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भोपाल गैस त्रासदी की बरसी पर विशेष: 29 साल बाद भी हरे हैं जख्‍म

By संदीप पौराणिक
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Bhopal gas tragedy
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 29 वर्ष पहले हुई गैस त्रासदी की भयावह दास्तां आज भी लोग नहीं भुला पाए हैं, क्योंकि उन्हें वे सुविधाएं हासिल ही नहीं हो सकी हैं जो जख्मों को सुखा सकें। अलबत्ता उन्हें लगता है कि वक्त गुजरने के साथ जख्म हरे होते जा रहे हैं। झीलों की नगरी भोपाल के लिए दो-तीन दिसंबर 1984 की रात काल बनकर आई थी। उस रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस ने तीन हजार से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया था, वहीं लाखों लोगों को बीमारियों का तोहफा दिया था। उसके बाद भी गैस का शिकार बने लोगों की मौत का सिलसिला जारी है।

हादसे के 29 वर्ष गुजरने के बाद भी पीड़ितों को अब तक इंसाफ नहीं मिल पाया है। न तो मुआवजा मिला और न हीं वे स्वास्थ्य सुविधाएं जो उनके जीवन को कष्टों से मुक्ति दिला सकें। हाल यह है कि पीड़ितों का जख्म पहले के मुकाबले कम होने के बजाय कहीं बढ़ता जा रहा है। ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एण्ड एक्शन की रचना ढींगरा कहती हैं कि गैस पीड़ित मर रहे हैं और सरकारें हैं कि वे उन्हें गैस पीड़ित मानने को तैयार नहीं है। सरकार लगातार आंकड़े छुपा रही है। वहीं आरोपियों को सरकार के रवैए के कारण ही सजा नहीं मिल पा रही है।

ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एण्ड एक्शन के सतीनाथ षडंगी कहते हैं कि एक तरफ पीडितों को उनका हक नहीं मिला वहीं दूसरी ओर हजारों लोगों की जान लेने के दोषियों को सजा नहीं मिली है। वे तो राज्य सरकार पर आम लोगों के साथ अदालत को भी गुमराह करने की कोशिश कर रही है। भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के अब्दुल जब्बार का कहना है कि हादसे के समय से अब पीड़ितों की संख्या पांच गुना हो गई है। पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर सिर्फ 50 हजार रुपये मिले हैं, जो पांच रुपये दिन होता है। सरकार की कार्यशैली का ही नतीजा है कि आज तक गुनहगारों को सजा नहीं मिल पाई है।

एक तरफ जहां पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला, वहीं उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। गैस पीड़ितों के नाम पर कई अस्पताल खुले मगर वहां चिकित्सक तक नहीं हैं। गैस पीड़ित अब भी दुष्प्रभाव भुगत रहे हैं। बड़ी संख्या में नवजात शिशु भी विकलांग हो रहे हैं। वहीं यूनियन कार्बाइड संयंत्र के आसपास की बस्तियों के लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है। गुर्दा, हृदय रोग सहित अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। पीड़ित एक बार फिर अपने हक की खातिर सोमवार और बुधवार को कई कार्यक्रम कर रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि एक दिन आएगा जब उनकी बात सुनी जाएगी।

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English summary

 Bhopal gas tragedy victims still await justice even after three decades.
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