मोदी सरकार ने देर रात लिया बड़ा फैसला, चीन की कंपनियों को अब नहीं मिलेंगे सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स!
नई दिल्ली। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच ही केंद्र सरकार ने देर रात एक बड़ा फैसला किया है। इस फैसले के तहत अब उन देशों को सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स आसानी से नहीं मिल सकेंगे, जो भारत के साथ जमीनी बॉर्डर साझा करते हैं। भारत सरकार ने 'रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा' को ध्यान में रखते हुए यह बड़ा फैसला लिया है। इंग्लिश डेली इकोनॉमिक टाइम्स की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। अप्रैल में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) के नियमों में हुए परिवर्तन के बाद इस फैसले को सरकार का एक और महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।
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17 अप्रैल को बदले गए थे FDI नियम
सरकार के इस आदेश में किसी देश का नाम नहीं लिया गया है लेकिन विशेषज्ञ इसे चीन के खिलाफ उठाया गया कदम करार दे रहे हैं। 17 अप्रैल को सरकार की तरफ से जो नई एफडीआई नीति आई थी उसके तहत ऑटोमैटिक रूट के जरिए इन्हीं पड़ोसी देशों की तरफ से होने वाले निवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उसका मकसद चीनी निवेश और भारतीय प्रोजेक्ट्स के साथ उसकी सहभागिता पर नजर रखना, उस पर कुछ प्रतिबंध लगाना शामिल था। अब जो नए नियम आए हैं उनके बाद ऐसी कंपनियां जो चीन से जुड़ी हैं, उन्हें स्टेशनरी की सप्लाई, टर्बाइन और टेलीकॉम उपकरणों के साथ ही सड़क और ऊर्जा के क्षेत्र में मिलने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स को कड़े नियम मानने होंगे।
हाल ही में चीनी एप्स पर लगा बैन
सरकार ने हाल ही में 59 चीनी एप्स को प्रतिबंधित किया है और अब यह बड़ा फैसला लिया है। चीन और भारत के बीच पांच मई से पूर्वी लद्दाख में टकराव जारी है। भारतीय सेना के सूत्रों का कहना है कि चीन की सेना ने डिसइंगेजमेंट का वादा किया था लेकिन अब वह अपने वादे से मुकर गया है। भारत की तरफ से चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) को स्पष्ट कर दिया गया है कि उन्हें हर हाल में पीछे जाना होगा और अप्रैल 2020 वाली स्थिति को बहाल करना होगा। भारत सरकार के मुताबिक संप्रभुता की रक्षा के लिए जो फैसले लेने होंगे, उनसे पीछे नहीं हटा जाएगा।
निजी क्षेत्र को रखा गया बाहर
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि देर रात आए इस फैसले से संकेत मिलता है कि भारत अपना धैर्य खो रहा है। वह पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया और डिएस्कलेशन को निष्कर्ष पर ले जाने के मूड में नहीं है। सरकार का यह आदेश फिलहाल निजी क्षेत्र में लागू नहीं होगा। इस आदेश में कहा गया कि 'नए नियम सभी नए सरकारी टेंडर्स' पर लागू होंगे। अगर टेंडर्स के लिए पहले ही इनविटेशन आ चुके हैं और पहले चरण में मानकों की योग्यता पूरी नहीं हुई है और ऐसे ठेकेदार जो नए आदेश के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं, उनके टेंडर्स को कैंसिल नहीं किया जाएगा।
कड़ी जांच प्रक्रिया से गुजरेंगी कंपनियां
अगर पहला चरण पूरा हो चुका है तो साधारण टेंडर को कैंसिल कर दिया जाएगा और प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाएगा। सरकार के आदेश में कुछ बदलाव के साथ कहा गया है केंद्र रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष तौर पर हस्तक्षेप कर सकता है। सरकार के आदेश के मुताबिक ऐसे देश जो भारत के साथ जमीनी बॉर्डर साझा करते हैं, उनके बिडर्स की तरफ से लगने वाली बोली को तभी मंजूरी मिलेगी जब वह डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के तहत रजिस्टर होंगे।