी शांत नहीं करा पा रही है। लोजपा ताल ठोककर कह रही है कि वह चुनावों में प्रधानमंत्री की योजनाओं और उनके नेतृत्व की बखान करेगी। भाजपा के प्रदेश के नेता कह रहे हैं कि एनडीए के चार दलों को छोड़कर ऐसा करने का अधिकार किसी के पास नहीं है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या अगर चिराग पासवान की पार्टी पीएम मोदी की तस्वीरों और उनके कामों की तारीफ करना चाहे तो बीजेपी को उसे रोकने का अधिकार है ? क्या चुनाव आयोग इसपर रोक लगा सकता है ?
अजीब
स्थिति
में
उलझी
बिहार
बीजेपी
बिहार
बीजेपी
अजीब
उलझन
में
है।
एक
तरफ
चिराग
पासवान
की
एलजेपी
में
रोज
बीजेपी
के
बड़े-बड़े
नेता
शामिल
हो
रहे
हैं
तो
दूसरी
और
वह
दावे
के
साथ
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
की
लोकप्रियता
को
भुनाने
के
लिए
कमर
भी
कस
चुकी
है।
तथ्य
यह
भी
है
कि
भले
ही
बिहार
में
एलजेपी
एनडीए
से
बाहर
हो
गई
हो,
लेकिन
केंद्र
में
अभी
भी
रामविलास
पासवान
कैबिनेट
मंत्री
हैं।
एलजेपी
ने
घोषणा
की
है
कि
वह
243
में
से
उन
122
सीटों
पर
अपने
उम्मीदवार
उतारेगी
जहां
एनडीए
की
ओर
से
जेडीयू
के
प्रत्याशी
होंगे।
यह
ऐसी
स्थिति
है
कि
अगर
जेडीयू
और
एलजेपी
दोनों
के
प्रत्याशी
पीएम
मोदी
के
नाम
पर
ही
वोट
मांगेंगे
तो
मतदाताओं
में
कंफ्यूजन
बढ़ना
तय
है।
नीतीश
कुमार
और
उनकी
पार्टी
इसी
से
परेशान
हैं।
बीजेपी
ने
चुनाव
आयोग
में
जाने
की
दी
धमकी
नीतीश
कुमार
और
उनकी
पार्टी
को
चिराग
पासवान
के
दांव
से
बचान
के
लिए
ही
उनके
डिप्टी
सुशील
मोदी
ने
मंगलवार
को
कहा
था
कि,
'कोई
भी
पार्टी
जो
एनडीए
का
हिस्सा
नहीं
है,
लेकिन
प्रधानमंत्री
की
तस्वीर
चुनाव
के
लिए
इस्तेमाल
करना
चाहती
है,
उसे
ऐसा
नहीं
करना
चाहिए।'
बिहार
के
डिप्टी
सीएम
यहीं
नहीं
रुके।
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि,
'अगर
जरूरत
पड़ी
तो
हम
बिना
एनडीए
का
हिस्सा
हुए
चुनाव
अभियान
में
या
पब्लिसिटी
के
लिए
पीएम
के
नाम
का
इस्तेमाल
करने
वाली
पार्टियों
के
खिलाफ
चुनाव
आयोग
में
जाएंगे।
'
बीजेपी
के
प्रदेश
नेताओं
का
कहना
है
कि
उनकी
पार्टी,
जेडीयू,
हिंदुस्तानी
आवाम
मोर्चा
(सेक्युलर)
और
वीआईपी
के
अलावा
चुनाव
के
दौरान
किसी
को
भी
प्रधानमंत्री
मोदी
की
तस्वीर
इस्तेमाल
की
इजाजत
नहीं
मिलनी
चाहिए।
कांग्रेस
भी
पीएम
मोदी
की
तस्वीर
लगाए
तो
हमें
ऐतराज
नहीं-बीजेपी
महासचिव
लेकिन,
बिहार
बीजेपी
के
नेता
जो
दलीलें
दे
रहे
हैं,
उसका
कानूनी
आधार
क्या
है?
यही
वजह
है
कि
एलजेपी
के
नेताओं
ने
कहा
है
कि
'प्रधानमंत्री
किसी
पार्टी
के
नहीं
हैं।
वह
पूरे
देश
के
प्रधानमंत्री
हैं।
हमारे
लिए
प्रधानमंत्री
विकास
के
मॉडल
और
उनका
विचार
भारत
को
एक
विकसित
देश
बनाने
का
है।
हम
उनका
इस्तेमाल
नहीं
करेंगे,
बल्कि
उनके
विचारों
और
विजन
को
हम
लोगों
तक
ले
जाएंगे।
हम
लोग
बिहारियों
के
गौरव
के
लिए
लड़
रहे
हैं
और
पीएम
भी
उन्हें
सम्मान
देना
चाहते
हैं।
'
इस
मुद्दे
पर
बीजेपी
की
केंद्रीय
नेतृत्व
और
प्रदेश
नेतृत्व
की
सोच
में
भी
गहरी
खाई
नजर
आ
रही
है।
पार्टी
के
नए-नवेले
महासचिव
बने
दुष्यंत
गौतम
का
भी
कहना
है
कि
प्रधानमंत्री
मोदी
एक
राष्ट्रीय
नेता
हैं
और
उनकी
तस्वीर
तो
कोई
भी
लगा
सकता
है।
वो
तो
यहां
तक
कह
रहे
हैं
कि
'अगर
कांग्रेस
भी
उनकी
तस्वीर
का
इस्तेमाल
करना
चाहती
है
तो
हमें
क्यों
ऐतराज
होना
चाहिए।'
एलजेपी
की
चाल
से
जेडीयू
परेशान,बीजेपी
भी
निश्चिंत
नहीं
असल
में
लोक
जनशक्ति
पार्टी
के
अकेले
चुनाव
लड़ने
के
फैसले
से
बीजेपी-जेडीयू
का
सारा
समीकरण
बिगड़
गया
है।
यह
सब
पहले
से
तय
स्क्रिप्ट
के
हिसाब
से
हो
रहा
है
या
वाकई
चिराग
पासवान
की
नीतीश
सरकार
खुन्नस
बहुत
ज्यादा
बढ़
गई
थी
यह
तो
बाद
में
पता
चलेगा।
लेकिन,
उनके
तेवरों
से
जेडीयू
अगर
परेशान
है
तो
प्रदेश
बीजेपी
नेतृत्व
भी
निश्चिंत
नहीं
है।
बीजेपी
के
दो
बड़े
नेता
पार्टी
छोड़कर
एलजेपी
में
शामिल
हो
चुके
हैं।
पहले
राजेंद्र
सिंह
जैसे
कद्दावर
नेता
गए,
जो
2015
में
बिहार
में
बीजेपी
की
ओर
से
मुख्यमंत्री
के
संभावित
उम्मीदवार
थे।
दूसरा
नाम
वरिष्ठ
नेता
ऊषा
विद्यार्थी
का
है,
जिन्होंने
बुधवार
को
पासवान
की
पार्टी
में
जगह
बना
ली
है।
बिहार में कुल 243 सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं। मतदान, 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होंगे और वोटों की गिनती का काम 10 नवंबर को होगा।
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