अंडमान में अमेरिकी नागरिक की हत्या के बारे में हुआ बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। अमेरिकी नागरिक की हत्या के पीछे बड़ा खुलासा सामने आया है। पुलिस का कहना है कि अमेरिकी नागरिक जॉन एलेन चाऊ को अमेमरिका के ही दो अमेरिकी मिशनरियों ने अंडमान के उस द्वीप पर जाने के लिए उकसाया था, जहां पर आजतक कोई नहीं गया था। शीर्ष सूत्रों के अनुसार जॉन यहां पर आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे थे। अंडमान निकोबार द्वीप के पुलिस मुखिया दीपेंद्र पाठक ने बताया कि हमे शक है कि दोनों ही आरोपी भारत छोड़कर जा चुके हैं और अभी तक चाऊ का शव नहीं मिल सका है, जिसे आदिवासियों ने तीर से मार दिया था।
धर्म
परिवर्तन
के
काम
में
जुटे
थे
पाठक
ने
बताया
कि
हम
आरोपियों
की
तलाश
कर
रहे
हैं,
जोकि
एक
युवक
और
एक
युवती
हैं,
जिनकी
मुलाकात
द्वीप
पर
चाऊ
से
हुई
थी।
उन्होंने
बताया
कि
ये
दोनों
देश
छोड़कर
जा
चुके
हैं,
जोकि
ईसाई
धर्म
परिवर्तन
के
काम
में
जुटे
थे,
इन्हीं
लोगों
ने
चाऊ
को
इस
द्वीप
पर
जाने
के
लिए
प्रोत्साहित
किया
था।
हालांकि
पाठक
ने
इस
कपल
के
नाम
का
खुलासा
नहीं
किया
है
और
ना
ही
उनके
संगठन
का
नाम
बताया
है
जिसके
लिए
ये
काम
करते
थे।
स्थानीय
फोन
नंबर
था
पुलिस
मुखिया
ने
बताया
कि
जांच
में
हमे
इस
बात
की
जानकारी
मिली
है
कि
चाऊ
इन
दोनों
ही
व्यक्तियों
के
संपर्क
में
फोन
के
जरिए
थे।
अमेरिकी
नागरिक
के
पास
स्थानीय
फोन
नंबर
था।
आपको
बता
दें
कि
चाऊ
की
26
नवंबर
को
पूर्वी
सेंटीनेल
द्वीप
पर
हत्या
कर
दी
गई
थी।
यह
घटना
उस
वक्त
सामने
आई
थी
जब
दुनिया
की
आखिरी
आदिवासी
प्रजाति
की
भाषा
और
उनकी
परंपरा
को
सुरक्षित
करने
की
कोशिश
की
जा
रही
थी।
इनकी
भाषा
और
परंपरा
अभी
भी
दुनिया
के
लिए
एक
रहस्य
है।
प्रतिबंधित
है
यहां
जाना
इस
जगह
पर
बाहरी
लोगों
का
जाना
पूरी
तरह
से
प्रतिबंधित
है।
यह
द्वीप
हिंद
महासागर
से
कुछ
दूर
है,
जहां
पांच
किलोमीटर
दूर
से
ही
लोगों
के
आने
पर
प्रतिबंध
है।
अभी
तक
पुलिस
ने
इस
मामले
में
सात
लोगों
को
गिरफ्तार
कर
लिया
है।
जिसमे
छह
मछुआरे
हैं
जिन्होंने
चाऊ
को
यहां
तक
पहुंचने
में
मदद
की
थी।
इन्ही
मछुआरों
ने
चाऊ
की
मौत
की
बात
बताई
थी।
इस
द्वीप
पर
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
आज
अर्जेंटीना
की
राजधानी
ब्यूनस
आयर्स
में
जी-20
शिखर
सम्मेलन
के
दौरान
चीनी
राष्ट्रपति
शी
जिनपिंग
से
मुलाकात
की।
इस
साल
यह
चौथी
बार
ऐसा
मौका
था,
जब
शी
जिनपिंग
और
पीएम
मोदी
के
बीच
मुलाकात
हुई
है।
जी20
शिखर
सम्मेलन
में
पीएम
मोदी
ने
ब्रिक्स
इनफॉर्मल
समिट
में
हिस्सा
लिया
था,
जहां
उन्होंने
आतंकवाद
और
कट्टरपंथ
को
विश्व
के
लिए
सबसे
बड़ा
खतरा
बताया।