एनसीपी को बड़ा झटका, गुजरात के पूर्व CM शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से दिया इस्तीफा
एनसीपी को बड़ा झटका, गुजरात के पूर्व CM शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से दिया इस्तीफा
नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को बड़ा झटका लगा है। गुजरात के पूर्व CM और एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव शंकर सिंह वाघेला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी की सक्रिय सदस्यता भी छोड़ दी है। वाघेला गुजरात में एनसीपी अध्यक्ष के पद पर जयंत पटेल उर्फ बोस्की की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। गुजरात के पूर्व CM शंकर सिंह वाघेला का यह इस्तीफा उसी नाराजगी का परिणाम है।
वाघेला ने हालिया राजनीतिक घटनाओं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं और तालुका-जिले और राज्यों के पदाधिकारियों के पार्टी से असंतुष्ट होने को अपने इस्तीफे का कारण बताया। बता दें कि पिछले दिनों ऐसी रिपोर्ट सामने आईं थीं, जिसमें शंकर सिंह वाघेला को NCP से नाराज बताया गया था। खबरों के अनुसारस वे गुजरात में NCP अध्यक्ष के तौर पर जयंत पटेल उर्फ बोस्की की नियुक्ति के बाद से पार्टी से नाराज थे।
बता दें राज्यसभा चुनाव से कुद दिनों पहले से शंकरसिंह वाघेल जनता से मुलाकात करसवालों का समाधान करने के प्रयास में रहे थे और राज्य सरकार पर कड़े प्रहार किया था। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया था। दूसरी तरफ शंकरसिंह वाघेला द्वारा एनसीपी के नेता के तौर पर ट्विटर से अपनी पहचान हटा दी थी। शंकरसिंह वाघेला ने कहा था कि जिस तरह कौए खेत में खड़े किए खरपतवार की मूर्ति पर चोंच मारते हैं उसी तरह अधिकारी सरकार पर ही वार कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिसे जो उचित लग रहा है वैसा चल रहा है। उन्होंने सरकार को रिमोट से चलनेवाली सरकार बताया। शंकरसिंह वाघेला ने सरकार की तुलना खरपतवार की मूर्ति और सरकारी अधिकारी की तुलना कौए से की थी।
2019 को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) का थामा था दामन
बता दें शंकर सिहं बाघेला नें 29 जनवरी 2019 को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) का दामन थाम लिया। वे अहमदाबाद में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए थे तब वाघेला ने कहा था कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के साथ चर्चा के बाद मैंने यह फैसला लिया। मुझे लगता है कि यह अच्छी बात है। सार्वजनिक जीवन में जनता के मुद्दों को उठाने के लिए एक अच्छे मंच की जरूरत होती है। किसी को भी ऐसी चीजों के लिए ना नहीं कहना चाहिए।
भाजपा और कांग्रेस पार्टी को भी पहले कह चुके हैं अलविदा
गौरतलब हैं कि गुजरात की राजनीति में बापू के नाम से मशहूर वाघेला 40 साल से ज्यादा गुजरात की राजनीति में सक्रिय रहे हैं और वही एक कद्दावर नेता हैं जो न केवल बीजेपी में रहे और फिर उससे बगावत कर मुख्यमंत्री बने। इसके बाद वो कांग्रेस के साथ आ गए। उन्हें बीजेपी में नरेंद्र मोदी का राजनीतिक गुरू माना जाता था। वो गुजरात में विपक्ष के नेता थे और ठीक चुनाव के पहले वाघेला ने कांग्रेस छोड़ दी। वो चाहते थे कि पार्टी उनके नेतृत्व में गुजरात का चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इसे स्वीकार नहीं किया। आंध्र प्रदेश में जिस तरह जगन रेड्डी ने कांग्रेस में दवाब की राजनीति करनी चाही थी, कमोबेश वही स्थिति गुजरात में बाघेला कर रहे थे। पार्टी ने जैसे जगन रेड्डी के मामले में फैसला किया था, वैसा ही गुजरात में भी हुआ। इसके बाद 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में बाघेला ने अलग दल बनाकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था।वाघेला ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी और 2019 में एनसीपी ज्वाइन की थी।
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