इसरो के हिस्से आई कामयाबी, मुश्किल बाधा पार कर चद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा
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नई दिल्ली। देश और इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के लिए 20 अगस्त का दिन एतिहासिक दिन बन गया जब चंद्रयान-2 एक मुश्किल बाधा को पार करता हुआ चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हो गया। इसरो की ओर से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है। चंद्रयान-2 सुबह करीब नौ बजकर दो मिनट पर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा। इस सफलता के बारे में और ज्यादा जानकारी देने के लिए सुबह 11 बजे इसरो के चेयरमैन के सिवन एक प्रेस कॉन्फ्रेस किया। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को लॉन्च किया गया।
चुनौतीपूर्ण थी प्रक्रिया
इसरो ने अपने सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 जिसे बाहुबली की कहा गया, उसकी मदद से इसे लॉन्च किया था। इसरो की ओर से एक बयान जारी कर इस पर और ज्यादा विस्तार से जानकारी दी गई है। अपने बयान मे इसरो ने कहा है, 'लूनर ऑर्बिट इनसरटेशन (एलओआई) ने अपना मैनुव आज 20 अगस्त को सफलतापूर्वक पूरा किया।' इसरो के मुताबिक सुबह नौ बजकर दो मिनट पर योजना के तहत ही ऑनबोर्ड प्रोपोल्शन सिस्टम के प्रयोग से स्पेसक्राफ्ट कक्षा में दाखिल हुआ है। स्पेसक्राफ्ट का मैनुवर करीब 1738 सेकेंड का था और इतने समय में चंद्रयान-2 सफलता के साथ चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हो गया। सोमवार को के सिवन ने इस कदम को चुनौतीपूर्ण करार दिया था। आंध्र प्रदेश के श्रीहिरकोटा से लॉन्च चंद्रयान-2 को पहले 15 जुलाई को लॉन्च होना था लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से इसके लॉन्च को टालना पड़ गया था।
सात सितंबर को लैंड करेगा चांद पर
वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के क्षेत्र में प्रवेश करने पर उसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में पहुंचाने के लिए स्पेस क्राफ्ट की स्पीड कम की थी। इसके लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम को थोड़ी देर के लिए फायर किया गया। इस दौरान सभी कमांड बिल्कुल सटीक और सधे थे। वैज्ञानिकों की मानें तो एक छोटी सी चूक भी यान को अनियंत्रित कर सकती थी। यह बेहद मुश्किल बाधा थी जिसे चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक पार कर लिया। इसरो के वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-2 31 अगस्त तक चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा। इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी। इसरो के मुताबिक, यान को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए कक्षा में चार बदलाव किए जाएंगे। इस तरह तमाम बाधाओं को पार करते हुए यह सात सितंबर को चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेगा जिस हिस्से में अभी तक मानव निर्मित कोई यान नहीं उतरा है।