बड़ा झटकाः ईरान ने चाबहार रेल परियोजना से भारत को हटाया, कांग्रेस ने कूटनीति पर उठाए सवाल
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी तल्खी का खामियाजा कह सकते हैं कि ईरान ने भारत को एक बड़ा झटका देते हुए उसे महत्वाकांक्षी चाबहार रेल परियोजना से हटा दिया है। ईरान ने भारत को यह झटका चीन से होने जा रही 400 अरब डॉलर की डील से ठीक पहले दिया है। चाबहार रेल परियोजना से बाहर होने से एक बड़े नुकसान की तरह देखा जा रहा है।
कांग्रेस ने मंगलवार को चाबहार रेल परियोजना से बाहर किए जाने को देश के लिए बड़ा नुकसान बताया है और यहां तक कि उसने केंद्र की कूटनीतिक रणनीति पर भी सवाल उठा दिए हैं, जबकि ईरान का आरोप है कि समझौते के 4 साल बीत जाने के बाद भी भारत परियोजना के लिए फंड नहीं दे रहा है, इसलिए वह अब खुद ही चाबहार रेल परियोजना को पूरा करेगा।
बड़ा झटका: ईरान ने भारत को चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट से हटाया, चीन के साथ 400 बिलियन डॉलर की डील सील!
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, क्या यही मोदी सरकार की कूटनीति है?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने द हिंदू में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट किया, भारत के चाबहार पोर्ट सौदे से हटा दिया गया, क्या यही मोदी सरकार की कूटनीति है। चीन ने चुपचाप काम किया और ईरान के साथ बेहतर करार किया। भारत के लिए यह बड़ा नुकसान है, लेकिन आप सवाल नहीं पूछ सकते हैं!
चाबहार रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है
चाबहार रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है। पिछले सप्ताह ईरान के ट्रांसपोर्ट और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने 628 किमी लंबे रेलवे ट्रैक को बनाने का उद्घाटन किया था। इस रेलवे लाइन को अफगानिस्तान के जरांज सीमा तक बढ़ाया जाना है। इस पूरी परियोजना को मार्च 2022 तक पूरा किया जाना है।
चीन ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है
माना जा रहा है कि अमेरिका से साथ जारी ट्रेड वॉर के बीच चीन ने ईरान को साधने की कोशिश की है और ईरान में 400 अरब डॉलर के निवेश की चर्चाओं के बीच भारत को चाबहार रेल परियोजना से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस डील के तहत चीन ईरान से बेहद सस्ती दरों पर तेल खरीदेगा। यही नहीं, ड्रैगन ईरान की सुरक्षा और घातक आधुनिक हथियार देने में भी मदद करेगा।
ईरान के बंदरगाह चाबहार के विकास पर भारत के अरबों रुपए खर्च हुए
भारत ने ईरान के बंदरगाह चाबहार के विकास पर अरबों रुपये खर्च किए हैं। अमेरिका के दबाव की वजह से ईरान के साथ भारत के रिश्ते नाजुक दौर में हैं। चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है। यह चीन की मदद से विकसित किए गए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 100 किलोमीटर दूर है। भारत को भी अमेरिका, सऊदी अरब, इजरायल बनाम ईरान में से किसी एक देश को चुनना पड़ सकता है।
ईरान ने कहा, बिना भारत की मदद के परियोजना पर आगे बढ़ेगा
ईरान के रेलवे ने कहा है कि वह बिना भारत की मदद के चाबहार रेल परियोजना पर आगे बढ़ेगा। इसके लिए वह ईरान के नेशनल डिवेलपमेंट फंड 40 करोड़ डॉलर की धनराशि का इस्तेमाल करेगा।
भारत की सरकारी रेलवे कंपनी इरकान परियोजना को पूरा करने वाली थी
इससे पहले भारत की सरकारी रेलवे कंपनी इरकान इस परियोजना को पूरा करने वाली थी। यह परियोजना भारत के अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों तक एक वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराने की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए बनाई जानी थी, जिसके लिए ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ था।
अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से भारत ने रेल परियोजना पर काम को शुरू नहीं किया
अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से भारत ने रेल परियोजना पर काम को शुरू नहीं किया। वैसे, अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के लिए छूट दे रखी है, लेकिन उपकरणों के सप्लायर नहीं मिल रहे हैं। भारत पहले ही ईरान से तेल का आयात बहुत कम कर चुका है।
PM मोदी के ईरान यात्रा के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था
PM
मोदी
के
ईरान
यात्रा
के
दौरान
समझौते
पर
हस्ताक्षर
हुआ
था
वर्ष
2016
में
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
की
ईरान
यात्रा
के
दौरान
चाबहार
समझौते
पर
हस्ताक्षर
हुआ
था।
पूरी
परियोजना
पर
करीब
1.6
अरब
डॉलर
का
निवेश
होना
था।
इस
परियोजना
को
पूरा
करने
के
लिए
इरकान
के
इंजीनियर
ईरान
गए
भी
थे।