BHU Violence: मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार, बीएचयू प्रशासन को भेजा नोटिस
BHU के कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा था कि मामले की शुरूआत में छात्राओं को कुछ मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत थी लेकिन अब मामला बदल गया है
नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और उत्तरप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और बीएचयू में छात्राओं के साथ हुई घटना पर चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। एनएचआरसी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तरप्रदेश के डीजीपी, मुख्य सचिव और बीएचयू के वाइस चांसलर को नोटिस भेजा है। एनएचआरसी ने ये फैसला यूपी पुलिस द्वारा छात्राओं को पीटे जाने के बाद लिया है।
इससे पहले वाराणसी के मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में हई हिंसा पर अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव राजीव कुमार को सौंप दिया है। इस रिपोर्ट में गोकर्ण ने BHU प्रशासन को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि BHU ने पीड़ित की शिकायत का संवेदनशील तरीके से निपटारा नहीं किया, समय पर स्थिति को नहीं संभाला।
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BHU के कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा था कि मामले की शुरूआत में छात्राओं को कुछ मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत थी लेकिन अब मामला बदल गया है। बड़ी मात्रा में बाहर से लोग आए जिन्होंने इस आंदोलन को हवा देने की कोशिश की। हमें जानकारी मिली है कि बाहर से आए कुछ असमाजिक तत्वों ने विश्वविद्यालय परिसर के माहौल को खराब करने की कोशिश की।
गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा था कि परिसर के अंदर बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले भी इस तरह के मामले में कड़े कदम उठाए हैं और इस मामले में भी उठाएंगे। कुछ छात्राओं ने CCTV लगवाने की मांग की जिसकी प्रकिया शुरू हो गई है। कुछ छात्राओं ने मुझसे कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्राओं की परेशानियों की तरफ ज्यादा संवेदनशील होना चाहिए, मैं उन छात्राओं की मांग से सहमत हूं। विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर ध्यान दे रहा है। वहीं त्रिपाठी को दिल्ली तलब किया गया है। उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजा जा सकता है। बता दें कि BHU कैंपस में ही छात्रा से छेड़छाड़ के बाद छात्रों के शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन और फिर हिंसा के बाद से ही त्रिपाठी विवादों में आए।