बंगाल में ओवैसी के इरादों को जोरदार झटका, बिहार चुनाव पर बड़ा दावा कर TMC में शामिल हुए AIMIM नेता
नई दिल्ली- पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी के विस्तार का मंसूबा पाल रहे एआईएमआईएम के नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को जोर का झटका लगा है। राज्य में पार्टी के नेता अनवर पाशा ओवैसी की पार्टी छोड़कर आज ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। यही नहीं उन्होंने ओवैसी को लेकर एक बहुत बड़ा दावा भी किया है कि एआईएमआईएम ने बिहार में भाजपा को सत्ता में लाने में मदद के लिए चुनाव के दौरान ध्रुवीकरण करवाया। उन्होंने कहा है कि ओवैसी का यह रवैया बहुत ही खतरनाक है, इसलिए पश्चिम बंगाल में बिहार मॉडल नहीं चलने दिया जाएगा।
Recommended Video
पश्चिम बंगाल में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता अनवर पाशा आज टीएमसी में शामिल हो गए। उन्होंने यह भी दावा किया है कि एआईएमआईएम ने बिहार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की है। पाशा का कहना है कि यह बहुत ही खतरनाक है और बंगाल में इसकी इजाजत कतई नहीं दी जा सकती। उन्होंने दावा किया कि अगर ऐसा हुआ तो बंगाल खून से लाल हो जाएगा, क्योंकि यहां 30 फीसदी अल्पसंख्यक रहते हैं, इसलिए ऐसी ताकतों को रोकना बहुत ही जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा है, 'बिहार में बहुत कुछ देखने को मिला है और ये ताकतें बंगाल में घुसने की कोशिश कर रही हैं। वर्षों से हिंदू, मुस्लिम, सिख, क्रिश्चियन यहां शांति के साथ रहते आए हैं, लेकिन इन्हें बांटने की कोशिश की जा रही है और यहां पर जगह बनाने के लिए वोटों का इस्तेमाल किए जाने की कोशिश है। '
पाशा ने ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए यह भी दावा किया है कि वह एकमात्र ऐसी मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ आवाज उठाई है। पाशा के मुताबिक 'राजनीतक दल उनपर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। क्योंकि, अगर वह इमामों को पैसे देती हैं तो पुजारियों को भी देती हैं। अगर वह अपना सिर ढंककर आमीन कहती हैं तो मंदिर में जाकर प्रार्थना भी करती हैं। मैंने अपने जीवन में ऐसा सेक्युलर नेता नहीं देखा है।' उन्होंने बंगाल के मुसलमानों से अपील की है कि वो ममता बनर्जी के समर्थन में एकजुट होकर राज्य में भगवा पार्टी के खिलाफ लड़ाई लड़ें।
उन्होंने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को सीधी चेतावनी देते हुए कहा है, 'बंगाल मत आइए, बंगाल को आपकी जरूरत नहीं है। लेकिन, आप अगर फिर भी आना चाहते हैं, तो हम आपसे लड़ेंगे।' इससे पहले ओवैसी ने बंगाल में भाजपा को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस की मदद करने के लिए चुनाव-पूर्व समझौता करने की भी पेशकश की थी। लेकिन, टीएमसी सुप्रीमों शुरू से ओवैसी के खिलाफ हमलावर रही हैं। खासकर जब से एआईएमआईएम ने सभी राजनीतिक पंडितों को चौंका कर बिहार में सीमांचल की पांच सीटों पर कब्जा कर लिया है, सेक्युलर दलों के होश उड़े हुए हैं। यही वजह है कि ओवैसी के बंगाल में चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से तृणमूल की सांसें तो उखड़ ही रही हैं, लेफ्ट और कांग्रेस पर उनकी बची हुई सियासी जमीन भी सफाचट होने का खतरा मंडरा रहा है।
गौरतलब है कि अनुमान के मुताबिक बंगाल में 27 फीसदी मुस्लिम आबादी है। माना जाता है 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा में 80 से 90 सीटों का परिणाम मुस्लिम वोटर ही तय करते हैं। ऐसे में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मैदान में आने से सेक्युलर पार्टियों के लिए सुरक्षित करीब 100 फीसदी इस वोट बैंक में भूचाल आने का खतरा मंडराने लगा है। पश्चिम बंगाल में 2021 के मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है और पिछले तीन वर्षों में वहां भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरी है और सत्ताधारी तृणमूल से लेकर 34 साल राज कर चुके लेफ्ट फ्रंट तक का सियासी समीकरण उलट-पुलट हो चुका है।