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बड़ा खुलासा- नेताजी के आजाद हिंद फौज के खजाने की लूट में शामिल थे नेहरू!

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नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़े रहस्यों से आज भी पर्दा नहीं उठ सका है। हालांकि केंद्र सरकार ने नेताजी की मौत से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक किये जाने को लेकर हाई लेवल कमेटी का गठन किया है। वहीं नेताजी के मौत के रहस्य के पर किताब लिखने वाले अनुज धर ने सनसनीखेज खुलासा किया है।

netaji subhash chandra bose

टोक्यो ने कही थी आईएनए के खजाने में गड़बड़ी की बात

भारत की आजादी के वर्ष 1947 की शुरुआत में ही भारत सरकार से टोक्यो ने नेताजी की आईएनएए के वित्तीय कोष के बारे में पूछताछ की थी। टोक्यो ने भारत के विदेश मंत्रालय से आइएनए के कोष में गड़बड़ी का भी आरोप लगाया था। नेताजी को युद्ध में सहायता के लिए दुनियाभर से बड़ी मात्रा में कीमती हीरे, जवाहरात सहित स्वर्ण आभूषण दिये गये थे।

आखिरी यात्रा के दौरान नेताजी के पास था खजाने का बॉक्स

नेताजी अपनी आखिरी यात्रा के दौरान इस खजाने को साथ लेकर यात्रा कर रहे थे। सिंगापुर से सैगोन की यात्रा के दौरान इस खजाने को अपने साथ लेकर यात्रा कर रहे थे। वहीं माना जाता है कि इसी यात्रा के दौरान 18 अगस्त 1945 को नेताजी का विमान क्रैश हो गया था और उनकी मृत्यु हो गयी थी। हालांकि बाद में यह भी कहा गया कि नेताजी यहा से सोवित रूस चले गये थे और उनकी मौत नहीं हुई थी।

कहां गया आईएनए का खजाना

सितंबर 1945 में लेफ्टिनेंट कर्नल मोरियो टकाकुरा जोकि जापान सेना में अधिकारी थे उन्होंने दो भारतीयों को 3 खजाने के बॉक्स टोक्यों में दिये थे। वहीं टकाकुरा को उनके एक अधिकारी ने बताया कि इन तीन बॉक्स में से एक में नेताजी की अस्थियों की राख जबकि दो बॉक्स में सोने के बिस्कुट और हीरे थे।

खजाने को लेने गये भारतीय हो गये रातों रात अमीर

आपको बता दें कि उनमें से एक भारतीय मुंगा राममूर्ती जोकि भारतीय स्वतंत्रता लीग का सदस्य था वो रातोंरात अमीर बन गया था। उस समय की जापान की मीडिया की खबरों पर नजर डालें तो राममूर्ती और उसके छोटे भाई को दो बड़ी कारों में घूमते थे और ऐशो आराम की जिंदगी गुजार रहे हैं। यह सब ऐसे समय पर था जब जापान दूसरे विश्व युद्ध के बाद भारी वित्तीय संकट से गुजर रहा था।

सच को नहीं बताने के लिए दी गयी धमकी

यही नहीं राममूर्ती ने टकाकुरा को खजाने के बॉक्स के बारे में चुप्पी साधने की भी धमकी दी थी। टकाकुरा को विश्वयुद्ध के बाद युद्ध के अपराध में सजा का डर था जिसके चलते उन्होंने इस मामले में चुप्पी साधे रखी।

देश के पहले विदेश मंत्री भी शामिल इस लूट में, नेहरू को थी जानकारी

वहीं दूसरा व्यक्ति जो तीन बॉक्स को लेने गया था वो एसए अयर था। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को पहले दिन से ही अयर के बारे में पता था जोकि तत्कालीन विदेश मंत्री भी था। अयर को आजादी को बाद में मुंबई सरकार में नियुक्त किया गया और केंद्र सरकार में शामिल होने से पहले उसे जापान एक खुफिया मिशन पर भेजा गया था।

अयर को बोस की मौत के सच की खोजबीन करने के लिए भेजा गया था लेकिन उसकी संदिग्ध गतिविधियों के चलते टोक्यो में भारत के प्रमुख केके चेत्तूर ने इस मामले की जांच शुरु कर दी। चेत्तूर ने कई पत्र लिखकर इस बारे में नेहरू को अवगत कराया था। उन्होंने एक पत्र में लिखा था कि खजाने को बड़ी मात्रा में कैश में परिवर्तित कराया गया है और इसके बाद इसे कई पार्टियों में बांट दिया गया है।

खुफिया पत्र में हुआ था खुलासा

20 अक्टूबर 1951 को अयर ने जापान सरकार द्वारा प्राप्त जानकारियों के आधार पर एक बेहद ही खुफिया पत्र लिखा था उस वक्त के कॉमनवेल्थ सेक्रेटरी सुबिमल दत्त को। इस पत्र के आखिरी में उन्होंने इस नेताजी की आर्मी आईएनए के खजाने की लूट का जिक्र किया है। इस पत्र से इस बात की पुष्टि होती है कि आईएनए के खजाने की लूट हुई थी। यह जानकारी उन खुफिया फाइलों से ही बाहर आयी है जिसे सरकार सार्वजनिक करने से हमेशा से कतराती रही है।

90 किलोग्राम से अधिक खजाने की हुई लूट

चेत्तूर ने अपने पत्र में लिखा है कि नेताजी के पास 'यात्रा के दौरान बड़ी मात्रा में हीरों और सोने से भरा बॉक्स था। इन सबका कुल वजन मिलाकर नेताजी के अपने वजन से भी कहीं ज्यादा था।'

बताया जाता है कि इन बॉक्स का वजन तकरीबन 90 किलो से अधिक था। चेत्तूर ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत में एक पार्टी है जिसने अयर के कमरे में इन बॉक्स को देखा है। यहीं नही इस पार्टी को अयर ने बॉक्स के भीतर क्या है उसकी भी जानकारी दी थी।

अयर ने खुद को बचाने के लिए दिया सिर्फ 300 ग्राम सोना

चेत्तूर ने पत्र में लिखा है कि इन बॉक्स का क्या हुआ यह अभी भी रहस्य है। अयर ने इस बॉक्स में 300 ग्राम सोना और 260 रुपए दिये हैं। ऐसे में आपको इस बात पर कोई शक नहीं होगा, आप स्वयं इन बातों से अपना निष्कर्ष निकाल सकते हैं। लेकिन मेरा मानना कि अयर जापान खजाने की लूट के लिए आये थे और उन्होंने थोड़ा सा सोना भारत को वापस दिखाकर खुद पर सवाल उठने से भी बचाया था।

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English summary
Biggest scam of Indian history exposed, Netaji Subhash Chandra Bose's INA treasury was looted by Indian officials with support of the government.
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