Bigg Boss 14: अखाड़ा परिषद ने 'राधे मां' को साध्वी मानने से किया इनकार, जानिए क्यों?
नई दिल्ली। एक बार फिर से अपने आप को गुरुमाता कहने वाली सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां कलर्स के मशहूर लेकिन विवादित शो 'बिग बॉस' को लेकर काफी सुर्खियों में हैं, उनको लेकर साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बड़ा बयान दिया है, परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राधे मां का किसी भी अखाड़े से फिलहाल कोई संबंध नहीं है और ना ही वो किसी अखाड़े की सदस्य हैं, गिरी ने तो राधे मां को संन्यासी मानने से भी मना कर दिया है।
'वो ना तो कोई संन्यासी हैं और न ही साध्वी हैं'
गिरी ने कहा कि वो ना तो कोई संन्यासी हैं और न ही साध्वी हैं, कुछ वक्त पहले सनातन धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर की पदवी जरूर दी थी, लेकिन बाद में जब राधे मां का सच सबके सामने आया तो उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया था, वो इस वक्त किसी भी अखाड़े की मेंबर नहीं हैं, केवल नाचने-गाने से धर्म की स्थापना नहीं होती है, वो कहां जाती हैं, क्या करती हैं, ये उनका निजी मामला है, किसी भी अखाड़े का उनसे कोई लेना-देना नहीं हैं।
'बिग बॉस में बतौर गेस्ट अवतरित हुईं राधे मां'
आपको बता दें कि बिग बॉस में राधे मां बतौर गेस्ट अवतरित हुई हैं, शो शुरू होने से पहले ये कयास थे कि वो शो में बतौर प्रतियोगी हिस्सा लेने वाली हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं फिर कहा गया कि वो एक हफ्ते के लिए शो में आएंगी लेकिन नहीं वो अब केवल मेहमान के तौर में शो का हिस्सा बनेंगी, एक बार उनकी एंट्री हो चुकी हैं और अब सिने दर्शकों को उनके दोबारा आने का इंतजार है लेकिन इससे पहले ही शो के बाहर राधे मां पर अखाड़ा परिषद के बयान से सोशल मीडिया पर खलबली मच गई है, फिलहाल अभी इस मुद्दे पर राधे मां की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
'राधे मां पर लगे हैं गंदे आरोप'
आपको बता दें कि अपने आप को धर्मगुरु कहने वाली राधे मां साल 2015 में विवादों में तब आईं जब उनके ऊपर एक मॉडल ने धर्म की आड़ में सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगाया। उसने कहा था कि मां ने उसके घरवालों को दहेज के लिए भड़काया। जिसके चलते उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया ।
कौन हैं राधे मां?
राधे मां का जन्म पंजाब के दोरांगला गांव में हुआ था। उनका असली नाम सुखविंदर कौर है। बताया जाता है कि 17 साल की उम्र में उनकी शादी मोहन सिंह से हुई थी लेकिन शादी के चार साल बाद उन्हें और उनके दो बच्चों को पति छोड़कर भाग गया। वो शुरु से ही प्रभु लीला में व्यस्त रहती थीं, उन्हें पूजा-पाठ का काफी शौक था इसलिए जब पति की ओर से उन्हें आघात लगा तो उन्होंने गुरु मां बनने का फैसला किया, ऐसा उनके सेवादार कहते हैं।मुंह बंद कर बस मुस्कुराते रहना उनका सिग्नेचर स्टाइल है। वो लाल रंग के वस्त्र पहनती हैं और उनके हाथ में एक त्रिशूल हमेशा रहता है, ऐसा कहा जाता है कि वो इसी के जरिए मां दुर्गा से साक्षात्कार करती हैं।
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