अमिताभ बच्चन के टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' को बड़ी राहत, नहीं देना होगा 1 करोड़ का जुर्माना
नई दिल्ली। टेलीविजन के मशहूर शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) को एक मामले में देश की उच्चतम न्यायलय ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) के फैसले को रद्द कर दिया है। बता दें कि टीवी कार्यक्रम केबीसी के दौरान एक प्रतियोगिता में कथित तौर पर अनुचित व्यापार व्यवहार करने के चलते एनसीडीआरसी ने 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
केबीसी आयोजकों पर लगा था ये आरोप
गौरतलब है कि केबीसी टीवी का बहुत ही चर्चित शो है और यह कई दशकों से प्रसारित हो रहा है। साल 2007 में सोसाइटी ऑफ कैटालिस्ट्स ने स्टार टीवी और भारती एयरटेल के खिलाफ एनसीडीआरसी में अनुचित कारोबारी तरीकों को लेकर एक शिकायत दर्ज कराई। इसमें कहा गया कि टीवी शो केबीसी और एक अन्य प्रतियोगिता 'हर सीट हॉट सीट' में आयोजोकों ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अनुचित कारोबार का तरीका अपनाया था।
स्टार टीवी और एयरटेल के खिलाफ हुई शिकायत
शिकायत कर्ता का कहना था कि 'हर सीट हॉट सीट' के आयोजन में स्टार टीवी ऐसा दिखावा करता था कि इस प्रतियोगिता में भाग लेना मुफ्त है लेकिन ऐसा था नहीं। स्टार टीवी दिखाता था कि वह प्रतियोगिता की पुरस्कार राशी खुद अदा कर रहा है जबकि पुरस्कार में दी जाने वाली रकम प्रतिभागियों द्वारा किए गए फोन कॉल्स और एसएमएस के जरिए होने वाली कमाई से दी जाती थी। एनसीडीआरसी से शिकायत में कहा गया कि स्टार का यह तरीका संरक्षण अधिनियम के तरह अनुचित कारोबार में आता है।
एनसीडीआरसी ने लगाया था 1 करोड़ का जुर्माना
मामले पर सुनवाई करते हुए एनसीडीआरसी ने कहा कि स्टार और एयरटेल ने पुरस्कार राशी के स्रोत का खुलासा नहीं किया है और जनता में ऐसी धारणा बनाई गई कि पुरस्कार राशी वह खुद ही अदा कर रहे हैं। वास्तव में स्टार और एयरटेल एसएमएस से मिलने वाले पैसों से ही पुरस्कार राशी देते थे, इसके लिए एयरटेल हर मैसेज के लिए 2 रुपये 40 पैसे वसूल करता था। एनसीडीआरसी ने फैसला सुनाते हुए स्टार और एयरटेल पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना भरने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कही ये बात
एनसीडीआरसी के फैसले के बाद स्टार और एयरटेल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और न्यायालय ने 21 नवंबर 2008 को एनसीडीआरसी के आदेश पर रोक लगा दी। शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर और सुभाष रेड्डी की बेंच ने कहा कि 1986 अधिनियम की सभी धाराओं को साबित करने के लिए कमीशन के पास कोई और दूसरी सामग्री नहीं है जिससे साबित हो कि 'अनुचित कारोबारी तरीका' हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एनसीडीआरसी के आदेश को रद्द कर दिया।
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