मनोज तिवारी का बड़ा बयान, नफरत वाले बयानों के चलते हारे....Kapil Mishra जैसे नेताओं को निकालें
नई दिल्ली- दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने विधानसभा चुनावों में जीतकर 20 साल से भी ज्यादा वक्त बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी का भाजपा का सपना चकनाचूर होने के बाद हार को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है। उन्होंने हार की वजहों को सीधे कुछ नेताओं के नफरत फैलाने वाले बयानों से जोड़ा है और ऐसे नेताओं को पार्टी से स्थाई तौर पर निकालने की वकालत भी की है। उन्होंने ऐसे बयान देने वालों को चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने की भी बात की है। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत का एक कारण ये बताया है कि महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा देने जैसी बातों ने जमीन पर बहुत ज्यादा काम किया है, साथ ही माना है कि कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को आंकने में पार्टी नाकाम रही है।
नफरत भरे बयानों के चलते हारी पार्टी- तिवारी
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने चुनाव परिणामों के बाद पार्टी की हार को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में छपे उनके एक इंटरव्यू में उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अपनी पार्टी के कुछ नेताओं की ओर से दिए गए नफरत भरे बयानों को पार्टी की हार की वजह बताया है। उन्होंने यहां तक कहा है कि ऐसे नेताओं को स्थाई तौर पर पार्टी से बाहर किया जाना चाहिए। दिल्ली चुनाव में लगातार दूसरी बार आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत के बाद भाजपा की ओर से पहली बार इतना बड़ा कबूलनामा सामने आया है। जब तिवारी से पार्टी सांसद प्रवेश वर्मा की ओर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आतंकी कहे जाने और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की ओर से उन्हें सही ठहराए जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'संदर्भ चाहे जो भी रहा हो, वह बयान नफरत भरा था और हमारी पार्टी को उसकी वजह से नुकसान झेलना पड़ा। हमने उसकी तब भी आलोचना की थी और आज भी करता हूं।'
नफरत फैलाने वालों को हमेशा के लिए निकालें- तिवारी
जब तिवारी से सवाल किया गया कि पार्टी नेता कपिल मिश्रा ने सीएए के समर्थन में कनॉट प्लेस में रैली निकाली तो उनके समर्थकों ने उसमें लगातार 'गोली मारो' जैसे नारे लगाए। इसपर तिवारी ने इस बात से खुद को अनजान बताया। लेकिन, साथ ही उन्होंने बड़ी बात कह दी कि, 'मैं चाहता हूं कि जो भी नफरत भरे बयान देते हैं, उन्हें स्थायी तौर पर हटाया जाना चाहिए। हम एक सिस्टम की शुरुआत करें, जिसमें नफरत भरे बयान देने वालों के कानूनी अधिकार (चुनाव लड़ने के) छीन लिए जाएं।अगर ऐसा सिस्टम बनाया जाता है तो मैं निजी तौर पर, पार्टी अध्यक्ष होने के नाते नहीं, इसका समर्थन करूंगा।'
दो-ध्रुवीय चुनाव होने के चलते नहीं जीते- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
मनोज तिवारी से ये पूछा गया कि क्या पार्टी ने दिल्ली की हार का अब तक कोई विश्लेषण किया है? पार्टी 70 में सिर्फ 8 सीट ही क्यों जीत पाई ? इसपर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 2013 में सिर्फ 33 फीसदी वोट पाकर पार्टी 32 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इसलिए पार्टी मानकर चल रही थी कि 38 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर वह 36 के बहुमत के आंकड़े को पार कर लेगी। लेकिन, यह चुनाव दो-ध्रुवीय हो गया। 2015 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, भाजपा मानकर चली कि पांच साल बाद वह अपना प्रदर्शन दोहराने की स्थिति में नहीं होगी, इसलिए इसबार नतीजा अलग होगा। लेकिन, पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 8 फीसदी (32.2 से 38.51 फीसदी) ज्यादा वोट लाने के बावजूद पार्टी उसको सीटों में तब्दील नहीं कर सकी। हम यह अंदाजा नहीं लगा सके कि जिस पार्टी (कांग्रेस) ने 2015 में 9 फीसदी से (9.7 फीसदी) ज्यादा वोट लाया था, वह 4.2 फीसदी पर खिसक जाएगी।
'महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा ने जमीन पर किया काम'
तिवारी से सवाल हुआ कि आम आदमी पार्टी की किस नीति ने धरातल पर सबसे ज्यादा काम किया? उन्होंने कहा कि मुफ्त को लेकर खूब हल्ला है। भाजपा ने भी बहुत चीजें मुफ्त में दिए हैं। मसलन, उज्ज्वला, शौचालय, आयुष्मान भारत योजनाएं। तिवारी के मुताबिक, 'लेकिन, पिछले तीन महीनों में जिस तरह से 'आप' ने महिलाओं के लिए बस की यात्रा मुफ्त की उसका जमीन पर बहुत अच्छा असर पड़ा, खासकर दैनिक यात्रियों के बीच'